विश्वासघात-मनीषा सिंह

क्या कर रही है पुष्पा पागल तो नहीं हो गई•••? छोड़ मुन्ने को!

हाथ बंधे होने के कारण असमर्थ सुनीता बेटे की जान संकट में देख चिल्ला उठी।

 चुप कर ज्यादा शोर मचाएगी••? कहते हुए पुष्पा ने खंजर से मुन्ने के गले को धर से अलग कर दिया। 

ऐसा देख सुनीता दहाड़ मारकर रोने लगी।

 अब इसने तो ड्रामा ही शुरू कर दिया!

   इधर मोहन (जो पुष्पा के लिए काम करता था) सुनीता की बेटी कली (जो महज 5 साल की थी) के गर्दन में चाकू लगा कर बैठा था।

 अगर ज्यादा चिल्लाएगी ना तू•• तो इसकी भी जान लें लूंगा••!

अरे पुष्पा तू फटाफट इसका काम भी तमाम कर क्योंकि अगर इनमें से कोई भी बच गया तो हम पक्का पकड़े जाएंगे! इसलिए अब कोई भी नहीं बचना चाहिए! मोहन के इतना बोलने से ही

पुष्पा ने सुनीता के पेट में 5 से 6 बार खंजर घोपा और कली के गर्दन में भी एक गेहरा कट लगा दी  जिससे वह वही तड़प-तड़प के अपने प्राण छोड़ दिये।

सभी जनों को मारने के बाद:- पुष्पा तुझे पता तो है ना की मैडम  पैसे-जेवरात कहां रखती थी••? क्योंकि अब बताने के लिए तो कोई बचा नहीं!

 मोहन हाथ धोते हुए बोला।

 अरे नहीं रे मैं इतनी बेवकूफ थोड़े ना हूं•• कि बिना जाने सबको खलास कर दी! 

 पिछले आठ महीनों से इस औरत को पटाने में लगी थी! अच्छा ही हुआ कि इसने हमारे बीच फोन पर चोरी करने वाली बात को सुन ली और मुझे पुलिस के हवाले करने की धमकी देने लगी! 

वह तो मैं रोती गिर-गिराती कि अब से ऐसा नहीं होगा इस घर से आपके बच्चों से मैं दूर चली जाउंगी!

  एक बार फिर बेचारी को मुझ पर तरस आ गया और उन्होंने मुझे यह कह जाने को कहा कि तूने तो हमारे साथ #विश्वासघात किया•• आइंदा तु कभी भी हमें दिखनी नहीं चाहिए! 

 निकलते ही मैंने तुझे बुलाया फिर जो हुआ वह तु जानता है ••

 और अच्छा ही हुआ वरना पता नहीं ये नाटक और कितने दिन चलता!

मैं तो थक गई इनका काम करके! मैडम जी  खुद तो बैठी रहती और मुझे हुकुम फरमाती की•• पुष्पा तू खाना बहुत अच्छा बनाती है ,तू कपड़े बहुत अच्छा धोती है, बच्चे तो तेरे ही हाथ से खाना पसंद करते हैं इत्यादि!

 मुझ पर सारा काम छोड़ , पड़ोस में बैठ जाती! मोहन देख ना मैडम जी कितनी गहरी नींद में सोई हैं बेचारी को मैंने सारी झंझटों से मुक्त कर दिया! 

कहते हुए दोनों ठहाके मार के हंसने लगे। 

हां वह तो है पर अब विश्लेषण करने से कोई फायदा नहीं सारी खुशियां घर चलकर मना लेना! अभी जिस काम के लिए इतनी मेहनत की है उसे फटाफट खत्म कर ले•••!

हां•• तू सही कह रहा है!

 वैसे अभी तो कोई नहीं आएगा साहब भी ऑफिस से 6 या 7:00 बजे ही आते हैं! चाहों तो खाना-वाना खा बाद में पैसे- जेवरात ले यहां से चंपत हो सकते हैं••!

 वाह! क्या बात है मर्डर के बाद भरपेट खाना खाने को मिलेगा!

ऐसा अवसर तो शायद ही किसी को मिलेगा!

फटाफट खाना लगा दे वैसे भी मुझे बहुत जोरों की भूख लगी है! कहते हुए मोहन बेडरूम में

 जयजा करने चला जाता है••! इधर पुष्पा खाना निकाल फटाफट खुद भी खाती है और मोहन को भी खिलाती है!

  खा-पीकर कीमती सामान ले दोनों वहां से जाने ही वाले होते हैं कि अचानक पुष्पा मोहन से पूछती है

  किस रास्ते से जाओगे?

 तू बता तुझे मालूम हो गा ना? मेन गेट से ही निकलते हैं•• इसे हम आगे से लॉक भी कर देंगे! ठीक है चल अब जल्दी!

 3:00 बज गए हमें आज ही ये शहर छोड़ना पड़ेगा!

हां चल!

 कहते हुए पुष्पा और मोहन वहां से रफू चक्कर हो जाते हैं।

 पड़ोसी सुधा जी जो हर शाम 6:00 बजे सुनीता के साथ टहलने जाया करती थी ने डोर बेल बजाया।जब दरवाजा नहीं खुला तो

 शायद बच्चों को ले सब्जी लाने गई होगी!

 सोचते हुए अकेले ही वॉकिंग के लिए निकल गईं ।

7:00 बजे अविनाश जब घर लौटा और डोरवेल बजाने के बाद कोई रिस्पांस ना पाकर, मेन गेट की दूसरी चाबी जिसे वह हमेशा अपने साथ रखता था, से खोलकर अंदर प्रवेश किया और सामने जो दृश्य उसे दिखी तो उसकी चिखें निकल गई। पूरे परिवार की लाश और चारों तरफ़ खून ही खून!

 कैसे हुआ यह सब?

दिमाग में कई सवाल उठने लगे••। कुछ मिनटों में उसने अपने आप को फर्श पर लेटा हुआ पाया और पड़ोसी उसके चेहरे पर पानी के छिटे मार रहे थे। अपने आस-पास  भीड़ लगी देख अविनाश चेतन में आ जाता है और पुनः रोने लगा। सभी अविनाश को संभालने में लगे थे।

इसी बीच किसी ने पुलिस को फोन किया।

 कुछ ही मिनटों में पुलिस पहुंच जाती है। इन्वेस्टिगेशन चालू हो जाता है।

 मिस्टर अविनाश! आपके लिए हमें पूरी हमदर्दी है जो हुआ उसे हम बदल तो नहीं सकते परंतु अगर आप इस समय थोड़ा कॉर्पोरेट करें•• तो शायद हमे कातिल को ढूंढने में मदद मिल सकती है! 

पुलिस ने अविनाश से पूछा।

 आसु पोछते हुए अविनाश थोड़ी देर सोचते हुए बोला।

 सर जब मैं ऑफिस के लिए निकल रहा था तो मेरी कामवाली जिसका नाम पुष्पा है••• आई थी! फुल टाइम के लिए हमने उसे काम पर रखा था!

 पर अभी वह गायब है यानी इस कांड में उसी का हाथ है!

  अच्छा आपका शक आपकी कामवाली पुष्पा पर जा रहा है••?जी हां! 

क्या आप मुझे उसके बारे में डिटेल्स यानी कब से आपके यहां काम कर रही थी? कहां की रहने वाली है वगैरा-वगैरा ?

सर एक दिन मेरी पत्नी सुनीता पार्क में बच्चों के साथ आई! पुष्पा सुनीता को तभी मिली! मेरी वाइफ के बगल वाली सीट पर आकर वह भी बैठ गई!और मेरे दोनों  बच्चों के साथ खेलने लग गई!  बच्चों का पुष्पा के साथ इतनी लगाव देख सुनीता ने उसका परिचय पूछा तो उसने अपनी राम कहानी उसे बतानी शुरू की•• कि उसे काम की तलाश है यूं तो बहुत सारे घर में उसको काम मिल सकता है परंतु उसे बच्चों के साथ ज्यादा लगाव है और वह चाहती है कि जिस घर में बच्चे हो वह वही काम पकड़े! मेरी पत्नी ने इसकी वजह पूछी तो उसने बताया कि

 उसका 5 साल के बेटे को उसके पति ने पटक के मार डाला! तब से वह पति से अलग रहती है और रोजी-रोटी की तलाश में ऐसा घर ढूंढ रही है जहां उसका मन लग जाए । 

सुनीता की आंखों में चमक आ गई क्योंकि वह भी कई दिनों से बिना मेड के घर तथा बच्चों को संभाल-संभाल के तंग हो चुकी थी उसने आनन-फानन बिना सोचे पुष्पा को काम के लिए रख लिया ।पुष्पा तुम चाहो तो मेरे यहां भी रह सकती हो! हमारा एक कमरा खाली ही रहता है••!

 नहीं नहीं मैडम! मैंने एक कमरा किराए पर ले रखा है शाम के 6:00 बजे पूरा काम निपटा के मैं चली जाया करूंगी•• और सुबह 8:00 बजे साहब के जाने के पहले ही आ जाऊंगी!

 ठीक है जैसी तेरी मर्जी!

 सुनीता इतनी खुश थी कि मानो उसकी लॉटरी लगी हो।

 मैंने उसे काम पर रखने से पहले ही बोला था कि ऐसे किसी भी अनजान की गाथा सुनकर तुमने कैसे भरोसा कर लिया? वैसे भी   हमारे लिए ये शहर नया है! अभी 6 महीने ही तो हुए हैं हमें आए और तुम इस पर इतना भरोसा कैसे कर सकती हो?

 मुझे भी आदमी रखने का अनुभव है•• उसकी बात में दर्द था और मुझे काम कर करके बदन में दर्द•••! तो हम दोनों ने अपने-अपने दर्द बांट लिए आप निश्चिंत रहिए! वह अच्छी और शरीफ महिला है!

सुनीता की खुशी और उसका विश्वास देख मैं भी चुप बैठ गया।

एक दिन सुबह जब वह काम पर आई तो उसके चेहरे पर चोट का निशान था । सुनीता ने इसकी वजह पूछी तो वह फूट-फूट के रोने लगी।

 क्यों और कितने दिन पहले की बात है?

 इंस्पेक्टर ने पूछा।

 सर 20- 25 दिन पहले की बात है उसने बताया कि एक दिन दारू पीकर उसका पति आया और उसके साथ मारपीट की!

 बदन पर चोट और निशान देखकर सुनीता ने फौरन हजार रुपए दिये और बोली जा-जाकर दवाई-पट्टी कर ले और आज काम करने की जरूरत नहीं जा घर जाके आराम कर!

 उस दिन के बाद से वह काम पर लौटी ही नहीं।

 फिर अचानक आज जब मैं ऑफिस के लिए निकल रहा था तो वह काम पर लौटी।

उसको देख सुनीता बहुत गर्म हुई कि इतनी दिन ना फोन ना कोई सूचना आखिर कहां थी?

 तब उसने आंसू बहाते हुए वहीं पति वाली किस्से सुनाने बैठी।

ऑफिस के लिए ऑलरेडी मैं लेट हो चुका था इसलिए जल्द निकल गया!

बस मुझे तो इतना ही पता है•• कहते हुए अविनाश फुट-फुट के रोने लगा ।

सर आज जब मैं अपनी पोती जो कि पुणे में ही रहती है को बस स्टॉप से लेकर आ रहा था तो उसी समय  पुष्पा जो की एक व्यक्ति के साथ उसी बस पर बैठ रही थी उसके हाथ में एक सूटकेस थी! तभी मिस्टर पांडरेकर जो अविनाश के पड़ोसी थे उन्होंने झट से पुलिस को बताया।

 यह बस वापस पुणे जाती है या कहीं और?

जी•••पुणे!

  कितने घंटे में निकलती है 

 वापस दो घंटे के बाद निकलती है!

थैंक यू सो मच आपने बहुत ही इंपॉर्टेंट सूचना दी!

  मिस्टर अविनाश अब आप निश्चिंत हो जाएं हम पूरी कोशिश करेंगे कातिल को पकड़ने की! पुलिस के प्रयास सेजल्द ही पुणे के होटल में पुष्पा और उसका साथी पकड़ा गया•••और साथ मे अविनाश के घर की कीमती सामान भी बरामद हुई।

पूरी सख्ती के साथ पूछताछ शुरू की गई ।

पहले तो मर्डर हमने नहीं किया है•• इस बात पर डटे रहे परंतु जब पुलिस के डंडे लगे तो सारी सच्चाई खुद ब खुद मुंह से गई••!उन्होंने यह भी कबूल किया कि और कई घरों में  वे लोग पहले भी लूटपाट की वारदात कर चुके हैं!वारदात करने के बाद  वे लोग उस शहर को छोड़ देते थे इस वजह से कभी पकडे नहीं गए•• लेकिन मर्डर पहली बार थी!

सारी सबूत और गवाह को ध्यान रखते हुए अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई।

दोस्तों यह कहानी सच्ची है बल्कि हमारे फैमिली में ही घटित हुई है! 

कहानी के माध्यम से मैं इतना ही कहना चाहूंगी कि कभी भी किसी अनजान व्यक्ति के बातों पर विश्वास न करें ! सावधानी से सुरक्षा बढ़ती है! 

  कहानी पसंद आई हो तो प्लीज इसे लाइक्स कमेंट्स और शेयर जरूर कीजिएगा••ताकि सभी लोग सुरक्षित और सावधान रहें।

 धन्यवाद ।

मनीषा सिंह

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