बहोत गुरुर न कर अपने आप पे ऐ दोस्त
मिट्टी का खिलौना है
टूटकर बिखरता है
ख़ौफ़ नहीं मुझको दरिया की गहराई से जिसमें डूबने का हुनर हो वो उभरता है|
हालात से लड़ता रहूँगा तब तक ‘तनहा’, जबतक बिगड़ा मुक़द्दर नहीं सँवरता है|
तलाश करीये मेरी
कमी को अपने दिल मे
दर्द हो तो समझ लेना, के रिश्ता अभी टूटा नही
जो मिला उसमें ही खुश रहता हूँ…
मेरी उंगलियां ही मुझे सिखाती हैं
दुनियाँ में बराबर कोई नहीं है
मौसम बहुत सर्द है
ऐ दिल, चलो कुछ ख़्वाहिशों को आग लगायें..
1 मिनट…..
की कीमत उस से पूछो जिसकी ट्रेन 1 मिनट से मिस हुई हो।
1 सेकंड….
की कीमत उस से पूछो.. जो दुर्घटना से बाल बाल बचा हो।
1 हफ्ते…..
की कीमत उस से पूछो जो पूरा हफ्ते अस्पताल में रहा हो।