“नील हमारे रिश्ते को तुम्हारे परिवार वाले अहमियत तो देंगे ना! ऐसा तो नहीं कि तुम अपने परिवार वालों के दबाव में खुद भी बदल जाओ?”
“ नहीं प्रकृति ऐसा कभी नहीं होगा! नील उसके हाथ थपथपाते हुए बोला, मैं अपने परिवार वालों को जानता हूं। मेरी पसंद को कभी ना नहीं कहेंगे।”
प्रकृति उसकी बात सुनकर मुस्कुरा तो दी लेकिन उसके जहां में एक डर सा उमड़ आया था ।
प्रकृति और नील दोनों एक ऑफिस में काम करते थे। काम करते हुए दोनों में दोस्ती हुई और फिर प्यार हो गया।
नील एक संपन्न जमींदार परिवार से ताल्लुक रखता था। प्रकृति भी एक अच्छे खानदान से ताल्लुकात रखती थी लेकिन उसके पिता की हैसियत नील के पिता के आगे कुछ भी नहीं थी।
प्रकृति का परिवार थोड़ा खुले विचारों वाला भी था लेकिन नील एक रूढ़िवादी परिवार से था जहां रीति और परंपरा को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया जाता था ।
नीला के समझाने पर प्रकृति प्यार की पींगे कुछ हद तक उसके साथ बढ़ा ली थी। अब वह नील में ही अपना भविष्य तलाश रही थी इसलिए अब उसे नील के अलावा किसी और में कोई रुचि भी नहीं रह गई थी।
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उम्र हो भी रही थी तो उसके माता-पिता शादी के लिए जोर भी दे रहे थे मगर उसका दिल तो नील के लिए ही गुनगुनाता था।
अब वह भी नील पर शादी के लिए जोर दे रही थी।
“ इस बार छुट्टियों में मैं घर जाऊंगा तो अपने माता-पिता से बात करूंगा!” नील उसे आश्वासन देकर अपने घर के लिए निकल गया।
पूरे 12 घंटे की ट्रेन की यात्रा करने के बाद जब वह घर पहुंचा तो उसके माता-पिता के साथ उसकी स्वागत करने के लिए कई सारी तस्वीर थी जो उसके लिए आई हुई थी।
उसकी मां रमा जी बड़ी शौक से उसे फोटो दिखाते हुए बोली “बस तुम एक लड़की पसंद कर लो इन लड़कियों में , जहां कहोगे मैं वहां आंख बंद कर शादी कर दूंगी क्योंकि हमने फोटो टिपणी सब मिलवा लिया है।बस तुम्हारे हां कहने की देर है ।”
नीला घबरा गया।” क्या बात है लल्ला तुम अपनी शादी तय करके आए हो क्या ?”छोटी चाची ने मजाक में पूछा तो नील ने गंभीरता से कहा “हां चाची मैंने लड़की पसंद कर लिया है। मैं उसी से शादी करूंगा।”
“ यह सब क्या बदतमीजी है लल्ला! तुम हमारे खानदान की इज्जत मिट्टी में मिलाओगे क्या?”रमादेवी गुस्से में बोली।
“मैं अगर आपकी पसंद शादी करूं तो खानदान की इज्जत बढ़ जाती है और अपनी पसंद से करूं तो खानदान की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी! इसका क्या मतलब?”
“देखो लल्ला बहस मत करो! तुम्हारे बाबूजी सुनेंगे तो आग लगा देंगे।हम कुछ भी सुनना नहीं चाहते। तुम इन लड़कियों में किसी को पसंद कर रहे हो या फिर हम करें !”रमादेवी नाराजगी जताते हुए बोलीं।
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“मां आप प्रकृति का फोटो तो देखिए, नील ने प्रकृति का फोटो मोबाइल से निकालकर अपनी मां को दिखाते हुए कहा “मां यह प्रकृति है ,बहुत अच्छी लड़की है।”
प्रकृति बहुत ही सुंदर, मासूम लड़की थी लेकिन प्रेम का गुनाह ने उसकी खूबसूरती को मटियामेट कर दिया था। घृणा से मुंह बिचकाते हुए उसकी मां और दोनों चाचियां उसे गालियां देना शुरू किया।
“ तुम शहर गए थे नौकरी करने या हमारे खानदान की इज्जत मटियामेट करने!”
“नहीं चाची ना तो मैं इस खानदान की इज्जत मटियामेट करने गया था और ना आप लोगों के नाक कटवाने।
और हां…! एक बात तो और मैं शादी करूंगा तो प्रकृति से !नहीं तो और किसी से नहीं!”
रमा देवी रोते बिसूरते रह गई। नील वापस शहर लौटकर प्रकृति के साथ कोर्ट मैरिज कर लिया।
इस शादी के साथ ही उसका घर में लौटना बंद हो गया। उसके परिजनों ने उससे रिश्ता तोड़ दिया था।
लगभग 6 महीने बीते होंगे, प्रकृति के शरीर में हलचल होने लगी।उसके कोख में उसके प्यार में दस्तक दे दिया था। वह मां बनने जा रही थी। यह बहुत ही खुशी का मौका था।
उस दिन वह घर पर थी और नील अकेले ही ऑफिस गया था।
शाम को जब नील घर लौटा तो प्रकृति को बहुत खुश देखकर उसने उससे पूछा “क्या हुआ प्रकृति, आज तो तुम बहुत ही ज्यादा खुश लग रही हो?
“ हां बात ही कुछ ऐसी है! मैं मां बनने वाली हूं!”
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“ अरे वाह यह तो बहुत ही खुशी की बात है! नील ने उसे गले से लगाकर उसके माथे को चूम लिया।
“आज तो पार्टी बनता है। आज हम बाहर चलते हैं। पार्टी करते हैं।”
“हां नील पार्टी तो ठीक है पर …!”
“क्या बात है प्रकृति? तुम अपना सिर क्यों झुका लिया!” प्रकृति का चेहरा उठाते हुए उसने कहा, कोई प्रॉब्लम है क्या !हम डॉक्टर के पास चलें ?”
“नहीं नील, मेरी बात सुनो। हम दोनों का प्यार हम दोनों का वंश अस्तित्व ले रहा है।कुछ दिनों बाद वह इस दुनिया में आ जाएगा। वह हमसे ही सीखेगा ना। हम कैसे खुदगर्ज है ।हमारे मां-बाप भी तो हमें अपने कोख पर रखकर ऐसी खुश हुए होंगे मगर हमने उनकी खुशी नहीं देखी ।उन्हें दुख दिया। मैं तो एक अभिशाप बन गई हूं तुम्हारे घर के लिए।”
नील मेरी बात मानोगे ,
“हां बोलो…!”
“हम दोनों तुम्हारे घर चलते हैं!
और उनसे माफ़ी मांगेंगे। वह हमें माफ कर देंगे।”
नील परेशान होते हुए बोला “तुम जानती नहीं हो वे लोग हमें कभी माफ नहीं करेंगे!”
“ नहीं नील ,वे लोग हमें माफ कर देंगे क्योंकि अब मेरे पेट में तुम्हारी निशानी है ना तुम्हारा अस्तित्व है !हम दोनों का अस्तित्व पल रहा है! इससे तो कोई बैर नहीं होगा।”
“ हां शायद तुम ठीक ही रहती हो!”
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डॉक्टर से सलाह मशविरा करने के बाद नील प्रकृति को लेकर अपने घर के लिए निकल गया।
अचानक ही बेटे बहू को घर में देखकर रमादेवी का गुस्सा बढ़ा तो सही लेकिन उनका प्यार भी बढ़ आया ।
प्रकृति बहुत ही सुंदर प्यारी सी लड़की थी।अपने सर पर पल्लू लेकर खड़ी थी और नील शादी के बाद और भी खिल गया था। उसकी खुशी देखे दिख रही थी।
रमा जी ममता में बढ़कर आगे आ गई और अपने बेटे को गले से लगा कर बोली “ऐसी भी क्या नाराजगी थी जो तो पलट कर नहीं आया?”
“ मां गलती किया था! माफ कर दो ।बच्चे नहीं गलती करेंगे तो कौन गलती करेगा बच्चा समझ कर माफ कर दो!”
रमा देवी रोने लगी “बहू बड़ी प्यारी लाया है रे!इतनी लड़कियां मैंने चुनी थी उन सबसे ज्यादा अच्छी है!”
“मां मुझे माफ कर दीजिए। मुझे पहले ही आना चाहिए था मगर हिम्मत नहीं थी!”प्रकृति उनके पैर छूते हुए बोली।
“तो अब हिम्मत कैसे आ गई!”छोटी चाची बाहर आकर बोली।
प्रकृति उनके पैर छूते हुए बोली “चाची जी एक नन्ही जान जो मेरे कोख में आ गया है उसने मेरी आंखें खोल दी है!उसके अस्तित्व ने मुझे बता दिया मैं गलत थी, मुझे इस तरह यह कदम नहीं उठाना चाहिए था। मुझे माफ कर दीजिए ।अगर हम सही नहीं रहेंगे तो हमारे बच्चे कैसे सही हो सकते हैं।”
रमा देवी अपनी नौकरानी को आवाज देते हुए बोली” माया जल्दी से आरती का थाल लेकर आओ।”
रमा देवी ने प्रकृति और नील का आरती उतारा और उन दोनों को अंदर ले आई अपनी छोटी देवरानी कृष्णा को आवाज देते हुए बोली “छोटी बहू मिठाई लेकर आओ! देखो घर में बहू आई है।”
प्रकृति और नील दोनों की आंखों में आंसू आ गए। दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए।
प्रकृति आश्वस्त हो गई “ मेरे पेट में पल रहा मेरा बच्चा दुनिया में आने से पहले ही मुझे इस घर के बहु रानी बना दिया। मुझे मेरा वजूद ,मेरा अस्तित्व मुझे लौटा दिया।
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सीमा प्रियदर्शिनी सहाय
# अस्तित्व
पूर्णतः मौलिक और अप्रकाशित रचना बेटियां के साप्ताहिक विषय हेतु