दिल का रिश्ता – बेला पुनीवाला

बात उन दिनों की है, जब निधि १८ साल की उम्र की हुआ करती थी, निधि के घर के सामने वाले घर में अभी कुछ दिन पहले ही दो लड़के भाड़े पे रहने आए थे। दोनों दिखने में हैंडसम और खानदानी घर के लगते थे, दोनों  मुंबई इंजिनयरिंग की पढाई के लिए आए थे । … Read more

पूर्ण विराम – डॉ उर्मिला शर्मा

पड़ोस में रहने वाले  प्रताप जी जो हाल ही मे रेलवे की नौकरी से रिटायर हुए हैं से अक्सर शाम को पार्क में टहलते हुए मुलाकात हो जाया करती थी और थोड़ी देर उनसे बातें   भी हो जाती थी। जब किसी बात की जल्दी न हो तो उनके साथ पार्क की बेंच पर बैठ … Read more

सासू मां! आपने मुझे उड़ना सिखाया – सरगम भट्ट

रीमा की सगी मां नहीं थी , उसकी सौतेली मां रेनू थी जिसके खुद के दो बच्चे थे ! एक बेटा मोहक और एक बेटी सुहानी ! रीमा रेनू को फूटी आंख ना सुहाती थी , रेनू सिर्फ अपने दोनों बच्चे मोहक और सुहानी से ही प्यार करती थी । रीमा सारा दिन घर का … Read more

सुख – बरखा दुबे शुक्ला

नेहा के पास रहने आयी उसकी माँ दोपहर में बोली “बिटिया कल तुम्हारे भईया का फोन आया था, तो पूछ रहे थे माँ कब लेने आये । “ “अरे माँ अभी जाने की बात न करो ।” नेहा बोली । “अरे बिटिया एक महीना हो गया है , अब घर वापस जाएंगे ।” “माँ पहली … Read more

तेजाब – विनय कुमार मिश्रा

“बहुत घमंड है ना उसे अपने चेहरे पर! अगर वो मेरी नहीं हो सकती तो किसी की होने लायक नहीं छोडूंगा” “ठीक कहा तूने, क्या कमी है तुझमें जो वो उस गौरव से बातें करती है” “आज देख तू, मैं उसका चेहरा ही जला दूँगा, फिर वो खुद से भी बातें करने से घबरायेगी” “आज … Read more

दिल का रिश्ता –  उमा वर्मा

रिश्ते तो कयी से जुड़े पर ” दिल का रिश्ता ” किसी खास से ही ।यहाँ मैं दो अपने की बात करना चाहती हूं जिससे मेरे दिल के रिश्ते जुड़े हैं ।आशा है मेरी दोनों कहानी को आदरणीय मुकेश जी एवं गोविंदगुपता जी स्वीकार करेंगे    पहली— मेरी वीणा दीदी, ____ मै अपनी भाभी के … Read more

 रिश्ता प्यार का – कमलेश राणा

गोमती जी हमारी पड़ोसन भी हैं और मम्मी की प्रिय सखी भी हैं,,दोनों एक ही गाँव की हैं,,तो बहनों जैसा प्यार है उनमें,,   कुछ दिन पहले मायके गई तो उनसे मुलाकात हुई,,   आंटी कैसी हैं आप,,बहुत कमजोर दिख रहीं हैं,,   बेटा,,अब 90 साल की उमर में और कैसे होंगे,,भगवान भूल ही गया … Read more

क्या रक्त से बने रिश्ते ही सच्चे होते हैं – अर्चना कोहली ‘अर्चि’

रक्षाबंधन का त्योहार आने में कुछ ही  दिन बचे थे। गरिमा अपने भाई के लिए राखी खरीदने बाजार गई। राखी खरीदते समय उसे अनायास ही विनय की याद आ गई। विनय मेरी प्रिय सखी अनु का भाई था। अनु और मैं कक्षा आठ से साथ पढ रहे थे। विनय बहुत ही मिलनसार, हँसमुख और हाज़िरजवाब … Read more

 वफादार – रणजीत सिंह भाटिया

सखाराम हर दिन की तरह अपना काम खत्म करके घर लौट रहा था, वह एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में मजदूरी करता था, ठंड के दिन थे सूरज जल्दी डूब जाता था, और ठंड बहुत बढ़ती जाती है चलते चलते सखाराम को किसी कुत्ते के पप्पी की रोने की  आवाज सुनाई दी पास जाकर देखा तो एक … Read more

गुलाब की दो पत्तियाँ – डा. मधु आंधीवाल

———– रमन और सोनी की मित्रता पूरे कालिज में चर्चित थी । एक पवित्र प्रेम का अद्भुत संगम । कुछ लोगो को तो विश्वास ही नहीं होता था कि इस पाश्चात्य रंग में रंगी दुनिया में इतना निर्मल गंगाजल की तरह प्यार भी हो सकता है। दोनों ने प्रण किया कि जब तक पूरी तरह … Read more

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