‘ उम्मीदें ‘ – अनु ‘ इंदु ‘ : Moral Stories in Hindi

विभा रात को सोने से पहले बाहर का दरवाजा  चेक कर रही थी कि  कहीं खुला न रह जाये कि अचानक  ऊपर से आती आवाजों ने चौंका दिया । वरुण तब तक सो चुके थे । विभा वहीँ पर सीढ़ियों के नीचे ठिठक गई। ऊपर से बेटा बहू के झगड़ने की आवाजें आ रहीं थीं । ‘ मेरी सारी उम्मीदों  की धज्जियाँ उड़ गईं हैं ‘ सपना की आवाज़ थी ।’  ‘ अच्छा ? आज़ मुझे बता ही दो कि क्या उम्मीदें थीं तुम्हें ?

क्या यह उम्मीद थी कि ससुराल आते ही तुम्हें किसी राज सिहांसन पर बिठा दिया जायेगा ? क्या तुम कहीं की महारानी हो?  तुम्हारी हैसियत से बढ़ कर तुम्हें घर मिला है,  इसकी कदर करना सीखो । क्या उम्मीदें सिर्फ़ तुम्हें ही हैं सब से , क्या हमें तुमसे कोई उम्मीद नहीँ होनी चाहिये ?  ससुराल आकर सब की उम्मीदों पर पूरा उतरा जाता है , न कि पहले से ख्वाबों में कोई दुनियां बसा कर रखी जाती है ।

तुम्हें घर के लोग तभी अपना समझेंगे अगर तुम भी उन्हें अपना समझोगी । तुम्हारा पति किसी का बेटा , किसी का भाई भी है । तुम अगर अपना घर छोड़ कर आई हो तो उससे बढ़ कर तुम्हें मिला भी है । तुमने पहला ही बच्चा घर वालों को बिना बताये अबॉर्ट करवा लिया । मैं कब तक तुम्हारे पर्दे ढकता रहूँ । हर माँ बाप की तरह मेरे घरवालों को भी ख्वाहिश थी

कि आँगन में बच्चा खेले , अगर उन्हें तुम्हारी हरकत का पता चलेगा तो उन्हें बहुत दुख होगा । अगर  तुम मेरे साथ ख़ुश नहीँ हो तो क्यूँ रह रही हो मेरे साथ , चली जाओ जहाँ तुम जाना चाहती हो । आये दिन की चिक चिक से तंग आ गया हूँ मैं ‘ गौरव की आवाज़ थी । सुन कर विभा के होश उड़ गये । बेटे की शादी को तीन साल गुज़र चुके  था ।

देखने में तो सब ठीक ठाक चल रहा था । शादी के बाद वो 20दिन के लिये हनीमून पर विदेश गये थे । फ़ेसबुक पर रोज़ नईं फोटो डाली होती थीं । हाथों पर एक दूसरे के नाम के टैटू बनवा रखे थे । हनीमून से  वापिस आ कर भी हर वीक ऐंड पर बाहर डिनर , और दोस्तों रिश्तेदारों के यहां आना जाना रूटीन में शामिल था। लेकिन सपना शुरू से ही कुछ जिद्दी किस्म की थी।

गौरव तो ऑफिस चला जाता था मगर सपना कभी सास ससुर के साथ इकठ्ठे बैठ कर खाना नहीँ खाती थीं । विभा खाना बना कर उसे खाने के लिये आवाज़ देती तो वो मना कर देती थी कि अभी भूख नहीँ , बाद में आकर अपना खाना डाल कर ऊपर ले जाती थी । पीरियड्स के दिनों में भी गौरव ख़ुद उसका खाना ऊपर ही ले जाता था । विभा ने भी बचपना समझ कर ज्यादा ध्यान नहीँ दिया था ।

शादी के साल भर बाद गौरव ने एक दिन विभा से कहा कि सपना जॉब करना चाहती है आप उसे जॉब करने की इजाजत दे दें , घर में पड़ी पड़ी वो बोर हो जाती है । विभा ने इजाज़त तो दे दी मगर उसे इस बात का दुख था कि घर के किसी काम में हाथ बँटाना तो दूर वो अपने कपड़े भी मशीन में ख़ुद नहीँ धोती थी । विभा ही सबके कपड़े धोती थी ।

आये दिन सर में दर्द , कभी उल्टी , यही दिनचर्या थी सपना की । दिन भर बीमार सी दिखती थी मगर गौरव के आते ही बन संवर कर दोनों अक्सर बाहर चल देते थे । एक दिन विभा ने सपना को डॉक्टर को दिखाने की बात की तो सपना ने बताया कि उसका गॉल ब्लैडर रिमूव हो चुका है , इसलिए उसे अक्सर उल्टी होती है ।

यह बात उसकी मम्मी ने पहले नहीँ बताई थी । उसकी मम्मी ने अपने तलाक़ और दूसरी शादी के बारे में बताया था । सपना उनकी पहली शादी से थी , दूसरे पति के पहले से दो लड़के थे । सब रिश्तेदारों ने विभा को मना किया था कि यहां शादी मत करो  मगर विभा ने सोचा कि लड़की सुँदर , सुशिक्षित है । जिस लड़की ने घर में यह सब देखा हो

और ज्यादतर अपने नाना नानी और मामे मौसीयों के यहां पली हो वो ज्यादा ऐडजस्ट करना जानती होगी , ज्यादा सुलझी हुई होगी । मगर हुआ इससे उल्टा । उसके मन से नेगेटिविटी को दूर करने की बहुत कोशिश की मगर वो पॉज़िटिव सोच ही नहीँ पाती थी । विभा को सपना की मम्मी ने यह नहीँ बताया था कि सपना उनकी दूसरी शादी के बाद उनके साथ नहीँ रहती थी ।

विभा ने तो समझा था कि वो नौकरी के कारण अपने मामा के यहां रहती थी ।शादी में भी कोई दहेज़ नहीँ लिया था ।  बेटे गौरव ने भी बहुत  बाद में बताया कि गुस्से में सपना बहुत बेकाबू हो जाती थी कभी कभी ख़ुद ही अपने मुँह पर थप्पड़ मारने लग जाती थी । लेकिन यह बातें विभा को बेटे ने अगर पहले बताई होतीं तो यह नौबत न आती ।

वो अपनी सास से तो फोन पर बात करता रहा इस बारे में मगर अपने माँ बाप से छुपाता रहा । कभी गौरव की बहन रिया जयपुर से उसे मिलने आती । एक कमरे में सब बैठे होते तो सपना को लगता कि उसके खिलाफ बातें हो रहीं होगी । वो कभी परिवार के बीच में नहीँ बैठती थी । सपना की ननद रिया उससे दो तीन साल बड़ी थी ।

उसकी  छः महीने की बेटी भी थी । रिया गौरव की शादी के बाद विदेश चली गई थी और वहीँ सेट्ल हो गई थी अपने पति के साथ । एक बार विभा ने सपना को बुला कर समझाया भी था कि उसके साथ पास्ट में जो भी हुआ उसके लिये हम दोषी नहीँ हैं , इतना प्यार करने वाला ससुराल मिला है, सब सुख सुविधायें हैं , हर तरह की आजादी है ,

अपने अंदर की असुरक्षा की भावना को निकाल कर अपने वर्तमान जीवन का आनंद ले। गौरव इकलौता बेटा था विभा का ।बेटी रिया विदेश जा चुकी थी ।  विभा और वरुण  हमेशा यही चाहते थे कि सब प्यार से रहें । वरुण का अपना कारोबार था आर्थिंक रूप से संपन्न परिवार था । अच्छी खासी चल और अचल संपत्ति भी थी ।

गौरव भी अच्छा खासा पेकेज ले रहा था फिर भी सपना को किस चीज़ की इनसिक्योरिटी थी यह समझ से बाहर था । अबॉर्शन करवाने वाली बात से विभा को बहुत झटका लगा । विभा ने सपना की माँ को फोन किया तो बेटी को समझाने की बजाये विभा को ही लेक्चर करने लगीं ‘ भाभी जी अभी से उसपे बच्चों का बोझ मत डालो ,

अभी नई नई शादी है , बच्चों को मौज मस्ती करने दो । मेरी शादी 17साल की उम्र में हो गई थी , 18साल की थी जब सपना पैदा हो गई । विभा ने कहा ‘ आप सत्रह की थीं मगर आपकी बेटी तो 27साल की हो चुकी है , वो तो बच्ची नहीँ है । आप उसे समझाने की बजाये अबॉर्शन को जस्टीफाई कर रही हैं ‘। सपना को जब पता चला कि विभा ने उसके मम्मी से बात की थी

तो गौरव को ऑफिस में फोन करके रो रो कर सास के खिलाफ़ भड़काया । गौरव आते ही माँ पर बरस पड़ा । विभा को अब सब समझ में आ चुका था । उसका बेटा भी सब कुछ जानते हुये भी उसका ही साथ देता था । विभा ने उन दोनों को ख़ुद से अलग करने का फैसला ले लिया । उसने एक महीने के अंदर ही एक प्लॉट बेच कर बेटे बहू के लिये अपनी कॉलोनी में ही अपने घर से अगली लेन में एक फ्लैट ले दिया । ताकि वो सुख पूर्वक रह सकें । (बाकी अगले भाग में )

 गौरव और सपना अपने नये फ्लैट में शिफ्ट हो गये । उन्हें शिफ्ट हुये दो साल बीत गये थे । इस बीच एक बिटिया भी पैदा हो गई । बिटिया भी एक साल  की हो गई थी । बीच बीच में दोनों कई बार विभा से मिलने आ जाते थे । विभा को लगने लगा था कि बच्चे के आ जाने से दोनों में कुछ ठहराव आ गया होगा । मगर ऐसा नहीँ था । एक दिन रोज़ की तरह विभा  वरुण का इंतज़ार कर रही थी । शाम के साढ़े सात बज़ चुके थे , तभी फोन की घंटी बज उठी ।  आज़ फिर उन दोनों का झगड़ा हुआ है , गौरव ने बुलाया है’  , वरुण का फोन था

  ” मैं थोड़ी देर में आता हूँ , अभी मुझे गौरव का फोन आया था , उसने तुरंत बुलाया है ” ।

 विभा बहुत हैरान हुई क्यूँ कि अभी पंद्रह मिनट पहले ही गौरव उससे मिल कर गया था ख़ुशी ख़ुशी । ऑफिस से सीधा उससे मिलने आ गया था क्यूंकि दो तीन दिन से आया नहीँ था । विभा ने चाय पूछी तो चाय पीने जैसे ही बैठा था सपना का फोन आ गया था , गौरव ने उसे बताया था कि मम्मी के पास चाय पी रहा हूँ , अभी आता हूँ ‘ । जल्दी जल्दी चाय खत्म कर के वो चला गया ।

मुश्किल से तीन सौ फीट की दूरी पर उसका फ्लैट था यहां से । अचानक ऐसी क्या बात हो गई । वरुण को गये जब पौना घंटा बीत गया तो विभा ने  सोचा कि ख़ुद ही देखती हूँ क्या हुआ है । वहाँ गई तो देखा सपना  एक तरफ़ बैठी पैकिंग कर रही थी , गौरव भी गुस्से में बैठा था ।  बेटे से पूछा क्या हुआ तो उसने बताया कि जैसे ही वो घर पहुंचा तो घर का दरवाज़ा बाहर से लॉक्ड था ,

उसने सपना  को फोन किया मगर उसने नहीँ उठाया , उसने चार बार फोन किया मगर नहीँ उठाया । वो वहाँ पांच मिनट खड़ा रहा जैसे ही लिफ्ट से नीचे उतरने के लिये बटन दबाया तो वो आ गई । बहुत गुस्से में थी । कहने लगी कि मैं यहां इंतज़ार कर रही हूँ और तुम मम्मी के यहां चले गये , उसने कहा कि मैंने तुम्हें बताया तो था कि मैं मम्मी के यहां चाय पी रहा हूँ ।

इसमें इतना गुस्सा करने वाली कौन सी बात है । सपना  ने कहा मैं तुम्हारे साथ नहीँ रह सकती । मैं जा रही हूँ । गौरव को भी गुस्सा आ गया , उसने भी कह दिया चली जाओ , मैं भी तुम्हारे साथ नहीँ रहना चाहता । रोज़ रोज़ की चिकचिक से तंग आ गया था वो । अलग होने के बाद भी सपना  के व्यवहार में कोई तब्दीली नहीँ आई थी ।

वो हर वक्त गौरव के हवासों पर सवार रहती । वो ऑफिस में होता तो कई दफ़ा उसका फोन आता । शाम को ऑफिस से फ़ारिग  होता तो घर पहुँचने तक कितने ही फोन करती ‘कब चले ,  कहाँ पहुँचे , इतनी देर कहाँ लगा दी । जब से शादी हुई थी , गौरव का दोस्तों से मिलना , अपने माँ बाप के पास बैठना सब कम होता जा रहा था । सपना उसे बिल्कुल स्पेस नहीँ देती थी ।

कितने अरमानों से शादी की थी गौरव की । सपना का प्रोफाइल ‘ जीवन साथी ‘ पर देख कर विभा ने ही गौरव को लड़की देखने भेजा था । सपना देखने में सुँदर थी , हाईट भी अच्छी थी । पढ़ी लिखी लड़की थी । उस समय वो अपने मामा के पास रहती थी और गुरुग्राम में किसी ऑफिस में जॉब कर रही थी । उसके मम्मी पापा जयपुर में रहते थे । कितनी ही लड़कियां देखी थीं गौरव ने ।

बहुत अच्छे घरानों की लड़कियों को भी मना कर देता था वो , कहता था wave length नहीँ मिलती।  यह देख कर विभा को  बहुत दुख होता था । सपना  से वह दो तीन बार मिला था , वो उसे पसँद थी मगर उसकी कुंडली गौरव से मैच नहीँ करती थी, सिर्फ़ 15गुण ही मिले थे । सपना की मम्मी सुमन  का फोन आया था । कहने लगीं भाभी जी आज़ के जमाने में कौन कुंडली को मानता है ।

आप इन सब में मत पड़ो । हमें आपका बेटा पसँद है , आपको हमारी बेटी । यही काफी है । विभा और वरुण  भी तैयार हो गये । शाम को फिर से सुमन का फोन आया ‘ आपको एक बात बताना जरूरी है भाभी जी , मैं तलाकशुदा हूँ , मेरी दूसरी शादी है नवीन जी के साथ , उनके पहले से दो बेटे भी हैँ । मैंने उनसे 2008में शादी की है । सपना  मेरी पहली शादी से है ।

विभा ने  उनसे पूछा कि तलाक की वज़ह क्या थी। उन्होंने बताया कि सुमन नौ भाई बहनों में से सबसे छोटी थी। सुमन और उसकी सबसे बड़ी बहन एक ही घर में ब्याही थीं । सुमन को अपनी बहन के देवर से प्यार था इसलिए घरवालों ने उनकी शादी कर दी थी मगर शराब पीने की आदतों से वर्ष 2000में सुमन  का अपने पति से तलाक़ हो गया था । उस समय सपना  की उम्र क़रीब दस साल थी ,

वो अपने नाना नानी के पास अलवर में पली थी । उसकी शिक्षा देहरादून में अपनी मौसी के यहां हुई थी । आजकल वो अपने मामा के पास गुड़गांव में रह कर जॉब कर रही थी । ‘ विभा ने  कहा कोई बात नहीँ सुमन  जी , आपने इतने दुख सहे हैं , आपकी बेटी को हमारे यहां कोई कष्ट नहीँ होगा । विभा ने  अपने परिवार के बाकी सदस्यों से बात की , कोई भी इस रिश्ते पर राज़ी नहीँ था ।

सब ने मना किया क्यूँ कि एक तो उसकी बेकग्राउंड  ऐसी थी , दूसरे सपना  का परिवार विभा के  स्टेटस से मैच नहीँ करता था ।  लेकिन विभा को  लगा कि इतने रिश्तेदारों के बीच पली लड़की ज्यादा समझदार होगी । अभी तक अपनी इच्छाओं को मार कर जी रही थी , हमारे परिवार में आकर खिल उठेगी । सब ऐशोआराम थे विभा के घर में । गौरव की एक ही बहन है रिया  ,

उसकी भी शादी हो चुकी थी । वो पैरिस में रहती थी । गौरव को भी 18लाख का पैकेज मिलता था । विभा के  पति वरुण  अपना शोरूम संभालते थे । आर्थिंक तौर पर बिल्कुल आत्मनिर्भर थे । बच्चों से कुछ मांगना तो दूर , सारा खर्चा वरुण चला रहे थे । लेकिन सपना  के स्वभाव की समझ नहीँ आती थी । वो बहुत पोजैसिव थी । बहुत ही मूडी  थी , बात बात पर ओवर रियेक्ट करना ,

बात बात पर रोना । गौरव हर वक्त उसे ख़ुश करने में ही लगा रहता । लेकिन आज़ तो हद हो गई थी । जैसे ही गौरव अपनी माँ से मिल कर घर पहुंचा , सपना जिद करने लगी कि मुझे एक एक बात बताओ जो भी तुम्हारी माँ ने कहा । गौरव उसे शांत कर ही रहा था कि उसने किचन से चाकू उठा कर अपनी कलाई पर रख लिया और पागलों की तरह चिल्लाने लगी ।

गौरव ने उसे काबू करने की कोशिश की मगर उसने चाकू नहीँ छोड़ा , गुस्से में गौरव ने उसे थप्पड़ मारा और चाकू छीन लिया । गौरव के सब्र की बस हो गई थी । उसने अपने पापा को फोन किया कि मैं इसके साथ नहीँ रह सकता । उसके दो मामा लोकल ही रहते थे । उन्हें बुलाया गया । वो आये । गौरव ने कहा आप सपना को अपने साथ ले जायें ।

इसने जो हरकत आज़ की है उसके बाद हम साथ नहीँ रह सकते । विभा ने भी उसके मामा को कहा कि आप कुछ दिन इसे अपने पास ले जायें क्योंकि हमें डर है कि यह कुछ अपने आपको , बच्चे को या घर में किसी को नुकसान न पहुंचा दे । वो डर डर के नहीँ जीना चाहते थे क्यूँ कि नारी की ही सुनवाई होती है हर जगह । पति अगर अपनी पत्नि से परेशान है तो इसकी कहीं सुनवाई नहीँ ।

कितनी ही बहुओं ने ससुराल वालों के नाक में दम कर रखा है । सपना के मामा सपना को समझाते रहे मगर साथ ले जाने को राजी नहीँ हुये । सपना के मम्मी पापा को भी फोन किया कि आकर उसे ले जायें । या फिर लिख कर दें कि अगर सपना कुछ उल्टा सीधा करती है तो इसके लिये ससुराल वाले जिम्मेदार नहीँ हैं ।

मगर न तो वो उसे ले जाने को तैयार हुये और न ही लिख कर देने को । हार कर विभा और वरुण ने लोकल थाने में रिपोर्ट करने की धमकी दी तो उसके पेरेंट्स आये । उन्होंने सबको पास ही एक होटेल में बुलाया । वहाँ पहुंच कर वो गौरव को धमकाने लगे । रेस्टॉरेंट के पास ही थाना था । विभा और वरुण गौरव के साथ जैसे ही थाने में जाने लगे तो सपना के घरवाले पहले से ही तैयार किया हुआ

पर्चा लेकर थाना प्रभारी के पास पहुँच गये । प्रभारी ने गौरव और उसके घरवालों को बाहर ही रोक दिया । अंदर जाकर उन लोगों ने सपना के ससुराल वालों के खिलाफ झूठी रिपोर्ट कर दी कि सपना को मारा पीटा जाता है और दहेज़ मांगा जाता है । उन्होंने सपना को भी यही सिखा दिया कि तुम ऐसे ही बोल देना । उसने भी वही बोल दिया ।

थाना प्रभारी ने विभा , वरुण और गौरव को भी अंदर बुलाया तो गौरव ने कहा कि अगर सपना को उसके ससुराल वाले दहेज़ के लिये प्रताड़ित करते हैँ और मैं उसे मारता पीटता हूँ तो वो मुझे छोड़ कर चली क्यूँ नहीँ जाती । मैं और मेरे घर वाले तो खुद डर डर के जी रहे हैँ कि कोई हादसा न हो जाये । उसका मानसिक संतुलन ठीक नहीँ है मगर उसके परिवार में से कोई ले जाने को तैयार नहीँ ।

उसके मामा ने पहले अपनी तलाकशुदा बहन और सपना को रखा अब अपनी भांजी और उसके बच्चे के साथ कोई रखने को तैयार नहीँ । थाना प्रभारी को सारा मामला समझ में आ गया था लेकिन वो लड़के वालों को डरा कर पैसे खाना चाहता था । उधर लड़की वालों ने थाने में जाकर झूठी रिपोर्ट करके अपने ही पाँव पर कुल्हाड़ी मार ली थी, थोड़ी बहुत जो सुलह की गुंजायश थी वो भी खत्म हो गई थी ।

उन्होंने लड़के वालों के आगे हाथ जोड़ने शुरू कर दिये कि सपना को वहीँ रहने दो , हम उसे समझायेंगे । थाने में ही आधी रात हो गई थी । मजबूर होकर सपना को लेकर गौरव वापिस आ गया । दोनों बच्चे के कारण साथ रह तो रहें हैं मगर इस शर्त पर कि सपना के घरवालों से हमेशा के लिये गौरव और उसके घरवालों का कोई रिश्ता नहीँ रहेगा ।

सपना जब चाहे अपने मायके जा सकती है मगर वो उसे छोड़ने या लेने नहीँ जायेगा । उसके घरवाले बहुत फोन करते हैं कि हमें माफ़ कर दो मगर गल्ती की माफी होती है , गुनाह की नहीँ ।

समाप्त

अनु ‘ इंदु ‘

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