सुधा सुन रही हो क्या??
यह फ्रीज खाली कर देना…. अभी साइड बाय साइड नया फ्रिज थोड़ी देर में आ जाएगा….”पर सुरेश एक बात पूछूं… हमारा डबल डोर फ्रिज तो एकदम ठीक चल रहा है…. ज्यादा टाइम भी नहीं हुआ.. उस फ्रिज को सिर्फ 4 साल ही तो हुए हैं… फिर तुम उसे क्यों बदलना चाहते हो??
सुधा तुम कुछ नहीं समझती….. आजकल दिखावे का जमाना है…. घर में चीजें एक्सक्लूसिव और फैंसी होनी चाहिए….. कुछ भी पुराना नहीं होना चाहिए….. रोज फैशन बदल रहा है….
अब ट्रेंड साइड वाय साइड फ्रिज का है…. चीजों को समय-समय पर बदलना पड़ता है…. जिससे की सोसाइटी में हमारा भी दबदबा बना रहेगा…” लेकिन अभी 1 महीने पहले ही तो तुमने सोफा नया लिया था….
उससे पहले तुमने पूरे घर में AC लगवा दी….. सबकी किश्त चल रही है….. 2 साल पहले जो गाड़ी ली उसकी भी किश्त तभी तक चल रही है… रही बात घर की तो वह तो पहले से लोन पर है ही….. अब तुम फ्रिज की नई किश्त का भार उठाना चाहते हो…..
मैं पूछ रही हूं कि उधार की जिंदगी जी कर यह झूठी शान का दिखावा करने की क्या जरूरत है???
तुम जितना कमाते हो उसका 60% तो किश्त में ही चला जाता है… बाकी 40% घर खर्च ,बच्चों के स्कूल ,कॉलेज की फीस , डॉक्टर दवाइयां, और कभी कभार हम आउटिंग में चले जाए… वगैरह – वगैरह में….
बचत के नाम पर 1₹ नहीं बचता…
मैं अशुद्ध होना चाहती हूं। – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi
भगवान न करे की ऐसा समय आ जाए तुम्हारी कंपनी दिवालिया हो जाए…. और तुम्हें काम से निकाल दे तब तुम क्या करोगे???
हमारे यहां कर्जदारों की लाइन लग जाएगी…. फिर कहां जाएगी तुम्हारी झूठी शान??
किसी को कैसे मुंह दिखाओगे??
इतना ही नहीं सोचो कोई हमारे घर में ज्यादा बीमार पड़ जाए और डॉक्टर कहे कि उसके इलाज में 2 से 3 लाख का खर्चा है… तब हम क्या करेंगे???
तुमने तो किसी की मेडिक्लेम भी नहीं ले रखी है…..
मैं तो कहूंगी सुरेश अभी भी देर नहीं हुई है…. उधार की जिंदगी जीने से अच्छा है…. जितना है उसी में खुश रहो…चद्दर जितनी है…. पैर उतने ही
फैलाने चाहिए….
तुम मेरे पति हो…. मेरे अपने हो|
इसलिए मुझे जो ठीक लगा…. मैंनै अपना विचार तुमसे सांझा किया…. बाकी तुम खुदसम़झदार हो….
मैं नहीं चाहती जो मेरी सहेली के साथ हुआ …. वो हमारे साथ भी हो |
उसे भी आपकी तरह एक्सक्लूसिव चीजों का शौक था…. मार्केट में कुछ भी नया आया नहीं की वो मैडम तूरंत बदल डालती…. चाहे उस चीज को बदलने की जरूरत हो या ना हो…. जितनी कमाई थी…
. उसकी पति की उससे दुगुना खर्चा किश्त का बांध लिया…. कभी महंगी साड़ी,मंहगी ज्वेलरी , परफ्यूम और भी बहुत कुछ पति के क्रेडिट कार्ड से खरीद कर किट्टी में अपनी सहेलियों पर रौब झाड़ ती थी…. सिर्फ इसलिए ताकि उसकी अमीर सहेलियों उसे कम ना हांक सके… रीता है … उसका नाम …
आप भी उसे जानते होंगे…. मैंने आपसे उसे मिलवाया तो था… आपको याद नहीं होगा … उसने मुझसे भी कहा था…. अपने साथ किट्टी ज्वाइन करने के लिए…. मंहगी-2 साड़िया , ज्वेलरी पहनने की भी हिदायत दी थी.….. लेकिन मैंने उसे मना कर दिया…. मैंने उसे भी समझाया…. लेकिन उसने मेरी एक नहीं मानी….
उल्टा मुझपर चिढ़ के बोली…. तुम हमेशा से भैंजी थी…. और वही रहोगी…. स्टेटस मैंटेन करने के लिए ये सब करना पड़ता है…. खैर तुम ठहरी गंवार तुम्हें ये सब कंहा समझ में आएगा…. मैंने उसे उस समय कोई भी जबाब देना मुनासिब नहीं समझा….. क्योंकि मैं उसे उस समय कुछ भी समझाती तो समझ नही आता…. क्योंकि उस पर झुठा स्टेटस का भूत जो संवार था…..
नतीजा…. बेटे के तीसरे जन्मदिन के शुभ अवसर पर अपने पति के मना करने के बावजूद उसने उधार के पैसों से बड़ी और शानदार पार्टी थ्रो कर दी….
ठीक जैसे ही केक कटने को हुआ ….
बैंक वाले और कर्जदारों का घर में तांता लग गया…. गाड़ी, ज्वेलरी , सबकुछ जब्त कर लिया…. मकान को भी सीज कर दिया….
सारे मेहमानों के बीच उसकी इज्जत की मिट्टी पलीद हो गयी… और उसके पति की भी इज्जत चली गयी… जिसका कोई दोष भी नहीं था…
अभी कुछ दिन पहले ही मिली थी…. मुझसे माफ़ी मांग रही थी…. अपने बर्ताव के लिए….
अब वो किराए के 2bhk फ्लैट में रह रही है…. घर में सुख सुविधा के सारे समान है… बस फर्क इतना है … कि एक्सक्लूसिव और मंहगे नहीं है…
कहने को सबकुछ वैसा ही है…. और सबसे अच्छी बात यह है…. कि अब उसके पति के सर पर कर्जा नहीं है…. अब दोनों अपने दोनों बच्चों के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं……मैं समझ गया…. सुधा
बेटी की शादी में तमाशा नहीं – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi
उधार के पैसों से दिखावे की जिंदगी जीने से अच्छा है … हमारे पास जितना हैं… हम उसी में लग्जरी लाइफ जीए…..
मैं अब किसी और नयी चीज के किश्त का भार नहीं उठाऊंगा….. और सभी चीजों की किश्तें समाप्त करके जीवन को खुशहाल बनाऊंगा….
दोस्तों इस कहानी के जरिए मैं यह बताना चाहती हूं….. महंगे शौक और स्टेटस मेंटेन करना गलत नहीं है…. लेकिन वह हमें एक सीमित दायरे में करने चाहिए…. जिससे कि हम पर कोई मुसीबत ना सके….. चद्दर जितनी हो पर उतने ही फैलाए…. वरना समाज में जो रूतवा बढ़ाने के लिए हम अपने आपको सर से लेकर पैर तक क़र्ज़ में डूबो लेते हैं…. उसी समाज में हमारी मिटृटी पलीद ना हो जाए…
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आपकी दोस्त
@मनीषा भरतिया
# दिखावे की जिंदगी