अभी उसे इस ऑफिस मे आये कुछ ही हफ्ते हुए थे कि उसके अनेकों नाम रख दिये गये कोई उसे पत्थर दिल बोलता कोई , हार्टलेस तो कोई घमंडी । कहने को वो बहुत बड़ी पोस्ट पर था उसके अधीन कई कर्मचारी थे पर शायद ही कोई कर्मचारी उसे पसंद करता हो । उसके चेहरे की सख्ती से सब सामने सामने तो डरते थे पर पीठ पीछे बातें भी बनाते थे हालाँकि वो भी जानता था कि ऑफिस वालों की नज़र मे वो पत्थर दिल है पर वो अपनी छवि सुधारने की कोई कोशिश नही करता था या यूँ कहो वो सुधारना चाहता ही नही था ।
उसके आने की आहट से सब अपने काम मे लग जाते थे पर वो जैसे ही इधर उधर होता सब उसके बारे मे खुसर पुसर शुरु कर देते ।
” यार अपने बॉस के पास दिल नही है क्या जो ना किसी की तरफ देखता ना हँसता और ना किसी की परेशानी समझता है !”
” दिल है तो सही पर पत्थर का तभी तो खुद भी एक पत्थर की तरह बैठा रहता है ऑफिस मे !”
ऐसी बाते उसके कानों मे भी पड़ती पर वो चुपचाप निकल जाता वहाँ से । पर वो हमेशा से ऐसा नही था कभी वो एक जिंदादिल इंसान था जिसके दिल मे प्यार का सागर उमड़ता था ।
बात उन दिनों की है जब उसने अपनी पसंद से शादी की थी वो भी दो साल एक दूसरे को समझने के बाद कितना खुश था वो सब कितना अच्छा था । पहले प्यार , फिर शादी और फिर बाली की खूबसूरत वादियों मे हनीमून । सब कितना अच्छा था , कितना परफेक्ट । वो दोनो हाथो मे हाथ डाले घंटो घूमते रहते थे । पंद्रह दिन जो उन्होंने बाली मे बिताये वो बहुत खूबसूरत पल थे । घर वापिस आते हुए भी उन्हे उन पलो की खुमारी गुदगुदा रही थी ।
” श्रेया उठो ऑफिस जाना है हमें आज से !” दो दिन बाद सुबह पत्नी को उठाते हुए वो बोला।
” नही आदित्य मुझे ऑफिस नही जाना सोने दो मुझे !” श्रेया नींद की खुमारी मे बोली।
” श्रेया आज से हमारी छुट्टियां खत्म हो रही है उठो जल्दी !” उसने प्यार से उसे उठाया।
” हमारी नही तुम्हारी छुट्टियां खत्म हो रही है , मैने तो नौकरी छोड़ दी !” श्रेया बोली।
” क्या नौकरी छोड़ दी और मुझे बताया भी नही । खैर इस बारे मे बाद मे बात करेंगे तुम नाश्ता बना दो मैं तैयार हो रहा हूँ !” वो कुछ सोचता हुआ बोला ।
” बाहर से कर लेना नाश्ता प्लीज !” श्रेया बोली।और फिर सो गई । आदित्य गुस्से मे उठा और तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया ।
” तुम्हारे नौकरी छोड़ने की वजह जान सकता हूँ मैं !” शाम को घर आ उसने पूछा !
” आदित्य मैने शादी कोई नौकरी करने को थोड़ी की है मुझे तो घर पर रहना है और लाइफ के मजे लेने है !” उसके गले मे बाहें डालती हुई वो बोली।
” श्रेया इस घर मे हम दो लोग है मैं ऑफिस चला जाऊंगा तो तुम अकेले क्या करोगी ? इससे अच्छा जॉब करो आत्मनिर्भर भी रहोगी और मन भी लगा रहेगा !” उसने समझाया।
” क्यो बीवी को खिलाने की औकात नही है !” श्रेया के इतना कहते ही उसे गुस्सा आ गया । पर श्रेया के माफ़ी मांगने पर उतर भी गया । फिर श्रेया के ही कहने पर वो लोग बाहर खाना खाने चले गये क्योकि श्रेया ने कुछ बनाया नही था । पर अब तो ये रोज रोज का हो गया । आदित्य उसकी मदद भी करना चाहता पर श्रेया तो रसोई के काम ही नही करना चाहती थी । कभी आदित्य खुद कुछ बना लेता कभी बाज़ार से आता खाने को । कुछ बनाने के नाम पर वो तो मैगी , पास्ता ही बनाती बस।
” श्रेया मुझसे रोज रोज ये सब नही खाया जाता प्लीज तुम दाल चावल बना लो !” एक दिन वो बोला।
” ठीक है तो कुक रख लेते है हम !” श्रेया एकदम से बोली।
” श्रेया तुम जॉब नही कर रही कम से कम खाना तो बना लिया करो बाकी कामो को पहले ही हेल्पर रखी हुई तुमने । मैं इतना खर्च नही उठा सकता बात को समझो !” आदित्य उसे समझाने लगा।
” मैं क्या नौकरानी हूँ जो तुम्हे पकवान बना कर खिलाऊंगी !” श्रेया एकदम से भड़कते हुए बोली।
” हर वो औरत जो घर के काम करती है वो नौकरानी होती है क्या ?” आदित्य गुस्से से बोला।
बस इसी बात को मुद्दा बना श्रेया ने घर छोड़ दिया । आदित्य ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की थी पर श्रेया को नही सुनना था तो नही सुना मायके जा उसने उन्हे भी उलटी सीधी पट्टी पढ़ा दी ।
थोड़े दिनों बाद आदित्य के खिलाफ उसने उत्पीड़न का केस डाल दिया और पुलिस ने आदित्य को पकड़ लिया । आदित्य ने बहुत सफाई दी अपने पक्ष मे पर उसकी नही सुनी गई । श्रेया ने पैसों के दम पर झूठी रिपोर्ट और गवाह जो इकट्ठे कर लिए थे नतीजा आदित्य को पत्नी उत्पीड़न और दहेज़ की मांग करने पर सात साल की सजा हो गई जिसके खिलाफ आदित्य ने अपील डाल दी ।
इधर श्रेया का आसानी से तलाक हो गया पर आदित्य जो बेगुनाह था उसे सजा हो गई , उसकी नौकरी चली गई यहां तक की समाज मे उसकी इज्जत की भी धज्जियाँ उड़ गई पर उसने हार नही मानी वो अपना केस लड़ रहा था खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए यहाँ उसके माता पिता जोकि दूसरे शहर मे रहते थे
वो भी उसके पास आ उसका पूरा साथ दे रहे थे क्योकि उन्हे अपनी परवरिश पर भरोसा था । धीरे धीरे दो साल बीत गये पर आदित्य और उसके घरवालों ने हार नही मानी और आखिरकार आदित्य अदालत से बाइज्जत बरी हो गया क्योकि जिस डॉक्टर ने झूठी रिपोर्ट बनाई थी उसका जमीर जाग गया और उसने आदित्य के पक्ष मे गवाही दे दी । इन दो सालों मे आदित्य ने जो झेला और जो उसने श्रेया के साथ रहकर झेला उससे वो टूटा नही बल्कि पत्थर बन गया । नौकरी , इज्जत सब तो गंवा चुका था पर वो ऐसी औरत के लिए जान नही गंवा सकता था इसलिए वो लड़ा ।
अब जब समय का पहिया घूमा तो जो लोग कल तक आदित्य को गलत बताते थे वो श्रेया की थू थू करने लगे श्रेया को कानून का दुरूपयोग करने के लिए सजा हुई ऊपर से उसके मायके वालों ने भी उसका साथ छोड़ दिया उसके उस प्रेमी जो अब उसका पति था ने भी ये कह पल्ला झाड़ लिया उससे कि उसकी साजिशों का उसे कुछ नही पता उसने तो बेचारी समझ शादी की थी ।
श्रेया जो आदित्य को फंसा अपनी जिंदगी मे बहुत खुश थी अब सब गंवा बैठी अब उसके पास थी सिर्फ जेल की काल कोठरी क्योकि घमंड तो अदालत मे दम तोड़ चुका था । वक्त ने जो करवट ली तो जिस आदित्य का श्रेया ने सब कुछ छीना वो बेगुनाह साबित हुआ पर श्रेया सब कुछ गंवा बैठी इसीलिए बड़े बुजुर्गो ने कहा है किसी के साथ गलत करने से पहले वक्त से डरो।
इधर आदित्य ने जब खुद को बेगुनाह साबित कर दिया तब उसे उसकी खोई इज्जत के साथ नौकरी भी वापिस मिल गई पर आदित्य ने इस शर्त पर नौकरी करने की हाँ कही कि उसे उसके माता पिता के शहर तबादला दे दिया जाये । क्योकि इस शहर से इस शहर के लोगों से और सबसे बड़ी बात श्रेया की परछाई तक से दूर भागना चाहता था वो । अब वो ना तो हंसमुख आदित्य रहा था ना ही अपने ऑफिस मे सबका चहेता । उसने अपने आप को पूरी तरह से काम मे झोंक दिया । जिस ऑफिस मे पहले बहुत कम काम होता था वही आदित्य की सख्ती की वजह है कर्मचारी भी मेहनत से काम करने लगे ।
उसे पदोन्नति पर पदोन्नत्ति मिलती गई और कुछ हफ्तों पहले उसे दिल्ली की ब्रांच मे भेजा गया हालाँकि वो नही आना चाहता था अपने शहर से दूर पर नौकरी भी जरूरी थी । लेकिन इस बार उसके माता पिता उसके साथ आये क्योकि वो बेटे के लिए चिंतित थे हालाँकि वो उसकी दूसरी शादी भी करना चाहते थे पर अब आदित्य को पत्नी नाम से नफरत हो गई थी ।
वो दुबारा वो सब झेलने की सोच भी नही सकता था जो उसने झेला वो अब अपने काम को समर्पित हो गया था और अपने चेहरे पर सख्ती की वो चादर ओढ़ ली थी जिसे किसी को हटाने की इजाजत नही थी ।
दोस्तों वक्त के हाथ मे क्या है कोई नही जानता कल को आदित्य फिर किसी पर विश्वास कर पायेगा या नही पर ये सच है आजकल रिश्ते जिस तरह से खत्म हो रहे है एक समय ऐसा आएगा शादी जैसी संस्था हि खत्म हो जाएगी । समाज मे बहुत से आदित्य है जो मानसिक तनाव सहते है शादी के नाम पर ।
मैं ये नही कहती तनाव सिर्फ आदमी झेलते है औरतें नही औरतें भी सदियों ने मानसिक और शारीरिक तनाव झेल रही है किन्तु आजकल कुछ औरतों ने जिस तरह से कानून का दुरपयोग करना शुरु कर दिया है वो समाज को किस रास्ते ले जायेगा कोई नही जानता । यहां मैं बस इतना कहना चाहती हूँ औरत हो या आदमी अपने जीवनसाथी पर झूठे इल्जाम लगाने से पहले वक्त से डरो क्योकि वक्त कब पलट जाये कोई नही जानता ।
धन्यवाद
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल