मैं शोक कैसे मनाऊँ – नीरजा कृष्णा

पिछले मास पहले उसके इकलौते भाई का सड़क दुर्घटना में देहावसान हो गया। परिवार पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था…बहुत चाह कर भी वो उस दुख की घड़ी में अपनी माँ और भाभी को ढाँढस बधाने नही जा पाई थी। उसी समय उसके चचेरे देवर की भी मृत्यु हो गई थी। चाची जी … Read more

हनीमून – नीरजा कृष्णा

ताई जी अपने प्यारे भतीजे कुणाल के विवाह में सम्मिलित नही हो पाई थीं। अब वो सबसे मिलने कुछ दिनों के लिए आई थीं…बहू सुकन्या से मिलने का विशेष चाव था। साथ ही देवरानी यशोदा भी बीमार थीं…एक पंथ दो काज…सोच कर वो चली आई थीं।   उन्हें सुकन्या का सान्निध्य बहुत अच्छा लग रहा … Read more

बड़ी बहू, बड़े भाग – नीरजा कृष्णा

आज बहुत दिनों के बाद उनको खूब खिलखिलाकर हँसते देख कर दिल बाग बाग हो गया। वो अपनी आत्मीया मित्र  से फ़ोन पर बहुत मगन होकर बात कर रही थीं।  हमारी ये  दीदी पीहर में भी सबसे बड़ी हैं और अपनी ससुराल में भी।   उम्र में तो बड़ी थी हीं, हर चीज़ में भी … Read more

श्राद्ध – डॉ आदर्श

नम्रता  पति दिवाकर के साथ आज मायके आई हुई है । श्राद्ध है माँ – बाबूजी का । पूरे सात बरस गुज़र गए । कुल 3 महीने का ही फ़र्क़ रहा ,पहले माँ पूरी हुईं और फिर बाबूजी । मन नहीं करता उसका यहाँ पैर रखने को । बचपन से लेकर कॉलेज तक के सारे … Read more

दवा-दारू – शालिनि दीक्षित

“पापा-पापा यह देखिए अपने घर में भी ड्रग है, टीवी वालों को पता चल गया तो हमको भी पकड़ कर ले जाएंगे………” छः साल का चिंटू परेशान सा अंदर से दौड़ाता हुआ आया और बोला। “ड्रग!!! कहाँ है?” विशाल ने आश्चर्य मिश्रित घबराहट में पूछा। “अभी दिखाता हूँ।” कह कर चिंटू अंदर भाग गया और … Read more

सोने की चूड़ियाँ – रश्मि स्थापक

” सोनल … बस मैं जो दे रही हूँ उसे चुपचाप रख लेना।” कहते हुए रजनी ने अपनी ननद सोनल को सुंदर डिब्बी में रखी चमचमाती हुई अपनी सासू माँ की सबसे फेवरेट सोने की चेन  थमा दी। ” अरे!यह क्या कर रही हैं आप?” कहते हुए सोनल ने पलंग पर लेटी हुई अपनी माँ … Read more

 चारों धाम घरवाली है ” -अनामिका प्रवीण

” सुनिए ! मोहित , “ ” हां कहिए मैडम ! आवाज़ में इतनी चाशनी कैसे आज ? सुनो की जगह सुनिए ! “ ” वो बात ऐसी है कि कल मेरे मम्मी पापा और रानो लकी आ रहे हैं । आप प्लीज उन्हें स्टेशन से लेकर आ जाना । मैंने उनका ट्रेन शेड्यूल आपको … Read more

श्रवण कुमार – अनुज सारस्वत

“बेटा तीन साल हो गये कब आयेगा तू घर अपने मेजर से बोल ना छुट्टी के लिये “ सुखबीर की माँ ने फोन पर अपने पैरामिलिटरी फोर्स में भर्ती बेटे से कहा “माँ आ जाऊंगा अभी मेरी ड्यूटी हरिद्वार महाकुंभ में लगी है एक महीने के लिए “ कुंभ का नाम सुनते ही माँ की … Read more

नचनिया: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

जब वो नाचती तब लगता ही नहीं की उसके शरीर में हड्डी का एक टुकड़ा भी है। वो जहाँ भी जाती सारे पुरुष दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते। पुरुष तो उसके रुप पर मोहित हो ही जाते स्त्री भी उसके रुप से जलने लगती। लंबे घुंघराले कमर तक लटकते बाल, सुराहीदार गर्दन, मुट्ठी में पकड़ आ … Read more

 एक टुकड़ा – अर्चना गुप्ता

ज़िंदगी में हम हर वक्त ख़ुशियों के पीछे भागते रहते हैं और ख़ुशियाँ हमसे और दूर भागती जाती हैं …….इंसान सारी ज़िंदगी मेहनत करता है की ज़िंदगी में आगे बढ़े, लेकिन ज़िंदगी हर बार उससे दो कदम आगे चलती है । एक वक्त आता है जब लगता है कि अब सब कुछ हासिल हो गया … Read more

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