अरे सुनो..नीरज की मां..देखो! यह लड़की अपने नीरज के लिए कैसी रहेगी। मिस्टर सहाय ने भेजी है। वर्मा जी की पत्नी उनकी आवाज सुनते ही फटाफट अपने हाथ पोंछती हुई उधर आई। जो बर्तन साफ कर रही थी। इतनी जोर से क्यों चिल्ला रहे हो। यहीं तो थी मैं।
अरे छोड़ो तुम। ये फोटो देखो। हां जी लड़की तो बड़ी सुंदर है। देखने में भी सुशील लग रही है। क्या कहती हो। बात चलाऊँ आगे। बड़े अफ़सोस की बात है, उसकी मां भी नहीं है। पहले ही बता रहा हूंँ। अच्छी तरह सोच समझ कर लड़की देखने जाना। हां जी कैसी बात करते हो। मैं उसे मां की कमी महसूस नहीं होने दूंगी।
वर्मा जी का घर रोशनी से जगमगा रहा था। चारों तरफ शोर शराबा और चहल-पहल थी। वर्मा जी भी पूरे खुश सारे काम कर रहे थे।
आखिर उनके इकलौते बेटे नीरज की शादी थी।मिसेज वर्मा भी हिदायतें देती पूरी सज-संवरकर इधर-उधर व्यवस्था देख रही थी। हर मां-बाप की तरह उन्होंने भी अपने बेटे की शादी के सपने संजोए थे।
बड़ी हसरतों के साथ वे पाखी को दुल्हन बनाकर अपने घर ले आए। दोनों उसे बहुत प्यार करते थे। नीरज भी एक अच्छा पति था। पाखी भी अच्छी तरह घर में घुलमिल गई थी।
एक साल बाद ही उसे मां बनने का सुख मिला। उसने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया। घर में सभी खुश थे। एक दिन पाखी बाजार जाने के लिए कहकर घर से निकली। बेटी को भी घर पर ही छोड़ गई। जब दो-तीन घंटे हो गए तो मिसेज़ वर्मा को चिंता हुई।
उन्होंने फोन किया, फोन बंद आ रहा था। उन्होंने नीरज को फोन किया नीरज बोला आ जाएगी मम्मी। फोन की बैटरी खत्म हो गई होगी। पर शाम होने पर जब पाखी नहीं आई तो उन्होंने उसे ढूंढना शुरू किया। सारी रात ढूंढते रहे। रिश्तेदारों को फोन किया। जब कुछ पता नहीं चला तो पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी।
जब पाखी के घर वालों को बताया गया तो उनकी प्रतिक्रिया से वर्मा जी को कुछ शक हुआ क्योंकि पाखी के घर वाले उसके लिए बिल्कुल भी चिंतित नहीं थे। उन्होंने पुलिस वालों को यह बात बताई। पुलिस ने पाखी के घर वालों से सख्ती से पूछताछ की।
तब उन्होंने बताया, कि वह किसी लड़के के साथ चली गई है। जो उसका रिश्तेदार ही था। वह उसी से शादी करना चाहती थी। पर पांच साल किसी के साथ रिश्ता रखना।
घर में किसी को उसके इरादे की भनक भी नहीं लगी। क्योंकि वह एक अच्छी बहू की तरह ही अपने सारे कर्तव्य पूरे करती थी। किसी को भी विश्वास नहीं हो रहा था अपनी इतनी छोटी बेटी को छोड़कर कोई मां ऐसा कदम कैसे उठा सकती है। नीरज तो टूट सा ही गया था।
समाज में सभी बातें कर रहे थे कि भरी थाली में लात मार कर गई है। कौन कह सकता है इतने मासूम चेहरे के पीछे इतनी चालाक लड़की होगी। अब वर्मा जी को वापस पाखी को लाना तो था ही नहीं। वे चुप बैठ गए। दादी ने पोती को एक मां की तरह ही,
छाती से लगा लिया। दो साल बाद पता चला कि पाखी उस लड़के के साथ मुंबई में है। पुलिस उसे पड़कर ले आई। वह प्रेग्नेंट थी। उसने उसी लड़के के साथ रहने की इच्छा जाहिर की।
नीरज ने उससे तलाक मांगा। तलाक देकर पाखी वापस उसी लड़के के साथ चली गई। नीरज का रिश्ता भी एक तलाकशुदा लड़की से हो गया। पाखी से उसे इतनी नफरत हो चुकी थी, जब वह आई थी तो नीरज ने उसकी शक्ल भी नहीं देखी।
उधर पाखी को छोड़कर वह लड़का किसी और के साथ रहने लगा। पाखी ने एक बेटे को जन्म दिया। लेकिन वह लौटकर नहीं आया। उसे तो कुछ समय के लिए दूसरा खिलौना मिल गया था। पाखी कहीं की भी नहीं रही थी।
विश्वासघात का बदला उसे विश्वासघात से ही मिला। जैसा बोओगे वैसा ही तो काटोगे। अब पाखी उस बच्चे के साथ दर-दर भटकने को मजबूर थी। सभी उसका साथ छोड़ चुके थे। वह स्वयं हीअपनी खुशकिस्मती को ठोकर मार चुकी थी। ससुराल में जहां इतना प्यार और सम्मान मिल रहा था,
इस तरह का कदम उठाकर उसने बहुत बड़ी बेवकूफी की थी। जिसका एहसास उसे अब हो रहा था। पर अब पछतावे के अलावा उसके हाथ में कुछ भी नहीं था।
नीलम शर्मा