गुरु दक्षिणा – भगवती सक्सेना गौड़

वीरेन एक उच्च अधिकारी कुछ काम से अपने बचपन के शहर जा रहे थे, प्लेन तेज़ी सी आकाश में उड़ रहा था और वो बचपन की सारी यादों को चलचित्र की भांति आकाश के स्क्रीन पर देख रहे थे। अम्मा एक मास्टरजी के यहां घर का काम करती थी, कभी उसको भी ले जाती थी। … Read more

कागज के फूल – सुधा शर्मा

वसुधा का मन बेचैन था।बहुत कोशिश करती खुद को बहलाने की पर बार बार खूबसूरत यादें आकर फिर उसे ले जाती थीं अपने आगोश में जहाँ राज के प्यार के एहसास से, उसकी आवाज की गूँज, उसके शब्दो से फिर बार बार बेचैन हो उठती।                कैसे वह उसे नीरस उदास शुष्क दुनिया से बाहर निकाल … Read more

” तड़प रिश्तो की  ” – अनिता गुप्ता

माया  ने जब से विनोद जी के घर में सफाई-बर्तन शुरू किया  तब से बैचेन रहने लगी। उसकी बैचेनी का कारण था उनका दो साल का बेटा कृष्णा। माया  जब भी कृष्णा को देखती उसके प्रति एक लगाव सा महसूस करती। उसका मन उसको गोद में लेने के लिए मचल उठता। लेकिन विनोद जी की … Read more

घर-परिवार – पूजा मनोज अग्रवाल

विवाह के बाद कुछ खट्टे मीठे अनुभवों से जीवन की नई पारी की शुरुआत हो रही थी । अंतर्जातीय विवाह के चलते सब रीति -रिवाज  , परम्पराएं सब मायके से बिल्कुल भिन्न थी , इसलिये सबसे सामंजस्य बिठाने में भी मुझे थोड़ी परेशानी का अनुभव हो रहा था । खैर , सोना भी आग मे … Read more

एक मुट्ठी उम्मीद,, – सुषमा यादव

मैं अठयासी साल में चल रहा हूं, अपने बेटी के साथ ही रहता हूं, बेटे बहू ने बहुत साल पहले ही हमसे पल्ला झाड़ लिया था, मुझे और मेरी पत्नी को दस दिन रखने के बाद गाड़ी करके गांव भिजवा दिया था कि मेरे घर में आप लोगों के लिए जगह नहीं है,, मैं इस … Read more

*पुरानी यूनिफॉर्म* – अर्चना नाकरा

दीवार पर लटकी बेटे की तस्वीर देखकर सरोज ठंडी आहें भर रही थी कहां ‘स्कूल से एक भी छुट्टी ना लेने वाली सरोज’ अब,’ स्कूल जाने से भी कतराने लगी थी’ कसूर क्या था उसका? पति के जाने के बाद, उसे “विधवा कोटे से” अनुकंपा नौकरी मिली थी गृहस्थि टूट गई थी पर हिम्मत नहीं! … Read more

 बेटे में अटके उसके प्राण – सुषमा यादव

,,तेरा पिछले जन्म का है , मुझसे रिश्ता कोई, ,,वो कौन थी,,जो सबको दगा दे गई,,   मेरी दोनों बेटियां बोर्डिंग स्कूल नैनीताल में पढ़ने चली गईं थीं । बड़ी बेटी के बाद जब छोटी बेटी भी वहां पढ़ने चली गई तो घर मानो काट खाने को दौड़ रहा हो,, मैं और ये नौकरी पर … Read more

आप ही हो मेरी प्रेरणा शक्ति – अर्चना कोहली ‘अर्चि’

आज ऑफिस में सब तरफ गहमागहमी है। किसी का भी काम में मन नहीं लग रहा है। आखिर आज ऑफिस में सबकी सालभर की मेहनत का नतीजा वेतन-वृद्धि के रूप में जो मिलना है। एक-एक करके सब बॉस के ऑफिस में आ-जा रहे थे। किसी के मुखमंडल पर खुशी तो किसी के मुखमंडल पर उदासी … Read more

अब पछताए होत क्या , जब चिड़िया चुग गई खेत !! – सरगम भट्ट

बिटिया की फोटो कलेजे से चिपका विलाप कर रही  ठकुराइन ,  रोने के साथ-साथ ना जाने कितनी गालियां और बद्दुआएं भी दे रही थी । और हां उन लोगों को सबक सिखाने का भी ठान रही है । लेकिन काश ! ठकुराइन समय रहते कदम उठा लेती , तो ऐसी नौबत क्यों आती । लेकिन … Read more

मुझे भी आराम चाहिए – के कामेश्वरी

माधुरी पूना के एक बहुत बड़े स्कूल में तीस साल से काम कर रही थी । वह अपनी मेहनत से हेडमिस्ट्रेस भी बन गई थी । उसकी दोनों बेटियों ने भी अपनी पढ़ाई वहीं उसी स्कूल से पूरी की थी । अपनी तीस साल की नौकरी से आज वह रिटायर हो रही थी । बहुत … Read more

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