“ज़िन्दगी का हर एक दिन अच्छा हो ये कोई ज़रूरी नहीं है….. कभी कभी बुरे दौर से भी ज़िन्दगी गुजरती है…. बस हमें हिम्मत और संयम से उसका सामना करना चाहिए….. चल उठ मेरे लिए चाय बना कर तो ला जरा।”रमाकान्त जी बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले
“ पर पापा …..।” राशि कुछ कहती उससे पहले रमाकान्त जी बेटी को सीने से लगाकर बोले,“ बस मेरी बच्ची…. अभी तेरा पापा ज़िन्दाहै….. तू चिन्ता मत कर।”
पापा के सीने से लग कर राशि को एक सुकून सा मिला और वो रसोई में चली गई जहाँ पहले ही माँ गंगा जी चाय बनाने को रख चुकी थी
“ अब कैसा लग रहा मेरा बच्चा…. मन ठीक हुआ….. राशि के हाँ में सिर हिलाते उसे चाय की ट्रे देते हुए बोली,“ ये लेकर चल मैं बिस्किट लेकर आती हूँ कल ही तेरी पसंद का लेकर आए थे बोल रहे थे वो आएगी तो साथ में खाऊँगा ।”
तीनों बैठ कर चाय की चुस्की लेने लगे पर राशि के ज़ेहन में अभी भी ससुराल घूम रहा था….
वो कभी इस तरह मायके नहीं आती थी जब भी आती पति निकुंज के साथ आती दो दिन रूक कर चली जाती थी…. पर इस बार आहत हो कर आई थी…..
चार दिन पहले ही उसकी ननद मनु बच्चों सहित पहुँच गई…. सासु माँ ने भी कुछ नहीं बताया…. इधर राशि शनिवार रविवार की छुट्टी देख निकुंज के साथ मायके आने की तैयारी कर रही थी….
मनु को देख कर राशि आश्चर्यचकित रह गई अनायास ही मुँह से निकल गया,“ अरे मनु आप … ऐसे अचानक…. बताया भी नहीं !”
ये सुनते ही मनु तो रोने लगी और बोली,“ माँ क्या अपने घर में भी मैं बोल कर आऊँगी…. क्या मेरा जब जी चाहे नहीं आ सकती…. देखो भाभी ने कैसे कह दिया…..?”
फिर तो पार्वती जी ने बहू को जमकर सुना दिया….. ,“ ये क्या तरीक़ा है बहू मनु से पूछने का…. तुमसे पहले मनु का घर है ये …. कैसे हिम्मत कर गई तुम कहने की…. आने दो निकुंज से कहती हूँ ।”
राशि एक तो मनु का रोना सुन घबरा चुकी थी उपर से सास की बात सुन और सहम गई…..
” मैं बस ऐसे ही बोल गई…. मुझे भी पता है ये मुझसे पहले मनु का घर है…. आप सब ने बहुत बार ये बताया भी है जताया भी है।” कह कर राशि सब बातें भूलाने की कोशिश कर ननद के लिए चाय नाश्ते का इंतज़ाम करने चली गई
जब सब कुछ लेकर आई तो बच्चे तो मामी के हाथों के टेस्टी पकवान का आनन्द लेने लगे पर मनु अभी भी मुँह फुलाए बैठी थी….. पार्वती जी ने भी बहुत कहा इतना ग़ुस्सा अच्छा नहीं…. पर मनु तो मनु थी
“ माँ मैंने तुम्हें बताया था कि नहीं मैं आने वाली हूँ फिर भाभी ने ऐसे क्यों पूछा ये बताओ?” मनु ने कहा
“ बेटा मैं राशि को बताना ज़रूरी नहीं समझी…. घर की बहू है …. घर की बेटी ही तो आ रही थी क्या बताती ….. कोई बाहरी मेहमान तो हो नहीं तुम …. ।” पार्वती जी ने कहा
“फिर भी माँ ….।” मनु कुछ ना बोली और चाय पीने लगी
शाम को जब निकुंज आए तो वो भी मनु को देख कर आश्चर्य व्यक्त किए तब पार्वती जी ने कहा,“ मैं ही नहीं बताई तेरे लिए सरप्राइज़ होता ….।”
दोनों भाई बहन गले मिले…. मनु को इस बात पर जरा भी आपत्ति नहीं हुई जब वही बात निकुंज ने कही।
रात को जब राशि निकुंज से कमरे में मिली तो बोली,“ माँ ने क्या कहा मेरे लिए और मनु …. पहले सुना दो जो सुनाना है….।”
“ यार क्या ज़रूरत थी मनु से ऐसे पूछने की…. किसी को भी बुरा लगेगा ।” निकुंज तकिये पर सिर टिकाते बोला
“ अरे वाह! वही बात भाई ने पूछ लिया तब तो बुरा नहीं लगा…. और तुम भी जानते हो इतनी मुश्किल से मैं भी मम्मी पापा के पास जाने के लिए सोच रही थी….. तुमने भी सहमति दे दी थी फिर मनु के आ जाने से तुम सब मुझे जाने नहीं दोगे तो कुछ बोलूँ भी नहीं….. वैसे ये घर मेरा भी कब से होगा ये बता दीजिएगा ….. मनु का है ये तो सब बताते रहते है उसके ससुराल के लिए भी कहते रहते हो उसका घर और मेरा घर निकुंज…? जहाँ मैं भी कुछ अपनी मर्ज़ी से कर सकूँ…. कोई आए जाए तो मुझे भी पता रहे…. खैर अब ये बताओ मेरे मायके जाने का क्या करूँ?” राशि कहते कहते रुआँसी हो गई थी
“ यार तुम औरतों का कुछ समझ नहीं आता उधर माँ की सुनो इधर बीबी को सुनो….. देखो जो मन करे वो करो…. पर घर में महाभारत नहीं चाहिए मुझे…. मनु आई है तो उसके बच्चों को लेकर मुझे घुमाने ले जाना है….. और तुम भी जानती हो मैं मना नहीं कर सकता।” निकुंज खीझते हुए बोला
राशि को भी निकुंज की बात चुभ गई थी…. कह सकता था बाद में चली जाना या कुछ और पर इस तरह के जवाब से राशि का मन किया अभी ही निकल जाए
शनिवार की सुबह नाश्ता तैयार कर राशि पार्वती जी को बोली,“ माँ मैं मायके जाने का सोच रही हूँ…. पहले से ही मेरा प्रोग्राम बना हुआ था ….सोमवार की सुबह आ जाऊँगी ।”
पार्वती जी कुछ कहती उससे पहले ही निकुंज ने कह दिया ,“ हाँ तो जाओ ना…. यहाँ सब लोग है ।”
ये बात राशि को और चुभ गई…. वो फिर किसी से कुछ ना बोली और मायके आ गई थी
मायके में बिना निकुंज के आया देख मम्मी पापा ने सवालों की झड़ी लगा दी …… राशि रोते रोते सब बता गई…..
तब उसकी माँ ने कहा भी सब नाराज़ थे तो बाद में आ जाती….
तब उसके पापा ने कहा,“ बेटा अब तो जो हो गया सो हो गया…. ऐसा करना इस बार कुछ दिन तू यही रह जा…. कह दूँगा तेरी तबियत खराब हो गई है….शायद तेरे ना रहने से तेरे घर में तेरी जगह महफ़ूज़ हो सके।”
“ बेटा तेरी चाय ठंडी हो रही है….कहाँ ख़्यालों में खोई हुई है…।” रमाकान्त जी बोले
“ वोऽऽ वोऽऽ पापा मैं कल का सोच रही थी….. वो जो आपने कहा रूकने को मैं नहीं रूक सकती पापा…. जो भी हो जैसा भी है घर मेरा है…. आज नहीं तो कल सब ये समझ ही जाएँगे….. शायद निकुंज भी…. यहाँ रूक गई तो ये झगड़ा मनमुटाव कहीं और ना बढ़ जाए….मैं कल सुबह ही निकल जाऊँगी पापा…. पता पापा आपकी बेटी ने ये फ़ैसला क्यों लिया….. क्योंकि उसके पापा ने कहा अभी तेरा पापा ज़िन्दा है….
और जिस बेटी का पापा उसके साथ हर कदम पर हो उसे इन सब छोटी छोटी बातों पर दिल नहीं लगाना चाहिए बल्कि सोच समझ कर फ़ैसला करना चाहिए….. वैसे भी परिवार को समेट कर चलना उनके बीच परस्पर सहयोग बनाए रखना आपदोनों से ही तो सीखा है…. मैं समझ गई पापा मनु कुछ दिन के लिए आ कर चली जाती है रहना तो मुझे उस घर में है तो उस घर की ज़िम्मेदारी भी तो मेरी हुई ना और फिर ननद के साथ बहन … दोस्त जैसा रिश्ता रखना चाहिए ना कि उसके आने से उसकी दुश्मन बन कर मायके आकर बैठ जाना चाहिए ।”राशि एक लंबी साँस छोड़ते हुए बोली
“ वाह जी आप एकदम सही बोल रहे थे हमारी पगली बिटिया सयानी हो गई है रुकने कहूँगा तो भी ना रुकेगी….. ।” गंगा जी हँसते हुए बोली
राशि समझ गई थी कि पापा यही चाहते थे कि वो खुद से कोई निर्णय करें….. भावावेश में आकर आ तो गई पर रूक जाएगी तो कलह ही होगा ।
राशि ससुराल चली गई….उसे देखते ही सबने कहा,“ भई इस घर में क्या चीज़ कहाँ रखी है बस तुम्हें ही पता …. अब आ गई हो तो सँभालो अपना घर ।”
जिस बात को वो सुनना चाहती थी आज सुन कर ख़ुशी से अपने कमरे की ओर बढ़ गई….. सामान रख कर रसोई में गई तो देखा मनु सबके लिए चाय बना रही थी ….वो बोली,“ भाभी जब मैं आऊँ तो आप मायके मत जाना ये घर आपके बिना बड़ा सूना लग रहा था…. वो आपका बहुत मन था इसलिए भैया ने जाने दिया ।”
“ अब से आप मुझे बता देना मनु फिर मैं नहीं जाऊँगी ।” कह दोनों ननद भाभी गले लग गई
दोस्तों ये तो घर घर की कहानी है….. पर सबका सुखद अंत हो ज़रूरी नहीं इसलिए कोशिश यही रहती है आज के समय में जहाँ सब में मनमुटाव चल रहे वहाँ थोड़ा तो आपसी सहयोग और प्यार बना रहे बस कहानी लिखने का उद्देश्य यही है ।
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धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
# ननद