सोच” – ऋतु अग्रवाल

 अभी कुछ ही दिन बीते थे नियति की शादी को। पर न मालूम ऐसा क्या हुआ कि एक हँसता, खिलखिलाता चेहरा मायूस और उदास रहने लगा।  सास पूर्णिमा और जेठानी अनन्या चुपचाप नियति की दिनचर्या पर निगाह रखती। पहले तो उन्हें लगा कि मायके की याद आ रही होगी पर अगर ऐसा होता तो वह … Read more

“यह उन दिनों की बात है” – सुधा जैन

लिखने के पहले ही चेहरे पर मुस्कान आ गई ,और पुरानी कई  मधुर स्मृतियां यादों में तैर गई। यह 35 वर्ष पुरानी बात है। जब मैं 20 वर्ष की थी। M.A.. फाइनल में थी ।सरकारी स्कूल में शिक्षिका 18 वर्ष की उम्र में ही बन गई ।मैं और मेरी चचेरी बहन उषा, हम दोनों बहनों … Read more

 “दिल का रिश्ता ” – -गोमती सिंह

‐—‐बात उन दिनों की है जब कोविड-19 का दौर चल रहा था ।  रात के 9 बज चुके थे जब  जूही का आक्सीजन लेबल एकदम गिर गया।  सांस लेने में तकलीफ होने लगी । वह एक बंद  कमरे में सोई हुई थी,  हांफते हुए पुकारने लगी –नील ! , नील! मुझे हाॅस्पीटल ले चलो नील … Read more

मासूम रिश्ता – लतिका  श्रीवासत्व

बारिश की भीगी भीगी फुहार….ठंडी हवाओं की शोखियां….नीर भरे सांवरे कजरारे मेघों की मीठी आंख मिचौलियां…… उजली उजली धुली धुली सी फिज़ा…..मोहक  खुशमिजाज अलमस्त मौसम ….मन उत्साह और नई स्फूर्ति से भर गया।पहले तो मन किया आज वॉकिंग पर ना जाऊं …आराम से अदरक तुलसी की चाय और पकोड़े के साथ बरसात का आनंद लूं….. … Read more

ऊंची सोच – रीटा मक्कड़

मल्होत्रा जी अपनी बिटिया अनिता के लिए सुयोग्य रिश्ते की तलाश कर रहे थे। उनकी पढ़ी लिखी, सुंदर और हर काम मे निपुण बेटी के रिश्ते में बस एक बात से अड़चन आ रही थी। वो ये कि बचपन मे गर्म दूध पड़ने से उसकी एक बाजू जल गई थी। जख्म इतने गहरे थे कि … Read more

समय के साथ परिवर्तन –    किरण केशरे

  आज कमलाजी ओर परमजी पूना जा रहे थे बेटे के घर।उधर बहू को एक ही चिंता थी कि , मम्मीजी रोटी बनाने वाली के हाथों का खाना भी नहीं खाती और उन्हें बाहर के खानें से भी परहेज  रहता है । रत्ना और आलोक दोनों ही जॉब में थे ,इसलिए घर में सुबह से … Read more

धरोहर – भगवती सक्सेना गौड़

बुजुर्ग रमन जी अपनी पत्नी रेवा के साथ शाम की चाय बालकनी में बैठ कर पी रहै थे। अचानक कमरे से बच्चो की जोरदार हंसी सुनाई पड़ी, असल मे गर्मी की छुट्टी में बेटे बहू और बच्चे भी घर आये थे। दोनो पोते अक्षय और अभय नौंवी और दसवीं कक्षा में थे। रेवा देखने गयी, … Read more

डोंट बी परफ़ेक्ट-बी रियल – कमलेश राणा

अभि,,जल्दी उठो,,बेटा,,तुम्हें टेनिस कोर्ट जाना है सोने दो न,,माँ,,बहुत नींद आ रही है,, जल्दी आओ ,,तुम्हारे पापा इन्तज़ार कर रहे हैं,, सोना,,तुम भी उठो ,,देखो,,5 बज गए,,तुम्हारे म्यूज़िक टीचर आने वाले  हैं,, मम्मा ,,मुझे सोना है,,आज नहीं सीखना,, 7 बजे बच्चे फ्री होते हैं,,चलो जल्दी नहाकर नाश्ता कर लो,,स्कूल वैन आने वाली है 1 बजे … Read more

*रिश्ता अनजाना* – सरला मेहता

यशोधराराजे ने एक  समारोह में जब से स्वर्णिमा को देखा, उसको भुला नहीं पा रही है। हिरनी सी आँखे, सुती हुई नासिका और कमर से नीचे झूलते केश। कंचन काया किसी जेवर की भी मोहताज़ नहीं। उसके सहज सरल स्वभाव की तारीफ़ करते पति से मन की बात कह डाली, ” शौर्यवीर की जीवनसंगिनी मुझे … Read more

बेटियों के लिए सरकारी नौकरी…….?   – मंजू तिवारी,                  

   जब बेटियां स्कूल जाती है ।तभी से उनके दिमाग में यह चीज धीरे-धीरे से डाल दी जाती है। एक बार सरकारी नौकरी लग जाए तो जिंदगी के लिए रोटी है जिंदगी के सारे संघर्ष खत्म,जिंदगी बड़े आराम से कटती है ।बेटियों के लिए तो सरकारी नौकरी ही सबसे अच्छी होती है। उस पर शिक्षिका की … Read more

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