Moral Stories in Hindi
” कितनी देर कर दी तुमने निकलने मे देखो तो कैसा अंधेरा हो रहा है !” गाडी मे बैठते हुए स्नेहा मयूर से बोली।
” अरे अभी बारह ही तो बजे है आज अमावस की काली रात है अंधेरा तो होगा ही !” मयूर हँसते हुए बोला और गाडी चलाने लगा।
” पता नही क्यो कुछ अजीब सा लग रहा है । निक्की ने बोला था आज यही रुक जाओ पर आपको तो अपने घर जाना था ना !” स्नेहा बोली।
” अरे क्यो परेशान होती हो दो घंटे का तो सफर है पहुंच जाएगे अपने घर तुम्हे पता है मुझे दोस्तों के घर रात मे रुकना पसंद नही !” मयूर बोला।
” हां तो जल्दी निकलना था ना .. ये किस तरफ गाड़ी मोड़ रहे है आप ?” स्नेहा बोली ।
” ये शॉर्ट कट है जल्दी पहुंच जाएगे हम बारिश का मौसम हो रहा है ऐसा ना हो फंस जाये !” मयूर बोला और तेजी से गाडी भगाने लगा । सुनसान काली रात , सडक पर गाड़ियों का नामो निशान नही ऊपर से बादलो की गरज वातावरण को डरावना सा बनाने को काफी थी । स्नेहा मन ही मन ईश्वर का नाम ले रही थी और मयूर का पूरा ध्यान गाडी चलाने पर था क्योकि जो रास्ता उसने पकड़ा था वो थोड़ा कच्चा भी था।
अचानक एक झटके से गाडी रुकी ! गाडी के रुकते ही तेज बारिश शुरु हो गई । दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा ।
” हो गया तुम्हारा शॉर्ट कट अब क्या करेंगे कितनी तेज बारिश है ऐसी बारिश मे गाडी भी बंद पड़ गई ।” स्नेहा डर और गुस्से मे बोली।
” अरे मैं देखता हूँ ना क्या हुआ क्यो चिंता कर रही हो !” मयूर बोला और गाडी से उतर गया । काफी देर माथापच्ची करने के बाद भी उसे कुछ समझ नही आया । वो पूरी तरह भीग चुका था रास्ता कच्चा होने के कारण हर जगह पानी भर गया था।
” लगता है मेकेनिक ही ठीक कर पायेगा इसे रास्ते में भी पानी भरने लगा है और यहां मुझे नही लगता कोई मेकेनिक मिलेगा !” मयूर खिड़की के पास आ बोला।
” अब ??”
” चलो आस पास कोई रुकने का ठिकाना ढूंढते है क्योकि जिस तेजी से पानी पड़ रहा मुझे डर है कार मे भी पानी ना भर जाये !” मयूर बोला। स्नेहा गाडी से नीचे उतरी मयूर ने गाडी र दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़े भीगते हुए चलने लगे उन्होंने ये भी नही देखा कि वो किस तरफ जा रहे है।बस एक दिशा मे बढ़ने लगे।
” क्या यहाँ हमें कोई ठिकाना मिलेगा ?” चारों तरफ अंधेरा देख स्नेहा ने पूछा।
” देखते है कुछ तो करना पड़ेगा यहाँ तो रात नही काट सकते देखो पानी भी कितना भरने लगा है ।” मयूर बोला । अब उसे भी खुद पर गुस्सा आ रहा था कि क्यो उसने स्नेहा की बात नही सुनी !
” देखो मयंक वहाँ लाइट जल रही है !” अचानक स्नेहा एक तरफ इशारा कर चिल्लाई । मयूर ने उस तरफ देखा तो चेहरे पर एक राहत सी आई । दोनो फटाफट उधर की तरफ बढ़ने लगे ।
एक पुराना सा मकान था वो जिसमे एक लाइट जल रही थी ।
” कोई है ?? कोई है यहाँ ? हमें आज रात रुकने की जगह मिल सकती है क्या ?” मयूर ने आवाज़ दी ।
” भीतर आ जाओ !” अंदर से किसी महिला की आवाज़ आई । पुराना जंग लगा दरवाजा खोल वो दोनो अंदर दाखिल हुए । सामने एक महिला जिसकी उम्र 35-40 के आस पास होगी बैठी थी ।
” वो बाहर बारिश बहुत तेज है और हमारी गाडी खराब हो गई इसलिए हम लोग …!” स्नेहा इतना बोल रुक गई क्योकि महिला अजीब सी नज़रो से देख रही थी उन्हे।
” कोई बात नही तुम लोग यहां रात बिता सकते हो !” वो महिला बोली उसका चेहरा सपाट था कोई भाव नही थे उसपर साथ ही उसका आधा चेहरा बालो से ढका था ।
” बहुत बहुत धन्यवाद आपका !” मयूर बोला।
” इसमे धन्यवाद कैसा !!” अजीब सी हंसी हंसती वो औरत बोली। दोनो को थोड़ा अजीब लगा फिर भी थोड़ी दूर जा दोनो बैठ गये ।
” आप यहाँ अकेले रहती है ?” थोड़ी देर बाद स्नेहा ने पूछा।
” अकेले कहाँ मेरी कुछ बहने भी रहती है ना !” वो महिला बोली।
” पर यहाँ तो कोई दिखाई नही दे रहा !” मयूर ने इधर उधर देखते हुए बोला।
” वो सब अपने शिकार की तलाश मे गई है !” महिला मुस्कुराते हुए बोली।
” शिकार ?”
” तुम लोग बातें बहुत करते हो और मुझे ज्यादा बाते करने वाले और सवाल पूछने वाले लोग पसंद नही , तुम लोग उस कमरे मे जा आराम कर सकते हो !” वो महिला वैसे ही सपाट लहजे मे बोली।
” वहाँ आप आराम कर लीजिये हम यही ठीक है रात काटनी है किसी तरह काट लेंगे आप हमारे लिए तकलीफ मत उठाइये !” मयूर बोला।
” मैं वहाँ आराम नही करती तुम लोग जाओ और आराम करो !” महिला तनिक गुस्से मे बोली। स्नेहा और मयूर चुपचाप उठकर दूसरे कमरे मे आ गये उन्हे कुछ अजीब लग रहा था पर मजबूर थे वो रात किसी तरह बितानी ही थी क्योकि बारिश अभी तक भी रुकी नही थी ।
” मयूर मुझे यहाँ बहुत अजीब लग रहा है !” स्नेहा दूसरे कमरे मे आ बोली।
” चिंता मत करो स्नेहा बस रात बीत जाये सुबह होते ही हम चले जाएंगे !” मयूर बोला। फिर दोनो वहाँ पड़े बेड पर बैठ गये । दोनो की आँखों मे नींद थी पर यहाँ सोना उन्हे सुरक्षित सा नही लग रहा था इसलिए बैठे रहे । स्नेहा तो हनुमान चालीसा का पाठ करने लगी थी । धीरे धीरे रात और गहराने लगी । स्नेहा और मयूर बाते करते करते नींद के आगोश मे चले गये । अचानक मयूर की नींद बाहर से आती आवाज़ों से खुली।
” लगता है इनकी बाकी बहने भी आ गई !”मयूर खुद से बोला और देखने के लिए दरवाजे तक गया । स्नेहा गहरी नींद सोईथी ।
बाहर कुछ औरते थी जो कुछ बाते कर रही थी मयूर छिप कर खड़ा हो गया क्योकि उसे डर था वो लोग बुरा ना मान जाये । वो महिला एक कुर्सी पर बैठी थी बाकी सब नीचे बात करते करते अचानक उस महिला ने अपने बालों को झटका दे सिर ऊपर किया । जैसे ही मयूर ने उसे देखा उसकी चीख निकलने को हुई जिसे उसने बहुत मुश्किल से अपना मुंह भींच कर आवाज़ को रोका क्योकि जैसे ही उस महिला के आधे चेहरे से बाल हटे थे उसका चेहरा बहुत डरावना दिख रहा था बुरी तरह जला हुआ यहाँ तक की उसका एक कान भी जलने से लटका हुआ था ऐसा लग रहा था कुछ घंटो पहले ही किसी ने उसका चेहरा जलाया है । मयूर वहाँ से हटने को हुआ तभी उसकी निगाह वहाँ बैठे बाकी लोगों पर गई वो लोग सामान्य नही थे किसी की आँखे निकली थी किसी का चेहरा बिगड़ा था मयूर ने तुरंत वहाँ से निगाह फेर ली और स्नेहा के पास आ धीमी आवाज़ मे उसे उठाने लगा ।
” स्नेहा …स्नेहा उठो जल्दी !”
” क्या हुआ मयूर सुबह हो गई क्या ?” स्नेहा आँख मलते हुए बोली।
” नही स्नेहा पर हमें यहां से निकलना होगा वो भी चुपचाप देखो बारिश भी बंद हो गई है !” मयूर धीरे से बोला ।
” चुपचाप क्यो … !” स्नेहा बोली।
” धीरे बोलो स्नेहा और फिलहाल यहाँ से चलो मैं रास्ते मे तुम्हे सारी बात बताऊंगा !” मयूर स्नेहा का हाथ पकड़ बोला । जिस कमरे मे वो थे उसमे एक खिड़की थी पर मयूर को नही पता था ये खिड़की किस तरफ जाती है । उसने उस खिड़की को धीरे से खोला और स्नेहा को पहले बाहर निकलने को बोला । स्नेहा किसी तरह मयूर के सहारे से बाहर आ गई । बाहर घुप अंधेरा था साथ ही था सन्नाटा जिसे झींगुरों की आवाज़ भेद रही थी । स्नेहा को बहुत डर लग रहा था मयूर भी अभी बाहर नही आया था ।
” मयूर जल्दी आओ प्लीज मुझे डर लग रहा है !” स्नेहा ने आवाज़ दी । तभी खिड़की से मयूर कूदता नज़र आया तब जाकर स्नेहा की जान मे जान आई । अंधेरे मे दोनो ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा हुआ था और एक दिशा मे भागने लगे । तभी उनके सामने थोड़ी दूर पर लालटेन की रौशनी नज़र आई । स्नेहा और मयूर ने जैसे ही वहाँ देखा स्नेहा जोर से चीख पड़ी ।
” मयूर ये तो …!” स्नेहा के मुंह से शब्द नही निकल रहे थे ।
” हां स्नेहा मैं ये पहले ही देख चुका हूँ । तुम चलो उस साइड !” मयूर ने दिशा बदलते हुए बोला।
” अरे कहाँ जा रहा है अभी रात बाकी है !” पीछे से उस औरत की आवाज़ आई । पर वो दोनो बिना परवाह किये भागे जा रहे थे । तभी फिर से लालटेन की रौशनी नजर आई साथ ही नज़र आई कुछ और औरतें जो उस महिला के साथ बैठी थी । मयूर और स्नेहा ने फिर दिशा बदल ली अपनी ।
” मयूर कौन है ये लोग और ऐसे डरावने क्यो है इन्हे किसने जलाया ऐसे । मुझे तो इन्हे देख कर ही डर लग रहा ।
” स्नेहा मुझे नही पता ये कौन लोग है पर हमें फिलहाल बस यहाँ से निकलना है !” मयूर बोला।
दोनो की सांस चढ़ रही थी वो ये तक नही जानते थे कि किस दिशा मे बढ़ रहे है वो । उन्होंने अपने फोन भी गाडी मे छोड़ दिये थे क्योकि तेज बारिश मे भीगने का डर था ।
” तुम हमसे डर कर भाग रहे हो जबकि हम तो खुद कभी डरते थे , पर अब उस डर पर विजय पा ली हमने !” तभी वो औरत उनके सामने आ बोली।
” प्लीज हमें जाने दीजिये हमने क्या बिगाड़ा है आपका !” मयूर हिम्मत करके बोला।
” तुमने नही पर तुम जैसो ने जरूर बिगाड़ा है हम सबका और अब हमें पुरुषजात से नफरत है !” वो औरत चीख कर बोली।
” देखिये हम नही जानते आपके साथ क्या हुआ है लेकिन जो भी हुआ उसमे हमारा तो कोई दोष नही आप हमें जाने दीजिये !” स्नेहा रोते हुए बोली।
” तुमसे हमें कोई शिकायत ही नही तुम जा सकती हो !” उनमे से एक और महिला बोली।
” मयूर मेरे पति है मैं इनके बिना नही जाऊंगी और तुम्हे इनका कुछ बिगाड़ने भी नही दूंगी !” स्नेहा इस बार डरते हुए नही निडरता से बोली। वो सारी औरते धीरे धीरे मयूर की तरफ बढ़ने लगी तभी स्नेहा ने जोर जोर से हनुमान चालीसा पढना शुरु कर दिया ।वो सारी औरते मयूर पर हमला करने ही वाली थी मयूर ने अपने दोनो हाथो से चेहरा छिपा लिया इधर हनुमान चालीसा पढ़ती स्नेहा की आँखे लालटेन की तेज रौशनी से बंद हो गई पर उसने हनुमान चालीसा पढना बंद नही किया । तभी सुबह की पहली किरण ने अपनी रौशनी बिखराई और सब कुछ शांत सा लगने लगा । हिम्मत कर मयूर ने आँखों के आगे से हाथ हटाया तो वहाँ कोई नही था।
” स्नेहा…वो…वो औरतें कहाँ गई ?” मयूर ने घबरा कर बोला तो स्नेहा ने अपनी आँख खोली वहाँ कोई नही था ना वो औरतें ना लालटेन दोनो हैरानी और दहशत से एक दूसरे को देखने लगे।
” मयूर मुझे लगता है हमें यहां से जल्द से जल्द बाहर निकलना चाहिए !” स्नेहा बोली और दोनो एक दिशा मे भागने लगे । काफी देर भागने के बाद उन्हे अपनी गाडी नज़र आई वो जल्दी से उसमे बैठ गये और स्नेहा ने निक्की को कॉल लगा उससे मदद मांगी । गाडी को लॉक कर वो लोग मदद का इंतज़ार करने लगे ।
थोड़ी देर बाद निक्की और उसके पति रोहान मेकेनिक को ले अपनी गाडी से वहाँ आ गये ।
” तुम लोग रात से यही फंसे हो …पर तुम इस तरफ आये कैसे तुम्हारे घर का रास्ता यहाँ कहाँ है ?” रोहान हैरानी से बोला।
” ये शॉर्ट कट है हमने सोचा था यहाँ से जल्दी पहुंच जाएंगे पर गाडी खराब हो गई और ..!” मयूर धीरे से बोला।
” अरे तो फोन कर लेते हमें वैसे भी ये रास्ता ठीक नही है आगे सारे मे घना जंगल है ” रोहान बोला।
” सर गाडी के सारे टायर पंचर हुए पड़े है इसे गेराज मे ही ले जाना पड़ेगा !” तभी मेकेनिक बोला ।
तब रोहान ने अपनी गाडी मे पड़ा मोटा रस्सा निकाला और मयूर की गाडी को अपनी गाडी से बाँध लिया । मेकेनिक मयूर की गाडी मे बैठ गया । पहले रोहान ने मयूर की गाडी गैराज मे छोड़ी फिर मयूर के घर पहुंचे सब लोग । रास्ते मे मयूर ने उन दोनो को सारी बात बता दी थी पहले तो उन्हे यकीन सा नही हुआ फिर वो लोग भी घबरा से गये थे पर साथ ही भगवान का शुक्र भी कर रहे थे कि मयूर और स्नेहा दोनो सुरक्षित वहाँ से निकल आये ।
घर का दरवाजा खोलते ही नीचे पड़ा अख़बार उठाया स्नेहा ने जो अखबार वाला दरवाजे कि झिर्री से घुसा गया होगा । सब लोग अंदर आ सोफे पर बैठ गये स्नेहा लापरवाही से अख़बार को मेज पर रखने वाली थी की तभी एक दम से डर से काँपने लगी वो ।
” चलो स्नेहा तुम इतने कपड़े बदल लो मैं चाय बना देती हूँ फिर हम निकलेंगे तुम लोग भी थके होंगे आराम करना !” निक्की ने स्नेहा की तरफ देखते हुए कहा। पर स्नेहा तो डर के मारे काँप रही थी और अखबार को देखे जा रही थी ।
” स्नेहा क्या हुआ ..अब हम सुरक्षित है .. वो औरतें किसी काबिले की होंगी जो लूट पाट करता है और वो उनके जले चेहरे मेकअप का कमाल होंगे लोगों को डराने के लिए । हम अपने घर आ गये अब शांत हो जाओ !” मयूर बोला किन्तु स्नेहा ने कोई जवाब नही दिया ।
” स्नेहा …स्नेहा क्या हुआ है तुम्हे !” निक्की ने उठकर उसे हिलाया।
” वो….वो….!” स्नेहा डरती हुई अख़बार की तरफ इशारा करने लगी ।
” क्या है इसमे अख़बार है ये तो बस !” मयूर ने अखबार उठा उसे खोलते हुए बोला। अख़बार खोलते ही उसकी बोलती बंद हो गई।
” क्या हुआ है तुम पति पत्नी को अखबार देखते सांप क्यो सूंघ गया !” रोहान अख़बार लेते हुए बोला और उसे पढ़ने लगा ।
” कल रात एक 35-40 साल की औरत की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई । लाश का चेहरा बुरी तरह जला था । ये घटना हाईवे के पास हुई उसके आगे घने जंगल है । इलाके के एसएसपी का कहना है पिछले एक महीने से ऐसी घटनाये हो रही है ये किसी सीरियल किलर का काम है जो औरतों को अपना शिकार बना उन्हे मार देता है और फिर उनके चेहरे को जला देता है । हालाँकि यही पर पिछले कुछ दिनों मे चार आदमियों की लाशें भी मिली है उन्हे भी जलाया गया है पर उनसे कुकर्म के कोई सुबूत नही मिले । पुलिस कातिल की तलाश मे जंगल का चप्पा चप्पा छान रही है । ये तो वही जंगल है ना जहां तुम लोग थे ?” खबर पढ़कर रोहान ने सवाल किया ।
” ह..हां !” डरे हुए मयूर ने कहा।
” तुम लोग तो ऐसे डर रहे हो जैसे तुमने ये घटना अपनी आँखों से देखी हो ..क्या ये सच है ?” रोहान बोला।
” न…नही हमने तो ..!” ये बोल मयूर चुप हो गया।
” क्या हमने तो ?” निक्की बोली।
” हमने तो इस औरत को देखा था ये वही औरत है जो हमें उस टूटे मकान मे मिली थी और उसका चेहरा भी बिल्कुल ऐसे ही जला था !” मयूर ने किसी तरह अपनी बात पूरी की।
” क्या…..पर ऐसा कैसे हो सकता है ये तो मर गई थी फिर तुम्हे … और तुम तो बता रहे वहाँ और भी औरतें थी !” रोहान लगभग उछलते हुए बोला।
” हां और सबके चेहरे जले हुए मतलब वो ….वो इंसान नही थी आत्माएं थी … और वो आत्माएं ही बदला लेने को आदमियों के खून कर रही है इसीलिए उन्होंने सिर्फ मुझपर हमला करना चाहा था !” मयूर डरते डरते बोला।
” ओह्ह्ह्ह मतलब तुम आत्माओं से बचकर आये हो वरना आज तुम्हारी फोटो भी …!” रोहान बोला।
” स्टॉप इट रोहान देखो मयूर स्नेहा तुम इस बात का जिक्र किसी से मत करना वरना हो सकता है पुलिस मयूर को दोषी मान ले क्योकि आत्माओं मे यकीन कानून नही करेगा !” निक्की बोली।
” पर वहाँ ऐसा कुछ हुआ होगा और हम इतने घंटे आत्माओं के साथ रहे ये बात सोच कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो रहे है !” मयूर बोला।
” कल की काली रात को एक सपना समझ भूलने की कोशिश करो .. अभी तुम्हे थोड़ी नींद की जरूरत है तुम फ्रेश होके सो जाओ हम यही है तुम्हारे साथ !” निक्की ने उनके डर को देखते हुए कहा।
” नही निक्की ये काली रात जिंदगी भर हमारी परछाई बनी रहेगी जब जब अमावस की काली रात आएगी हमारे मन मे दहशत भर जाएगी । मुझे तो अभी भी ये एक सपना सा ही लग रहा है !” स्नेहा रोते हुए बोली । निक्की और रोहान उन्हे दिल्लासा दे रहे थे पर वो खुद भी हैरान परेशान से थे । पर सबको इतनी तसल्ली थी मयूर बच गया ।
कुछ दिनों तक उस रात की दहशत स्नेहा और मयूर पर रही रात होते ही वो डर जाते थे फिर हार कर मयूर ने अपना तबादला दूसरे शहर करवा लिया जिससे वो लोग यहां से दूर रह सामान्य जिंदगी जी पाये। हालाँकि वहाँ से जाने के बाद भी उन्हे वो रात याद आती रही पर धीरे धीरे नए मोहोल मे वो रमने लगे। लेकिन अब उन्होंने रात मे कही भी आना जाना बंद कर दिया था। उन्होंने अख़बार तक मंगाना बंद कर दिया था जिससे वो ऐसी खबरों से भी दूर रहे । बाद मे रोहान और निक्की से फोन पर उन्हे पता लगा बहुत छानबीन के बाद भी जब पुलिस को कोई सुराग नही मिला त पुलिस ने वहाँ का रास्ता ही बंद कर दिया और साथ ही वहाँ पर पेहरा भी बैठा दिया जिससे उस तरफ कोई जा ही ना पाये ।
दोस्तों ये सिर्फ एक काल्पनिक कहानी है जिसे मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है इसे उसी तरह पढ़ा जाये क्योकि मैं खुद आत्माओं मे विश्वास नही करती ।
संगीता अग्रवाल ( काल्पनिक कहानी )