जिम्मेदारीकभी खत्म नहीं होती – खुशी : Moral Stories in Hindi

रीना जी काम काजी महिला थी स्कूलमे पढ़ना फिर घर आकर ट्यूशन पढ़ाने बैठ जाना ।

उनके पति का काम ऐसा ही था चला चला ना चला वो गुस्से के भी  तेज थे  जब देखो रीना जी की बेजती करते ।

उनके दो बेटे थे जो अपनी मां को मेहनत करते देखते इसलिए लगन से पढ़ते थे

और अपने दम पर स्कॉलर शिप लेकर अच्छी अच्छी नौकरी पर लग गए।बड़ा घर गाड़ी सब आगया

अब बच्चे मां को कहते आप नौकरी छोड़ दो वो कहती जब तक हाथ पैर चल रहे है तब तक ठीक है।

तुम्हारी शादी करके तुम्हारी बहु से सेवा करवा आऊंगी। समय के साथ बड़े बेटे की शादी हुई

बहु आने के बाद  उन्होंने सोचा चलो जिम्मेदारी डालूंगी पर वो भी काम काजी थी दूसरा आते ही वो प्रेगनेंट हो गई

तो सारी  रीना जी को ही संभालनी पड़ती बहुत थक जाती पर आराम नही ।

उनके पति उन्हे कहते भी की जिम्मेदारी सौप दो बच्चो को पर वो बच्चो में ऐसी फसी थी की की वो सबकुछ खुद ही करती

बेटे का बेटा घर स्कूल सब वही संभालती। दूसरे बेटे की शादी हुई वो भी काम काजी।

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आई कहने को तो स्कूल में पढ़ती पर घर का खाना भी न। बनाना आता सुबह देर से उठती रीना जी सुबह सवेरे उठकर सारा काम कर स्कूल जाती

कोई मदद ना करता  सोचती थी बहु आएगी तो सुख मिलेगा पर कोई सुख नहीं बेटे भी बीवियों की भाषा बोलते

खुले आम तो कुछ न बोलते पर प्यार प्यार से मां से ही सब काम करवाते बहु स्कूल से चार बजे आती

बच्चे को स्कूल से आकर संभालना सब उन पर ही था ।

उनकी सहेली रागिनी भी उनको समझती की बहुओं पर काम छोड़ो पर वो यही कहती  कभी खत्म नहीं होती।

दोस्तो पर यह भी सच है की हम औरते घर की सुख शांति के लिए खुद ही सभी जिम्मेदारी ओढ़  लेती हैं।

शायद इसलिए जिम्मेदारी खत्म नहीं होती।

स्वरचित

आपकी

खुशी

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