वक्त से डरो – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

लोग कहते हैं कि उस मादा सूयर का श्राप उसके पूरे परिवार को निगल गया था उसके पापों की जो सजा उसे मिली वो कुदरत का न्याय तो था मगर उन निर्दोषों को भी सजा मिली जिन्होंने कोई पाप किया नही था मगर उसके पापों ने उन्हें भी अपना नीबाला बना लिया

था।

लंबा छोड़ा शरीर काली घनी बड़ी बड़ी मूंछे और मूछों को हमेशा ताब देकर रखना । रौब ऐसा था कि आम आदमी उसके सामने मुहं खोलने से भी डरता था। कहानी है घोर जातिवादी इंसान की जो गांव का लम्बरदार था। गांब की लगभग अस्सी प्रतिशत जमीन का मालिक था। घर एक महल की तरह था नौकर चाकर गाय भैंस से भरा हुआ तबेला उसके लिए नौकर और जानवर एक जैसे ही थे।

लोगो को सूद पर कर्ज देकर उन्हें अपना गुलाम बनाकर घर का काम करवाता और बदले में दो बक्त की रोटी और और कभी कभार कपड़ा आदि दे देता। उसका विरोध करने की किसी मे हिम्मत नही थी। गांव में एकमात्र स्वर्ण परिवार था बाकी सब दलित समुदाय के लोग रहते थे। फिर भी किसी मे इतनी हिम्मत नही थी जो बड़े साहब का विरोध कर सके या गर्दन उठाकर बात कर सके।

बड़े साहब के दो बेटे थे एक कनाडा में पढ़ाई करता था और दूसरा घर घर मे लेनदेन का काम देखता था जिसकी शादी अभी सालभर पहले बड़ी धूमधाम से हुई थी। बड़े साहब का एक शोंक था शिकार खेलना बो अक्सर अपनी लाइसेंसी बंदूक लेकर जंगल मे जाता और जानवरों का शिकार करता। बड़े साहब की बीबी को गुजरे काफी समय हो गया था। चुनाब का समय था सभी हथियार पुलिस थाने में

जमा हो चुके थे अब साहब के लिए एक महीने तक बिना शिकार किए रहना उसकी शान के खिलाफ था तो बड़े साहब ने अपने खेत की बाद में एक पेड़ के साथ गल्फाई(स्कूटर की ब्रेक की तार से बनने वाला फंदा) लगा दिया ये एक फांसी के फंदे जैसा ही होता है जिसमे जानवर फंसकर निकलने के लिए

जितना जोर लगता है उतना उसका गला और कसता जाता है और धीरे धोरे तड़प तड़प कर जानवर की मौत हो जाती है। दो तीन दिन गुजरने के बाद एक सुबह जब बो देखने गया तो उसमें एक मादा सूयर फंसी हुई थी जो कि गर्बभती थी ज्यादा जोर लगाने के कारण उस मादा सूयर की मौत के करीब पहुंच चुकी थी मगर अभी सांस चल रही थी और आठ नवजन्मे बच्चे उसके पास पड़े थे। 

मादा सूयर को देखकर बो बहुत खुश हुआ उसके नौकरों ने दबी आवाज में उसको छोड़ने का आग्रह किया तो बड़े साहब ने मूंछो को ताब देते हुए कहा कि हम शिकार को एकबार पकड़ लें तो छोड़ना हमारा धर्म नही और भाला उठाकर मादा सूयर के पेट मे चार पांच बार किये जिससे बो तड़पकर मर गई उसने नौकरों से उसे उठाकर घर ले जाने को कहा बच्चों को बहीं छोड़ दिया। बो बच्चे भी कुछ

समय बाद भूख से तड़प तड़पकर मर गए। पूरे गांव में इस घटना की चर्चा थी मगर बड़े साहब के सामने कुछ कहने की हिम्मत नही थी। इस घटना को अभी दो महीने ही हुए थे की उसके छोटे बेटे की कनाडा में दिल का दौरा पड़ने सेमौत हो गयी। छोटे बेटे की तेहरबीं का दिन था बड़ा बेटा अपनी गाड़ी में मृत्यु भोज का सामान आदि लेने बाजार गया था उसकी गाड़ी के आगे एक सरिया से भरा हुआ ट्रक

चल रहा था अचानक तर्क के आगे कोई जानवर आता है और ट्रक वाला ब्रेक मार देता है। पीछे छोटे साहब की गाड़ी अनियंत्रित होकर ट्रक में घुस जाती है और सरिया छोटे साहब के शरीर के आरपार हो जाता है। और मौके पर ही मौत हो जाती है ये खवर जब घर मे पहुंचती है तो छोटे साहब की बीबी जो कि आठ महीने की गर्भवती थी चक्कर खाकर गिर जाती है गिरने से उसकी समय से पहले गर्वपात

हो जाता है उसने दो बच्चों को जन्म दिया मगर बो खुद चल बसी। बड़े साहब की तो जैसे कमर ही टूट गई थी। बहुत कोशिश की मगर दोनों नवजात बच्चों को बचाया न जा सका। बड़े साहब अब चारपाई पर थे शरीर बेजान हो गया था अब उसे एहसास हो गया था कि उसके कर्मो की सजा उसे मिली है अब उसे पछताबा तो बहुत हो रहा था मगर भूल सुधार का  समय हाथ से निकल चुका था। दिमागी

संतुलन बिगड़ने लगा था चारपाई पर पड़े पड़े शरीर मे घाव बन गए थे। जिन लोगो की परछाई से भी बो नफरत करता था आज बही लोग अपने हाथ से खाना बनाकर उसके मुहं में डालते थे। जो भी उसके पास आता बफे साहब बड़बड़ाते हुए यही कहते कि मेरे कर्मो की सजा मेरे बच्चों को मिली

अक्सर जोर जोर से चिल्लाने लगता और कहता कि मादा सूयर मुझे टक्कर मार रही है इसको हटाओ। अपनी गलती के लिए भगवान से हाथ जोड़ जोड़कर माफी मांगता और अपना पछताबा प्रगट करता मगर उसके कर्मो की सजा काफी लंबी थी लगभग दो साल तक बो ऐसे ही रहा और एकदिन उसकी मौत हो गई।

                     अमित रत्ता

            अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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