दोबारा गरम की हुई चाय – ज्योति व्यास
मेरा बेटा ,मेरी बहू ,मेरा पोता….. ओ माय गॉड !कितना बोलती है यह महिला। एक तो सुबह ऑफिस पहुँचने की जल्दी ,सारे काम निपटा के समय से निकलना और ऊपर से इतनी तेज आवाज़ में बातचीत !दोनों में तालमेल बैठाना मुझे थोड़ा जटिल ही लगता है। ये महिला और कोई नहीं मेरी गृह सहायिका है … Read more