प्रेम और निहारिका बचपन के दोस्त थे। प्राइमरी स्कूल से साथ ही पढ़ते रहे साथ ही बढ़ते रहे। और कॉलेज की पढ़ाई तक साथ किया। दोनों बचपन से ही एक दूसरे के दुख -सुख के भागी रहे। दोनों के धर्म अलग होने पर भी दोनों का मन एक था। संसार में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दूसरे मनुष्य में भगवान का दर्शन करते हैं। पर उसी में से एक था प्रेम। उसे निहारिका में हमेशा ईश्वर की छवि दिखी।
उसे अपने रिश्ते को भगवान की मर्जी समझा करता था। कक्षा पाँचवी में जब प्रेम की दादी स्वर्ग सिधारी तो सबसे अधिक निहारिका ही रोई थी।निहारिका को प्रेम की दादी बहुत स्नेह करती थी। निहारिका को खीर बहुत पसंद थी। अक्सर प्रेम की दादी निहारिका के लिए खीर बनाया करती थी। हर क्रिसमस में प्रेम की दादी निहारिका को नए कपड़े तथा ढेरों उपहार दिया करती थी।
प्रेम एक बहुत ही संस्कारी तथा आध्यात्मिक इंसान बचपन से ही था। उसके पिता जी एलेक्रिसिटी विभाग में सरकारी कर्मचारी थे। माँ घर पर ही रहती थी। निहारिका के पिता जी की ऑयल इंडिया में नोकरी थी। ये नोकरी बहुत पैसे वाली नोकरी है। हर तरह की सुख-सुविधा भी मिलती है। निहारिका की माँ घर पर ही रहती थी। निहारिका का एक बड़ा भाई है जो अब कोई बड़ा अधिकारी है।
दिन बीतता गया। प्रेम की पढ़ाई खत्म होते ही उसे वन विभाग में सरकारी नोकरी मिल गई। तथा निहारिका अपनी बीएड की परीक्षा पासकर घर के पास ही एक निजी विद्यालय में शिक्षिका के रूप में काम करने लगी। सब कुछ
बहुत अच्छा चल रहा है। तभी निहारिका की माँ की तबीयत खराब होने लगी। निजदिक के हॉस्पिटल में दिखाने पर डॉक्टर ने अन्य जगह रेफर कर दिया। पता चला उसकी माँ को कैंसर है।
प्रेम ने दिन-रात एक करके निहारिका की माँ की सेवा की। बेंगलुरू में इलाज़ चला। लगभग दो वर्षों के इलाज के पश्चात निहारिका की माँ स्वस्थ्य हो गई। बिलकुल पहले जैसी। निहारिका की माँ रुनु ने प्रेम को खूब आशीर्वाद दिया। ऐसा लग रहा था जैसा प्रेम रुनु का अपना ही बेटा है। पूरी दुनिया ने प्रेम की मानवता को देखी। क्या गजब का लड़का है। सचमुच ऐसे लोगों की वजह से धरती और स्वर्ग में कोई फर्क नहीं दिखता।
अब तो प्रेम निहारिका के घर का एक सदस्य बन गया था। सभी के साथ बिलकुल घुल मिल गया था।
इस कहानी को भी पढ़ें:
2022 दिसम्बर में निहारिका के भैया का दोस्त अनिरुद्ध एमबीबीएस डॉक्टर बनकर इसी शहर में आ गया। रवि ने निहारिका के साथ अनिरुद्ध के रिश्ते के बारे में बात चलाई। ये क्या! गजब की सिन दिखाई दी। सब लोग चुप।
सन्नाटा छा गया।
रवि आरे! भाई लड़का एमबीबीएस है।
और अनिरुद्ध और प्रेम की कोई तुलना ही नहीं।
कहाँ अनिरुद्ध और कहाँ दो टके का प्रेम।
जो हुआ सो हुआ अब आगे बढ़ना है।
निहारिका की शादी अनिरुद्ध के साथ ही होगी।
माँ कुछ कहने वाली थी लेकिन निहारिका ने हामी भर दी।
ठीक है भैया। कोई बात नहीं।
अब निहारिका की दृष्टि करोड़पति डॉक्टर के ऊपर थी। उसको कोई मलाल नहीं था।
अब निहारिका और अनिरुद्ध की बाते होने लगी। अनिरुद्ध भी कभी- कभार निहारिका के घर आने लगा।
इस कहानी को भी पढ़ें:
मन का रिक्त कोना – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi
निहारिका ने प्रेम को अपनी जिंदगी से इस प्रकार निकाल फेका जैसे कोई दूध से मक्खी निकलता हो। जिस प्रेम को वह गुडनाईट बोले बिना सोती नहीं थी अब उसको बिलकुल भूल गई। उसके फोन को ब्लॉक कर दिया।
निहारिका की दोस्त मिली ने उसको समझाया कि पैसे के लिए प्रेम जैसे अच्छे व्यक्ति का त्याग करना बिलकुल भी अच्छी बात नहीं है। पैसा तो जीवन के किसी उम्र में कमाया जा सकता है लेकिन एक बार अगर अच्छा व्यक्ति का साथ छूट गया तो दुबारा नहीं मिल सकता। निहारिका को कुछ नहीं सूझ रहा था। वह पैसे की मायानगरी में फंस चुकी रही।
एक दिन अनिरुद्ध और निहारिका डेट पर गए। अनिरुद्ध ने निहारिका को कहा – तुमको जो कपड़े पसंद है पहनो। मुझे कोई आपत्ति नहीं। तुम क्या पहनती हो। तुम कहाँ जाती हो।
मेरे तरफ से तुम बिलकुल आज़ाद हो।
और ह। कार ड्राइव करने के लिए अवश्य सिख लो।
ईधर प्रेम बेचारा बन गया। नेकी कर दरिया में डाल। निहारिका की एक अन्य दोस्त तान्या बचपन से ही प्रेम और निहारिका की हर बाते जानती थी।
वह प्रेम से जाकर मिली
प्रेम के दर्द को वह समझ सकती थी। प्रेम जैसे रिश्तों में वफादार व्यक्ति के दिल पर ही जख्म गहरे होते हैं।। जो वफादार नहीं होते उनको ज़्यादा असर नहीं होता। प्रेम ने तान्या से प्रेम ने कहा- प्यार तो स्वतंत्र करता है। अगर किसी के प्रेम में आज़ादी नहीं हो तो वह प्रेम- प्रेम ही नहीं है।
तान्या, मुझे दर्द बहुत हो रहा है लेकिन मैं निहारिका को बांधकर रखना जायज नहीं मानता। जाने दो उसको जहाँ वह जाना चाहती है। मैंने उसे आज़ाद कर दिया है। धोखा खाने वाला व्यक्ति आगे चलकर सुखी हो सकता है लेकिन धोखा देने वाला व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता है। मैं सुकून से हूँ कि मैंने अपने कर्तव्य का पालन बहुत अच्छे से किया। और कर्मों का हिसाब सृष्टि बहुत ही सटीक तरीके से लगाती है। निश्चित रूप से भगवान ने मेरे लिए कुछ अच्छा ही सोचा होगा।
तान्या निःशब्द रह गई।
सचमुच कितनी अभागी है निहारिका जो प्रेम जैसे व्यकि को खोने जा रही है।
अनिरुद्ध और निहारिका की शादी के चार महीने बाद, एक दिन निहारिका का फोन आता है, वो भी रात को ग्यारह बजे।
प्रेम फोन को उठता है।’
इस कहानी को भी पढ़ें:
उसे नहीं पता था किसका फोन है। नींद में वह फोन उठता है।
निहारिका- प्रेम, मैं वापस तुम्हारे पास आना चाहती हूँ।
अनिरुद्ध एक फ्रॉड व्यक्ति है।
उसका अनेको लड़कियों के साथ संबंध है।
ऐसे ही निहारिका बोले जा रही थी……
प्रेम- अब कोई वापसी नहीं होगी। जिस प्रकार आसमान से टूटे हुए तारे को आसमान फिर से नहीं अपना पाता। उसी प्रकार अब मेरी जिंदगी में तुम्हारी कोई जगह नहीं। मैं सरल हूँ पर मूर्ख नहीं।
मैं तुम्हें कभी भी अपना नहीं सकता।
– डॉ. अर्चना पांडेय अर्चि