मातृत्व का अहसास – स्मिता सिंह चौहान

हाय री कमला, जरा सुनियों, किसी बच्चे की रोने की आवाज आ रही है।” बरखा इधर उधर नजरें घुमाकर देखने लगी। “लगा तो मुझे भी, लेकिन इस कूड़े के ढेर में थोड़ी ना कोई बच्चा होगा। कान बज रहे है हमारे। अब जल्दी पैर बढ़ा , वरना बधाई कोई और ले जायेगा। मुये सब हमारे … Read more

दूसरी औरत – अनिल कान्त

बाहर बीती रातों का अधूरा चाँद गोल हो आया था । भीतर सूना एकांत फैलता जा रहा था । जो हर नये दिन बढ़ता ही जाता था । रेंगते अकेलेपन को छिटकते हुए छुटके बोला -“नींद आने से पहले भी कितना सोचना होता है न !” -“हाँ शायद” पास ही लेटी मनु ने कहा । … Read more

 ” आज की बरसात ” – गोमती सिंह

           ऐसे तो तुम्हें सैकड़ो काम पड़े रहते हैं।  तुम्हारे साथ वक्त बिताने का इससे बेहतर मौका कब मिलता ।      मुझे बहुत डर लग रहा है जी , और आपको मस्ती सूझ रही है।          बारिश, बिजली और गर्जना की रफ्तार बढती जा रही थी तभी सामने एक ढाबा दिखाई दिया जहां चाय पकौड़ी … Read more

हम तुमसे न कुछ कह पाये –  ” रीमा महेंद्र ठाकुर “

रिमझिम सी बरिश  की बूदें टप टप सी कानों में कुछ कहने की कोशिश कर रही थी! मौसम खुशगवार था!  हवाओं की सन सनाहट  परधि के मन को जला रही थी!  परधि क्या कर रही हो”  एक चुप्पी “””””””””””वन लव मी “”टू नो लव मी “”””परधि कुछ बोलो ये फूलो को किस बात की सजा … Read more

लग्न भ्रष्टा – सुधा शर्मा

आते ही शिवनाथ बोले,”क्या बात है इतनी जल्दी में क्यों बुलाया? तबियत तो ठीक है? ”  ‘जल्दी ही तो है समय ही तो नहीं है ‘मन मे कहा गौरी ने।बोली,” सब ठीक है ।आज आप को खाना खिलाने का बहुत मन था।बैठो न।आज मैंने सब कुछ आपकी पसंद का बनाया है ।’ कितना सकूँ मिलता … Read more

नोजपिन – मनप्रीत मखीजा

आज फिर, वो मेरे लिए नोजपिन उठाकर ले आये। नोजपिन मुझे बिल्कुल पसंद नही है पर वो समझते ही नही! शादी के बाद ये मेरा दूसरा जन्मदिन है और इस बार भी वो मेरे लिए नोजपिन ले आये। पिछली बार भी यही किया था और मैंने बेमन से मुस्कुराते हुए, “थैंक यू ” कहकर रख … Read more

मेरी पहली गोवा यात्रा – कविता भड़ाना

  नमस्कार पाठकों   मेरी पहली कहानी “आखिर वह कौन थी?”…को आप लोगों के द्वारा मिले ढेर सारे प्यार के बाद आज मैं अपनी दूसरी कहानी “मेरी पहली गोवा यात्रा”…लेकर प्रस्तुत हुई हूॅं ,.. तो आइए मैं आपको अपने साथ ले चलती हूॅं सन 2007 में जब मेरी नई नई शादी हुई थी!  मेरे  नंदोई … Read more

 बेदर्दी कोसी   – गार्गी इवान

शाम की गोधूलि बेला ने ज़मीन और आसमां दोनों को गुलाबी रंग से सराबोर कर दिया था। मोरम की कच्ची सड़क के किनारे, बूढ़े बरगद से पक्षियों के मजलिस की आवाज़ आ रही थी। गले में घंटी लटकाये बकरियों का झुंड, जुगाली करती हुई बढ़ चली थी घर की दिशा में।सावन आ चुका था।  “क्यों … Read more

साथ-साथ – अंशु श्री सक्सेना

कुन्नूर का मौसम अपने पूरे शबाब पर था, हवा में हल्की हल्की ठंड घुलने लगी थी । अस्पताल में मरीज़ कम थे इसलिए अवनि जल्दी घर आ गई थी । वैसे भी आज अस्पताल में उसका मन नहीं लग रहा था । एक अजीब सी बेचैनी और उदासी उसके दिल दिमाग को चारों ओर से … Read more

बरसात की वो रात – सुषमा यादव

,, पता नहीं क्यों ये जालिम, निर्दयी, बेदर्द बरसात हमें बचपन से ही पसंद नहीं है,,, बेतहाशा, झमाझम बारिश,, गड़गड़ाते बादल, कानों को फाड़ती,, चिग्घाड़ती हुई बिजली की तड़तड़ ये धुआंधार बरसात हमें एक भी नहीं सुहाती,, पता नहीं कैसे लोग बरसात में झूम झूम कर नाचते हुए भावविभोर हो जाते हैं,,हे भगवान, हमारे ऊपर … Read more

error: Content is protected !!