रीता अपने माँ बाप की एकलौती संतान थी । उसने b. Com किया हुआ था । रीता की इच्छा थी कि वह अपनी पढ़ाई आगे जारी रखे और बैंक की तैयारी करे तथा बैंक मे नौकरी करे लेकिन कुछ ऐसी परिस्थियाँ पैदा हो गयी जिससे रीता के माँ बाप ने उसकी शादी जल्दी ही कर दी, लेकिन रीता ने सोचा कि वह शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखेगी ।
रीता के माएके मे सिर्फ तीन लोग थे रीता और उसके मम्मी पापा लेकिन उसके ससुराल मे कुल 30 लोग थे । रीता का ससुराल सयुंक्त परिवार था , उसके पति आदर्श के परिवार मे सभी लोग उसके चाचा चाची , ताऊ ताई आदर्श के माँ बाप , भाई , बहन और सभी लोग साथ ही रहते थे। रीता ने कभी अपने माएके मे इतना काम तो किया नही था क्यूंकी उसके माएके मे छोटा सा परिवार था ।
लेकिन रीता के ससुराल मे तो इतना बड़ा परिवार था इसलिए शादी के शुरुआती दिनो मे रीता को घर के काम -काज करने मे बहुत ही परेशानी होती थी । रीता को सही से कुछ समझ नही आता था कि वो क्या करे और किस तरह से करे ।
आदर्श की बहन ने रीता को नाप तौल की जानकारी दी कि आटा ,तेल , मसाले इत्यादि कितनी मात्रा मे लेनी चाहिए । धीरे धीरे रीता ने सभी काम काज भी सीख लिया और घर को अच्छी तरह से संभालना भी सीख लिया ।
धीरे धीरे गृहिणी के रूप मे उसका जीवन बीतने लगा वो गर्भवती हुई और 9 महीने बाद उसने एक बहुत ही सुंदर सी बच्ची को जन्म दिया । फिर रीता का जीवन बच्ची के लालन पोषण और घर के काम काज मे गुजरने लगा ।
उसका पूरा दिन कैसे बीत जाता था उसे भी पता नही चलता था । रीता ने जो सपने देखे थे वो अब दबा चुके थे । रीता ने तीन चार साल बाद फिर एक बेटे को जन्म दिया । धीरे धीरे रीता का परिवार सयुंक्त से एकल परिवार मे बदल गया और इधर धीरे धीरे दोनों बच्चे भी बड़े होने लगे ।
जिस जगह रीता रहती थी, वही पर पड़ोस मे ही एक परिवार शर्मा जी रहने आए । शर्मा जी के परिवार मे उनकी पत्नी और उनके दो बच्चे थे । आरती एक टीचर थी और शर्मा जी काम के सिलसिले मे अक्सर टूर पर रहते थे ।
शर्मा जी के दोनों बच्चे हॉस्टल मे रहते थे । आरती जब कभी भी रीता के घर मे देखती रीता हमेशा कोई न कोई घर का काम करती हुई नजर आती थी लेकिन आरती के पास घर का कोई खास काम नही होता था क्यूंकी आरती के बच्चे हॉस्टल मे रहते थे और उसके पति शर्मा जी ज़्यादातर टूर पर ही रहते थे वो स्कूल मे पढ़ाने के बाद खाली ही रहती थी।
आरती घर पर ज्यादातर अकेले ही रहती थी इसलिए कभी कभी खाना बनाती थी और कभी खाना बाहर से ही मँगवा लेती थी । कभी भी रीता ,आरती को स्कूल पढ़ाने जाते हुये देखती थी उसे अपने सपने याद आ जाते थे ,कि वो भी अपने जीबन मे कुछ करना चाहती थी।
लेकिन घर के काम काज और बच्चो के लालन पोषण मे उसके सपने कही खो गए । रीता बस यही सोचती रहती थी कि आरती स्कूल भी पढ़ाने जाती है फिर भी उसके पास इतना खाली समय रहता है और एक वो खुद उसका पूरा दिन तो घर के काम काज मे ही दिन निकल जाता है । रीता का पति अविनाश वो बहुत ही शांत स्वभाव का था । कभी भी किसी भी बात पर रोक टोक नही करता था
एक दिन रीता अपनी बेटी से अपने दिल की बताती है। रीता कहती है कि मै बैंक कि तैयारी करके बैंक मे नौकरी करना चाहती थी लेकिन कुछ परिस्थियाँ ऐसी हो गयी कि मेरी शादी हो गयी और मै घर के काम काज मे उलझ कर रह गयी और कुछ नही कर पायी ।
रीता कि बेटी सुप्रिया अपनी माँ कि बात काटते हुये कहती है कि अगर मम्मी आपने जॉब किया होता तो हमारी इतनी अच्छी परवरिश कैसे हुई होती ,हमारा ख्याल कौन रखता ? जब भी हम कंही से आते हैं हमे गरमा गरम खाना मिल जाता है । अगर आप जॉब करतीं तो ये सब हमारे लिए कौन करता ?
आज रीता के पति अविनाश की 60वी वर्षगांठ है साथ ही अविनाश रिटायर्ड भी हो रहा है । अविनाश के ऑफिस जाने का आज अंतिम दिन था। रीता सोचती है कि अब वो अपने पति के साथ ज्यादा से ज्यादा समय अविनाश के साथ बिता सकेगी ।
अब रीता कि इच्छा चाय पीने के इच्छा होती है कि चाय बना ले तभी अविनाश भी घर आ जाता है । रीता अपने और अविनाश के लिए चाय बनाती है । दोनों चाय पी रहे होते है तभी रीता अविनाश से पुछती है अविनाश क्या सोच रहे हैं आप ? रीता मै यह सोच रहा हूँ कि कल से मै करूंगा क्या ? जब ऑफिस जाना होता था तो रोज सुबह जल्दी उठकर नहाता था और तैयार होता था इसके बाद ऑफिस जाता था , लेकिन कल से कोई काम ही नही होगा मेरा दिन कैसे गुजरे
गा ? अविनाश कहता है रीता तुम जैसी औरतों कि लाइफ सही है ज़िंदगी भर ‘रिटायर्ड लाइफ ‘ की ज़िंदगी जीती है । उन्हे कभी भी किसी भी चीज की चिंता नही रहती है । यह सब सुनकर रीता स्तब्ध रह जाती है वह सोचती है कि उसने अपनी सारी ज़िंदगी घर की सेवा करने मे गुजर दी फिर भी उसे एक ‘रिटायर्ड लाइफ ‘ का खिताब क्यूँ मिला ?
दोस्तो घर के काम काज की कोई वैल्यू नही होती पुरुष यही सोचता है कि आखिर घर मे काम ही क्या होता है ? औरतें अपनी सारी ज़िंदगी घर परिवार के सेवा करने मे लगा देती है । फिर भी उन्हे यह कहा जाता है कि आखिर तुम घर पर सारा दिन करती ही क्या हो ?