दो पाटन के बीच में – नीरजा कृष्णा

अम्मा की बड़बड़ चालू थी। आज का बहु रीना को सुना कर बोल रही थी,”आजकल की बहुएँ तो गजब हैंः सास ससुर तो फूटी आँख नहीं भाते। इन लोगों का बस चले तो” कहते कहते बात अधूरी छोड़ दी थी और कनखियों से प्रतिक्रिया के लिए कमर कसने लगी थी। पर ये क्या रीना तो … Read more

नयी परिभाषा – कल्पना मिश्रा

नाती का बरहों संस्कार बहुत अच्छी तरह से निपट गया तो मन को सुकून मिला। नीरा मेरी इकलौती बिटिया थी,तो मैंने भी अच्छे से अच्छा करने की कोशिश की थी..पर फिर भी डर लग रहा था कि लेनी-देनी और फल,मिठाई में कहीं कोई कमी ना रह जाये। लेकिन सबको खुश देखकर मेरी ये चिन्ता भी … Read more

कुशल तीरंदाज – दर्शना जैन

रक्षाबंधन के बाद चंदर स्कूल गया। दोस्तों की कलाई पर सुंदर राखियाँ बंधी देखी, सभी एक एक करके बताने लगे कि उन्होने अपनी बहन को तोहफे में क्या दिया, कैसे रक्षाबंधन मनाया, बहन के साथ कैसे मस्ती की। दोस्तों की बातों से चंदर का बावरा मन कोई बहन न होने से बेचैन हो उठा। बावले … Read more

समय – दर्शना जैन

अगले साल होना था मनोज का रिटायरमेंट परंतु उसने सालभर पहले ही रिटायरमेंट ले लिया, यह सोचकर कि बहुत हो गया काम, अब परिवार के साथ समय गुजारूँगा। छ: महीने में ही वह उकता गया, पत्नी बबीता घर के कामों में उलझी रहती, बेटों को अपने अपने काम से फुर्सत नहीं थी।        उस रोज दोपहर … Read more

उलझन  – हेमलता पन्त

ट्रेन के एसी फस्ट डिब्बे में भी मुझे एक अजीब सी घुटन महसूस हो रही थी, कारण सामने बैठा युवक, जिसके  किसी पुराने फिल्मी हीरो की तरह लम्बे -लम्बे बाल, लाल शर्ट, काली पेंट ,कमर पर कसी बैल्ट, हाथ पर सलमान खान वाला ब्रेसलेट किसी टपोरी से कम नहीं लग रहा था | एसी फस्ट … Read more

त्याग – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा

“माँ! पिताजी हरदम एक ही राग क्या अलापते रहते हैं?? काम के ना काज के दुश्मन अनाज के! मुझे उनके मुहावरे बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं कह देना उनसे! जब से रिटायर क्या हुए हैं जीना हराम कर दिया है उन्होंने। जब देखो नसीहतों का पिटारा लेकर बैठ जाते हैं। खाली दिमाग….!” माँ ने जोर … Read more

साँवली – अनिल कुमार सिन्हा

हमारे एक मित्र है रमेश सिन्हा, वे भी इश्योरंस सेक्टर से ही जुड़े है तो अच्छा रिश्ता है उनसे    उन्हे एक बेटा और एक बेटी है नेहा जो रमेश बाबु की बडी संतान है वो पढने लिखने मे कुशाग्र बुद्धि की थी जब वो ग्रेजुएट की पढाई कर ही रही थी तो रमेश बाबु उसके … Read more

बंधुआ मजदूर  –  गोमती सिंह

दिसम्बर की कड़कड़ाती सर्दी का मौसम था अत: उस 10-12 वर्ष की मासूम सी राधिका के लिए असहनीय था , वो इसलिए कि वो एक बंधुआ मजदूर थी । तन पर  पहनने के उतरन के शिवाय उसके पास गरम कपड़े के नाम पर एक कर्कश सा कंबल था ।          ।घर का सारा काम निपटा … Read more

सब्ज़ी तो बहुत ही स्वादिष्ट है – अर्चना कोहली ‘अर्चि’

कंगना की शादी को दो महीने हुए हैं। आते ही उसने अपने अच्छे व्यवहार से सबका दिल जीत लिया। धीरे-धीरे करके उसने घर की सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। कंगना के पति मयंक का स्वभाव भी बहुत अच्छा है। वे सबका बहुत ध्यान रखते हैं। कंगना की भी काम में मदद करते हैं, … Read more

चूल्हे की रोटी – अनुज सारस्वत

“पापा जी चलो ना शहर वहां मैंने फ्लैट लिया है” अनुभव ने गांव आकर अपने पिताजी से कहा पिताजी बोले “अरे बेटा रहने दे तू खुश है ना काफी है मैं तो ही ठीक हूं तेरी मां के जाने के बाद कहीं जाने का मन नहीं करता “ “अरे पिताजी चलो ना हो गई आपकी … Read more

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