सुपर माम  – सुषमा यादव

,, बच्चों को शिष्टाचार, तहज़ीब और संस्कार बहुत छोटी सी अवस्था में ही सिखाया जाये,, उन्हें भले बुरे की पहचान कराई जाये,, और किसी भी चीज़ के लिए ज़िद करने की आदत को सुधारा जाए, उन्हें प्यार से, तथा मनोवैज्ञानिक तरीके से समझाया जाये,,तो बच्चे बाद में सिरदर्द नहीं बनते, उनके कारण हमें किसी के … Read more

मोहे बिटिया ही देना – बेला पुनीवाला

रामलाल का कोई बेटा नहीं था, उसको तीन बेटियाँ ही थी मगर रामलाल कभी बेटी और बेटे में फ़र्क नहीं करते थे। बेटा ना होने की बजह से रामलाल ने अपनी तीनों बेटियों की परवरिश में कोई कमी नहीं रखी थी, जितना प्यार और हक़ हम बेटों को देते है, उतना ही प्यार और हक़ … Read more

लम्हा लम्हा जिंदगी – सुधा जैन

आध्या बहुत ही परफेक्ट लड़की है .बचपन से ही उसने अपने पापा को हर कार्य में परफेक्शन लाते हुए देखा है ,अतः उसमें भी यह गुण अनायास ही आ गया… वैसे परफेक्शन होना अच्छी बात भी है …व्यवस्थित तैयार होना, घर को व्यवस्थित रखना, व्यवस्थित रूप से स्कूल जाना, अपना होमवर्क करना, किताबें बस्ता सभी … Read more

मैं भी तुम्हारी माँ हूँ – प्रीति आनंद

आज श्यामली पहली बार मोहित की माँ से मिलने उसके घर जा रही थी। “माँ!” कितना तरसी है वह इस शब्द से बंधे रिश्ते को शिद्दत से महसूस करने व जीने को। तीन वर्ष की थी जब माँ गुजर गई थी। पापा को शायद उसका पालन-पोषण मुश्किल लगा होगा इसलिए उन्होंने नई मम्मी को ये … Read more

कसक – स्मिता सिंह चौहान

सही में भाईसाहब आपकी दिन रात मेहनत का नतीजा है जो आज आपके दोनो बच्चे इतनी ऊंची पोस्ट पर हैं। विद्या वाकई किस्मत वाली हो जो ऐसा पति और बच्चे मिले है तुम्हें।” रामनाथ जी आज ऐसी तारीफों के गुलदसतो से महक रहे थे। आज अपनी भानजी सारिका की शादी के फंक्शन में लाईमलाइट रामनाथ … Read more

अस्तित्व – स्मिता सिंह चौहान

सरिता जी अपनी खिड़की पर खड़ी खुले आसमां में चहचहाती चिड़ियो को देखकर आनंदित हो रही थी ।तभी रितिका (दोस्त)ने उसे टोकते हुए कहा “चाय यही पियें या अन्दर ।ऐसे किसे देखकर मन्द मन्द मुस्कुरा रही हो ।” “यही पी लेते हैं, अरे कुछ नही इन पक्षियों को जब भी देखों, मन खुश हो जाता … Read more

” वो छोड़ गया मुझको” – सीमा वर्मा

‘ सुधाकर नहीं दिख रहे हैं तेरे प्रमोशन का इतना बड़ा फंक्शन और वही गायब है ‘ जब दरवाजे पर सुधाकर की राह तकती उनकी नजर थक चुकी तब यह दुखदाई सवाल दाग दिया था । ‘मेहुल’ कट कर रह गई माँ और बाबा शुरु से ही उसके इस तरह लिविंग में रहने के सख्त … Read more

धागों का डिब्बा – नीरजा कृष्णा

वो आज बहुत अनमनी सी थी। किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था। उसकी मनस्थिति घर में किसी से नहीं छिपी थी। सब समझ ही रहे थे…आज उसके पापा की पुण्यतिथि है और वो उनकी ही यादों में खोई हुई हैं। उसकी सासुमाँ सविता जी  स्नेह से उसके लिए कॉफ़ी ले आई थीं … Read more

पुनर्जन्म – गीतांजलि गुप्ता

जब विधी की माँ का निधन हुआ था। उसकी आयु कुल पन्द्रह वर्ष थी। दो छोटी बहनों और भाई की जिम्मेदारी विधि के कंधों पर आ गई थी। पिता की नौकरी तो पहले से ही दूसरे शहर में थी। माँ अकेले ही सब को सम्भालती थीं। माँ बहुत बीमार पड़ गई, पिता जी अपनी ड्यूटी … Read more

बेचारी शैली – लतिका श्रीवास्तव

सन्डे की अलसायी सुकून भरी सुबह की अभी आंख भी नहीं खुल पाई थी कि मैन गेट की खड़ खड़ ने मीता को बिस्तर छोड़ने पर मजबूर कर दिया….हालांकि उसने वेट किया था कि शायद राजन उसके पति की नींद खुल जाए और वो दरवाजा खोल दें!!पर व्यस्त सप्ताह का आराम तलब संडे अपनी नींद … Read more

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