नेहा जल्दी तैयार हो जाओ। पार्टी कब की शुरू हो गई होगी। अजय जिसकी ऑफिस की पार्टी थी, बहुत देर से अपनी पत्नी नेहा को बुला रहा था। जी अभी आई, बस 5 मिनट और। नेहा खूबसूरत तो थी ही। गुलाबी साड़ी और हल्के मेकअप ने उसकी सुंदरता में चार चांद लगा दिए थे।
कैसी लग रही हूँ मैं। अच्छी लग रही हो। अजय जो नेहा से प्यार तो बहुत करता था। लेकिन उसका स्वभाव उन मर्दों से अलग था, जो अपनी पत्नी की तारीफें करते हैं। झूठे-सच्चे वादे करते हैं। नेहा जो बहुत खुश होकर उससे पूछ रही थी। उसके ठंडे जवाब से चुप हो गई।
वे दोनों पार्टी में पहुँचे। तभी अजय का सहकर्मी आया। नेहा को देखते ही बोला, वाह भाभी बहुत सुंदर लग रही हो। अजय के हाथ तो कोहिनूर लग गया।
अजय इस कोहिनूर की कद्र तो करता है ना। अजय ने बात का रूख बदला और नेहा से बोला यह समीर है। ऑफिस में नया आया है। जी मैं सोच तो रही थी आपको पहले कभी किसी पार्टी में नहीं देखा।
नेहा और समीर का ऑफिस पार्टियों में मिलना जुलना होता रहता था। जहां समीर नेहा की खूब तारीफ करता। अजय ने नेहा को बताया कि समीर सब लड़कियों के साथ ऐसा ही है। इसका चरित्र भी अच्छा नहीं है। अरे तो मुझे क्या मतलब कैसा ही हो। पर हाँ रोमांटिक तो है।अजय को चिढ़ाते हुए नेहा हँस दी।
समीर ने अजय से नजदीकी बना ली। और उसके घर आना जाना शुरू कर दिया। नेहा इस बीच एक बेटी की मां बन चुकी थी। समीर उसके बने खाने की, सुंदरता की हर चीज की तारीफ करता। नेहा का मन भटकने लगा था।
ना चाहते हुए भी वह समीर की तरफ आकर्षित होती जा रही थी। अजय को भी कुछ सही नहीं लग रहा था। उसने समीर से दूरी बना ली। नेहा ने अजय से समीर के बारे में पूछा। अजय बोला नेहा समीर सही आदमी नहीं है। क्यों उसके बारे में पूछ रही हो। लेकिन नेहा रास्ता भटक चुकी थी। समीर जैसे लोगों का तो काम ही मीठी-मीठी बातें बनाकर औरतों को फंसाना था।
वह दोनों बाहर मिलने लगे। अजय को अपने लिए नेहा के व्यवहार में परिवर्तन महसूस हो रहा था। लेकिन वह चीजों को ज्यादा तवज्जो नहीं देता था। जबकि अगर वह समय रहते नेहा से बात करता तो शायद परिस्थितियां इतनी विपरीत नहीं होती।
एक दिन नेहा ने समीर से कहा। समीर मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ। लेकिन तुम्हारी बेटी। मुझे क्या उसे अजय अपने आप देखेगा मेरी अपनी जिंदगी है जिसे मैं पूरे आनंद के साथ जीना चाहती हूंँ। दोनों ने कहीं दूर चले जाने का प्लान बना लिया। नेहा जेवर और कैश लेकर आना। जरूरत पड़ेगी।
ठीक है। दोनों ने शहर छोड़ दिया। अजय ने नेहा को बहुत ढूँढा। पुलिस में रिपोर्ट करायी पर कुछ पता नहीं लगा।एक साल की बच्ची अपनी मां के लिए रोती रहती। सभी रिश्तेदार और पड़ोसी भी कहते कैसी निर्मोही माँ है। जिसे इतनी छोटी बच्ची का भी ख्याल नहीं आया।
अजय भी टूट चुका था। लेकिन समय के साथ उसने अपने आप को संभाला। बेटी के लिए एक आया रखी। अब तो वह भी तीन साल की हो चुकी थी।
उधर नेहा और समीर ने जाकर उस पैसे और जेवर से कुछ दिन खूब मौज मस्ती की ।जब पैसे खत्म हो गए तो दोनों में लड़ाई होने लगी । वही समीर जो उसकी तारीफों के पुल बाँधता था अब उसको अपने पति और बच्ची को छोड़ने के ताने मारने लगा।
उसका तो काम ही यही था । अब वह अपने जाल में फंसाने के लिए नई मछली ढूंढ रहा था । जो उसे जल्द ही मिल भी गई। जब नेहा ने विरोध किया तो समीर ने उसको एक दिन खूब पीटा और उसे अधमरी हालत में छोड़कर चला गया। पड़ोसियों ने ही उसे अस्पताल पहुंँचाया।
नेहा को अब अजय की याद आई । उसे याद आ रहा था कैसे एक बार उसको बुखार होने पर सारी रात अजय ने उसके माथे पर पट्टी रखते हुए काट दी थी।
ठीक होने पर नेहा को अजय के अलावा कोई ठिकाना नजर नहीं आ रहा था। सुबह-सुबह दरवाजे की घंटी की आवाज सुनकर अजय ने दरवाजा खोला । सामने नेहा को देखकर उसे यकीन ही नहीं हुआ यह वही नेहा है। शरीर सुख चुका था।
सारी सुंदरता गायब थी । नेहा की अजय से नजरे मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। उसने उसके पैर पकड़ लिये और बोली अजय मुझे माफ कर दो। अजय बोला नेहा विश्वास की डोर अगर एक बार टूट जाए तो दोबारा नहीं जुड़ सकती ।
लेकिन हाँ अपनी बेटी की मां होने के कारण मैं तुम्हें केवल अपने घर में रहने की इजाजत देता हूँ ।दोबारा अपनी जिंदगी में नहीं। नेहा को बस रहने का ठिकाना मिल गया था । अजय ने उसे दर-दर की ठोकरें खाने से बचा लिया था क्योंकि चाहते हुए भी वह उसे अपने दिल से नहीं निकाल पाया था।
एक दिन नेहा ने अखबार में पढ़ा कि किसी लड़की ने समीर का खून कर दिया। उसने गहरी सांस छोड़ी और सोचा शायद किसी चोट खाई शेरनी ने ही उसके पाप का अंत कर दिया। आज इतने दिनों बाद उसका मन बहुत शांत था।
नीलम शर्मा