इंतजार ” – गोमती सिंह
–मार्च का महीना था। रात के लगभग 9 बज रहे थे । सर्दी विदा ले चुकी थी। अत: धीमी गति से पंखा चल रहा था। नीरजा औंधी लेटी हुई अपनें पति देव के आने की राह देख रही थी। इस तरह कुछ बीते हुए बातों के बारे में सोचते हुए उसका मन अतीत में चला … Read more