तेरा साथ – रश्मि प्रकाश

सब सो रहे थे पर रागिनी की आँखो से नींद कोसों दूर थी वो आज की घटना याद कर के सिहर उठी। आज कॉलेज से आते वक्त समर ने बहुत जिद्द किया चलों पास के कॉफी शॉप पर चलते हैं रागिनी ने मना किया तो समर थोड़ा गुस्से में बोला ,“कभी तो कुछ वक्त मेरे … Read more

मन के हारे हार है मन के जीते जीत – अर्चना कोहली ‘अर्चि’

नववर्ष के उपलक्ष्य में सामुदायिक केंद्र में स्वरचित कविता-पाठ का आयोजन किया गया था। इच्छुक प्रतिभागी एक-एक करके अपनी स्वरचित कविता का पाठ मंच पर आकर कर रहे थे। अर्पिता ने नंबर आने पर जैसे ही कविता-पाठ करना आरंभ किया, वैसे ही सभी श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो उठे। इतनी मधुर, सधी हुई आवाज़। भावों में लिपटी … Read more

सांध्य प्रहर का प्यार – सुधा जैन

वसुंधरा अपनी उम्र के उत्तरार्ध को पार कर रही है ।वसुंधरा बहुत ही संवेदनशील, भावनाओं से भरी कोमल नारी है। उसके जीवन के पूर्वार्द्ध को देखें तो उसके अनुभव अच्छे नहीं हैं ।जब वे छोटी थी तब अपने ही किसी रिश्तेदार के दुष्कर्म का शिकार होते होते बची, और उन हाथों की चुभन वह अभी … Read more

मौन क्रंदन – भगवती सक्सेना गौड़

डॉ सुषमा हड़बड़ा कर उठी , देखा कोई जोर जोर से दरवाजा खटखटा रहा है। मन नही कर रहा था, फिर भी उन्हें उठना पड़ा। खोला तो नौकर ने बताया सुबह ही पटियाला से पापा का फ़ोन था, बुलाया है। समझ गए और दोनों डॉ पति पत्नी गाड़ी लेकर निकल पड़े । सुषमा की माँ … Read more

“लापरवाही” – मीनाक्षी राय

आज मैं एक कहानी लिख रही हूं जो कि हमारे घर की आम जिंदगी पर है,,,, और एक ऐसी लड़की की,,,,,जो अपनी जिंदगी में कितनी लापरवाह है ,,,,उसके बारे में मैं आप सब को बताना चाहती हूं | ‘अदिति और आद्या’ मीराजी और कैलाशजी की दो बेटियां हैं,,,अदिति बडी है घर मे और आद्या छोटी … Read more

दामन – कंचन श्रीवास्तव

सभी जगह गंध मची हो खुद की तो चुप बैठना चाहिए, क्योंकि जितनी सफाई दोगे लोगों के मन में शंका और भी  पैठ बनाती जाएगी। हां यही सच्चाई है क्योंकि दुनिया उधर भागती है जिधर भीड़ हो,अकेले चलने वाले के साथ कभी नहीं चलती,यह जानते हुए भी कि सच्चाई इसी के साथ है, क्या करें … Read more

*अनुकरणीय* –  नम्रता सरन “सोना 

राजेश्वरी मैडम टेडी रूम मे ले गई…. वहाँ अलग अलग पालनों मे नन्हे नन्हे शिशु लेटे हुए थे… कोई अपने नन्हे नन्हे हाथ पैर हिला रहा था…कोई सो रहा था…कोई मुस्कुरा रहा था… तो कोई रो रहा था। “मिसेस सिन्हा आईए ..मै आपको बताती हूँ.. कौन बेबी है…कौन बाबा है…उम्र तो लगभग एक माह के … Read more

अम्मा की पाती – कंचन श्रीवास्तव

डोर बेल बजी तो रेखा ‘ आई ‘ कहते हुए किचन से बाहर आई और दरवाजा खोलते ही देखा तो डाकिया खड़ा था। उसे देख उसकी आंखें चौड़ी हो गई।जरूर बैंक का पासबुक आया होगा सोच ही रही थी कि डाकिए ने एक लिफाफा पकड़ाते हुए कहां । बहुरानी चिट्ठी आई है चिट्ठी । तो … Read more

जिम्मेदार – ऋतु अग्रवाल

रम्यक अक्सर ऑफिस देर से आता। बाॅस उससे नाराज रहते। कभी-कभी देर से आने के लिए डाँटते भी पर रम्यक को बर्खास्त नहीं करते थे। एक तो वह मृदु स्वभाव का व्यक्ति था, दूसरे प्रत्येक कार्य को निपुणता के साथ करता था पर इसके अलावा कुछ ऐसा भी था कि बाॅस उसे काम पर रखे … Read more

अनजानें रिश्तें – गुरविंदर टूटेजा

अजय निधी पर चिल्ला रहा था कि…निधी तुम भी ना रोज एक नया रिश्ता बनाकर बैठ जाती हो…तुम्हें समझ क्यूँ नहीं आता कि ये दुनिया सिर्फ फायदा उठाती है…!!    देखो अजय मैं वही जाती हूँ जहाँ कोई मजबूर होता है या जरूरतमंद होता है और मैं अकेली तो हूं नहीं हम पाँच है आप तो … Read more

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