ज़िंदगी के ताने बाने –  के कामेश्वरी

   सुबह के आठ बजकर तीस मिनिट हो गये थे । विनय घड़ी की तरफ़ नज़र घुमाता है और जल्दी – जल्दी तैयार होते हुए मन ही मन अपने आपको कोस रहा था कि अलार्म के बजने पर उसे बंद कर फिर क्यों सो गया । तभी माँ ने कमरे में प्रवेश किया । विनय उन्हें … Read more

  संदेह का घेरा –    मुकुन्द लाल

  जयंत ने बेवजह अच्छी खासी बनी हुई मूर्तियों को डंडे के वार से तोड़ दिया। उसकी पत्नी पुष्पा पहले हैरत से देखती रह गई, फिर वह सहन नहीं कर पाई, वह उबल पड़ी, ” पागल हो गये हो? दिमाग खराब हो गया है, क्यों तुमने मूर्ति तोड़ दिया?”   “हांँ!… मैं तोड़ दूँगा!… मेरा कोई दिल … Read more

” लता ” – गोमती सिंह

       *********   ———नीता ने अपने पति के सामने जैसे ही भोजन की थाली रखी , उसे देखकर उसके पति गुस्से से भड़क गए चिल्लाते हुए कहा-तुम्हें पता है न कि खाना खाने के तुरंत बाद मैं मिठाई खाता हूँ  , तो तुम मिठाई क्यों नहीं रखी हो थाली में।   जी…..जी…..नीता कुछ बोल पाती … Read more

आशंका – विनोद प्रसाद

मैं अपने कमरे में बैठा चाय पी रहा था। साथ में मेरी पत्नी मीना भी थी जो कुछ घरेलू कार्यों में व्यस्त थी। सामने ही हमारे दोनों बच्चे विमी और विकी खेल रहे थे। बाहर जोरों की बारिश हो रही थी। अचानक बच्चों की किसी बात ने हम दोनों को आकर्षित किया। मीना भी उनके … Read more

गोंद के लड्डू – अंजू अग्रवाल ‘लखनवी’

मिनी नहा कर निकली तो उसने किचन में खटर-पटर की आवाजें सुनी! झांककर देखा तो मम्मी जी किचन मे उलट पलट कर कुछ ढूंढ रही थीं! मिनी की शादी को अभी डेढ़ महीना ही हुआ था, इसलिए कुछ समझ नहीं पाई कि मम्मी जी कुछ ढूंढ रही हैं या सिर्फ बर्तन पटक रही हैं! “क्या … Read more

“अनकहा‌ रिश्ता!” – प्रियंका सक्सेना

“आंटीईईई… यहां आओ!” छोटी सी मान्या पड़ोस में सुधा के घर में एंट्री करते हुए बोली। उसके हाथ में मेकअप का ब्रश था जो शायद वह अपनी मम्मी की ड्रेसिंग टेबल से उठा कर लाई थी। सुधा प्यार से बोली,”मान्या बेटा, पहले ब्रश रख कर आ जाओ फिर मैं तुम्हें चॉकलेट देती हूॅ॑।” “आंटी कहां … Read more

वतन वापसी – डॉ पारुल अग्रवाल

रोजी-रोटी चीज ही ऐसी है जिसके लिए कई बार हम लोगों को किसी कारण से अपना देश छोड़कर विदेश में बसना पड़ता है। अधिकतर हम भारतीय संस्कारों से जकड़े लोग अपने देश में रहकर अपने देश के बारे में कुछ भी सोचें पर विदेशी धरती पर अपने नैतिक मूल्य और संस्कृति को बहुत याद करते … Read more

मैं ही परायी हूँ – गुरविंदर टूटेजा

अप्रकाशित    दो ही महीने के अंतराल में नीतू ने अपने मम्मी-पापा को खो दिया….बेचारी मासूम को ये ही नहीं समझ आया कि उसकी पूरी दुनिया लुट गयी हैं… थोड़ा रोयी पर पर संयुक्त परिवार था उसे तो सब अपने ही लगते थें..!!    मम्मी-पापा के जाने के बाद अपने कमरे से निकलकर बड़ी मम्मी के कमरे … Read more

तेजाब  – मीनाक्षी चौधरी

मोहित के एक तरफा प्यार ओह नही इस मनोदशा को प्यार नही कह सकते, मोहित की एक तरफा सिमरन को पाने की इच्छा व सिमरन की ना ने इस हादसे को जन्म दिया। सिमरन एक बहुत ही खूबसूरत व मेधावी छात्रा थी। मोहित और सिमरन एक ही कोलेज में पढ़ते थे। मोहित बार बार सिमरन … Read more

दिल का रिश्ता – निभा राजीव “निर्वी”

मीता इस शहर में नई नई आई थी। अभी-अभी उसके पति का स्थानांतरण इस शहर में हुआ था। दो-तीन दिन तो जमने में ही लग गए। बच्चों का विद्यालय में नामांकन भी कराना था। नामांकन के बाद उस दिन वह बच्चों को बस पड़ाव पर छोड़ने जा रही थी,तभी रास्ते में एक विक्षिप्त भिक्षुणी को … Read more

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