सविता-बहू, मैंने तुझे हमेशा इतना प्यार दिया, हमेशा बेटी माना, तू अपनी माँ की एक बात नहीं मान सकती।
प्रीति (सविता की बहू)-मम्मी आप कुछ भी माँग लो पर ये पाप मुझसे नहीं होगा।
सविता-बस इस सुई को ही तो निकलना है, फिर सब दर्द-पीड़ा से मुक्ति मिल जाएगी। हर महीने के कीमियोथेरेपी का दर्द असहनीय होता है।
प्रीति-पर मम्मी मैं आपको हम सबसे दूर कैसे कर दूँ। आप ही तो मेरा मायका, मेरा ससुराल हो। जबसे शादी करके आयी हूँ हमेशा आपकी लाडो बनकर रही हूँ। इस लाडो से ये ग़लत काम नहीं हो पाएगा।
सविता-प्रीति तू मेरी लाडो हमेशा रहेगी, मैं अगले जन्म तेरी कोख से ही पैदा होऊँगी। पर इस जन्म मुझे मोक्ष दे दे। मुझे इस बीमारी से निजात दिला दे।
प्रीति-पर मम्मी कैंसर का इलाज अब संभव है हम आपको मुंबई के टाटा मेमोरियल में दिखायेंगे, बस प्रदीप (सविता की का बेटा) जी पैसों का इंतज़ाम कर ले, आप पहले की तरह बिल्कुल तंदुरुस्त हो जाओगी। वही घूमना फिरना, सखियों संग टिक्की खाना, सब करोगी।
सविता-बेटा इस बीमारी के साथ ३ साल हो गए है, अब और सुई और दवाई मुझसे नहीं खाई जाएगी। बेटा तुझसे हाथ जोड़कर कह रही हूँ ये सुई निकाल दे। मुझे यूँ तड़प तड़पकर कब तक देखोगे। कब तक मैं और तुम सब इस दर्द में रहोगे। देख प्रदीप (सविता की का बेटा) भी आता होगा, उसके आने से पहले भेज थे मुझे अपने प्रभु के पास।
प्रीति फफक फफककर रोने लगती है फिर कुछ देर बाद मम्मी के लिए गुड और पानी लाती है उन्हें बहुत सारा प्यार करती है और आँख बंद करके सुई निकालकर कमरे से बाहर बैठ जाती है। दो मिनट में ही सविता जी की साँसे बंद हो जाती है।
प्रीति अपने बाल नोचकर ख़ुद को कोसती है कि ये क्या अनर्थ कर दिया मैंने, पर अचानक से एक और आवाज़ आती है कि तुमने बहुत बड़ा पुण्य का काम किया है। अलविदा ! मैं जल्दी ही तुम्हारी कोख में आयूँगी।
आदरणीय पाठकों,
इस रचना के संबंध में आप सभी पाठकों से पूछना चाहती हूँ कि प्रीति ने सही किया कि ग़लत। आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा।
धन्यवाद।
स्वरचित एवं अप्रकाशित।
रश्मि सिंह
नवाबों की नगरी (लखनऊ)
#ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने
Sahi kiya. DIL se likh rahi hu. Medicine and hospitalisation jitana dard deta hai, utana rog bhi dard nahi deta hai. Bhagvan ko manjoor hoga wohi huaa hai, ab aage ye pareshani jelane wale or family jo DIL se unke pass hai, unke liye ye dared sahena bada mushkil ho jata hai 🥹🥹
Yes
I have already asked my child if it happens with me
Don’t take me to doctor make me happy so that I can leave the world happily