बेटी – भगवती सक्सेना गौड़

माइक में अपना नाम सुनकर आज कविता विस्मित होकर सबको देखने लगी उसे अपने कानों पर विस्वास नही हो रहा था। तभी पीछे से उसकी बेटी आराध्या ने कहा, ” जाओ मम्मी, बड़ी प्रतीक्षा के बाद ये अनमोल क्षण आपकी झोली में आया है। “ आश्चर्य मिश्रित हर्ष के साथ उसने कला भवन के स्टेज … Read more

बेवा औरत – कंचन श्रीवास्तव

**************** बहुत ढूंढ़ते ढूंढ़ने आज जाके उसे किराए का मकान मिला सच कितना मुश्किल होता है गर अपना घर न हो तो दर व दर की ठोकरें खाते फिरो, हर तीन साल पर मकान बदलते रहो,वो भी दस परसेंट ब्याज के साथ। उसे अच्छे से याद है जब वो  इलाहाबाद आई थी तो पचास रूपए … Read more

*सच हुए सपने मेरे*  – सोनिया मेहता 

#ख़्वाब   एक ज़माना था जब माँएँ बेटों की ही चाह करती थी। एक कुलदीपक ही वंश को तार सकता है। जन्मदात्री का मानो कोई रोल ही नहीं। कौशल्या व देवकी नहीं होती तो राम व कृष्ण कैसे होते ? बालसुलभ रुचियों का, ख़्वाबों का भी एक अनोखा संसार है। नए सपने अजब गजब से, … Read more

पुनर्मिलन का चाँद…  – विनोद सिन्हा “सुदामा”

वंशिका ऑफिस से अभी घर आई ही थी कि उसकी माँ का फोन आ गया… थोड़े अनमने ढंग से उसने माँ का फोन उठाया.. हाँ माँ बोलो…. अरे कहाँ थी बेटा…? कबसे फोन ट्राई कर रही लगातार बंद बता रहा..सब ठीक तो है.. हाँ माँ वो मोबाईल की वैटरी डिस्चार्ज हो गई थी.. वर्क लोड … Read more

” मेरी प्रेरणा ” – गोमती सिंह

घर में डाक पोस्ट से ये सूचना मिली थी कि मुझे छत्तीसगढ़  साहित्य साधना संस्था में कहानी प्रतियोगिता में बिलासपुर जिला से प्रथम पुरस्कार ग्रहण करने के लिए बिलासपुर में आमंत्रित किया गया है।  सूचना पढ कर मैं फूला नहीं समा रही थी , मेरे पांव जमीं पर नहीं पड़ रहे थे । दौड़ते हुए … Read more

एक ख्वाब टूटे तो क्या दूसरा ख्वाब तुम सजाओ  – संगीता अग्रवाल

#ख़्वाब  ख्वाब सोती आंखों से देखे हुए कुछ सपने जिनका कई बार हकीकत से कोई सरोकार नही होता। लेकिन जब यही सपने जागती आंखों से देखे जाएं तो जिंदगी का वो अटूट हिस्सा बन जाते हैं जिन्हें पूरा कर पाने या ना कर पाने दोनो सूरतों में इंसान की जिंदगी बदल जाती है क्योंकि पूरा … Read more

घरेलू सपने – अनुपमा

रचना उठो चाय पी लो आकाश ने रचना को आवाज दी तो रचना ने आंख खोल के देखा सामने आकाश हाथ मैं चाय और बिस्कुट की ट्रे लेकर खड़ा था ,रचना बड़े आश्चर्य से आकाश की तरफ देखा तो आकाश मुस्कराने लगा और उसके गाल पर प्यार से चपत लगा दी और कहा जल्दी से … Read more

सपनों की कीमत – संजय मृदुल

काठ के पुतले की तरह बैठे नरेंद्र पंडित जी के निर्देश का पालन किये जा रहे थे। मानो  बस कान ही हों वहां, बाकी शरीर और आत्मा बेटी को अनन्त आकाश में ढूंढने गयी हो जैसे। दशगात्र है आज रुचि का। मंडला में नर्मदा के संगम में क्रियाकर्म सम्पन्न करते नरेंद्र का मन हुआ कि … Read more

विदाई का टीका – नीरजा कृष्णा

इस वर्ष  माँबाबूजी के जाने के बाद राखी दीदी और जीजाजी पहली बार उनके पास एक सप्ताह के लिए आ रहे थे। राजेश और रागिनी बहुत खुशी से सब व्यवस्थाएँ देख रहे थे। राशन के सामानों की लिस्ट बन रही थी, तभी राजेश बोल पड़ा, “देखो रागिनी! बहुत दिनों पर दीदी जीजाजी के साथ आ … Read more

सपनों से समझौता ** – डॉ उर्मिला शर्मा

  #ख़्वाब एक छोटे से शहर के निकटवर्ती गॉव की नम्रता स्नातक की छात्रा थी। जो रोजाना सायकिल से शहर के कॉलेज में पढ़ने जाया करती थी। औसत दर्जे की पढाई में नम्रता बहुत ही महत्वाकांक्षी लड़की थी। घर में तीन भाई- बहनों में नम्रता सबसे छोटी सबकी चहेती थी। उसका निम्न मध्यमवर्गीय परिवार बुनियादी जरूरतों … Read more

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