ज़िंदगी के ताने बाने – के कामेश्वरी
सुबह के आठ बजकर तीस मिनिट हो गये थे । विनय घड़ी की तरफ़ नज़र घुमाता है और जल्दी – जल्दी तैयार होते हुए मन ही मन अपने आपको कोस रहा था कि अलार्म के बजने पर उसे बंद कर फिर क्यों सो गया । तभी माँ ने कमरे में प्रवेश किया । विनय उन्हें … Read more