Moral Stories in Hindi
नीलम ने जैसे ही दरवाजा खोला , सामने अपनी सासू मां मालती जी को देखकर चकित रह गई क्योंकि मालती जी जिस तरह से नीलम से बुरा व्यवहार करके घर छोड़कर गई थी , कभी लगा नही था कि फिर कभी वापस आएंगी !! अपने पति शांतीलाल जी के गुजरने के बाद वह नीलम को बहुत बुरा – भला कहने लगी थी !!
नीलम ने मालती जी के पांव छुए , उतने में अंदर के कमरे से बेटा योगेश भी आ गया !! योगेश भी मालती जी को देखकर हैरान रह गया !!
मालती जी सोफे पर योगेश के साथ बैठी , नीलम किचन में चाय बनाने चली गई !!
मालती जी बोली – बेटा योगेश , मैं चाहती हुं कि तु यह गांव का घर तेरे छोटे भाई नरेश के नाम पर कर दे बस यही बात करने शहर से गांव आई हुं !! नरेश वहां शहर में बहुत अकेला महसूस करता हैं इसलिए चाहता हैं कि थोड़े दिन यहां आकर भी रह पाए आखिर वह भी तो यही तेरे साथ इसी घर में पला – बढ़ा हैं और बचपन से तु छोटे भाई की खुशी का ख्याल रखते आया हैं तो अब भी तुझे ही उसका ख्याल रखना होगा !!
योगेश जानता था कि मां नरेश से बहुत ज्यादा प्यार करती हैं और मालती जी के इतना कहते ही योगेश अतीत के गलियारे में खो बैठा !!
योगेश और नरेश दोनों भाईयों में सिर्फ एक साल का ही अंतर था मगर नरेश के जन्म के बाद मां नरेश पर ही पुरा ध्यान देने लगी थी !!
नरेश को अपने हाथो से खाना खिलाना , अपनी गोदी में सुलाना , कहानियां सुनाना और अपने साथ हर जगह ले जाना और जब योगेश उसकी मां से कहता मां मुझे भी अपने हाथों से खाना खिलाओ ना तब मां योगेश को झिड़ककर कह देती तु अब बड़ा हो गया हैं ना , तुझे सब कुछ खुद के हाथो से ही करना पड़ेगा !!
योगेश अपनी कक्षा के बच्चों को जब देखता कि उनकी मां उन्हें अपनी गोद में उठाती हैं और अपने हाथों से खाना भी खिलाती हैं तो उसे यह एहसास होता कि वह इतना भी बड़ा नहीं हैं जितना उसकी मां उसे बताती हैं , बस नरेश के आ जाने से मां उसे बड़ा बताती हैं !!
योगेश के पापा शांतीलाल जी को योगेश से बहुत प्यार था , वे पत्नी से अक्सर कहते भाग्यवान !! सारा प्यार दुलार छोटे बेटे पर ही लुटा दोगी या बड़े को भी दुलारोगी कभी ?? पर मालती जी कभी उनकी बात पर ध्यान नहीं देती !!
शांतीलाल जी काम से लौटकर योगेश को खुब प्यार करते !!
योगेश ने अपनी दादी से सुना था कि अच्छे से खाना खाओगे तो जल्दी बड़े हो जाओगे !!
योगेश को तो अब ओर बड़ा होने से नफरत होने लगी थी क्योंकि ओर बड़ा होने के बाद तो मां बिल्कुल भी उससे प्यार नहीं करेगी !! दादी की बात सोचकर योगेश खाना कम खाने लगा ताकि वह जल्दी बड़ा ना हो पाए , खाना अच्छे से नहीं खाने के कारण वह बीमार हो गया !!
शांतीलाल जी योगेश को शहर में डॉक्टर के पास लेकर गए !! डॉक्टर बड़ा अनुभवी था बोला आपके बेटे को बहुत प्यार – दुलार की जरूरत हैं , इसे जितना प्यार दोगे उतना जल्दी यह स्वस्थ होगा !!
शांतीलाल जी अपनी तरफ से बेटे को खुब प्यार देते पर उन्हें तो काम पर भी जाना पड़ता था , पुरे दिन तो वे घर में नहीं रहते थे फिर भी शाम को घर वापस आकर भी वे अपना सारा समय योगेश के साथ ही बिताते मगर मालती जी तो अब भी सिर्फ नरेश को ही प्यार – दुलार देती !!
योगेश धीरे धीरे बड़ा होने लगा और वह यह बात समझ गया कि उसकी मां सिर्फ नरेश के लिए ही बनी हैं इसलिए उसने मां से उम्मीद लगाना कम कर दिया और योगेश ने अपनी पढ़ाई – लिखाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया था !!
थोड़े सालो बाद शांतीलाल जी की नौकरी शहर में लग गई , वे शहर चले गए जहां उन्होंने खुब मेहनत की और शहर में उन्होने एक घर बनवाया और उसके आगे एक दुकान बनवाई , उन्होंने सोचा था कि रिटार्यमेंट के बाद वे यह दुकान चलाएंगे और रहने के लिए घर तो हैं ही मगर होनी को कुछ ओर ही मंजूर था !! एक रोज उन्हें सीने में जोरों का दर्द होने लगा , डॉक्टर को बताया तो पता चला उन्हें हार्ट की बीमारी हैं और जल्द ही हार्ट का ऑपरेशन करना पड़ेगा !! शांतीलाल जी विचलित हो गए और वे
गांव वापस अपने घर आ गए , उन्हें मालूम था कि उनकी पत्नी योगेश के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करती इसलिए गांव आकर उन्होंने अपने दोनों बेटो को बुलाकर कहा मैं बंटवारा करना चाहता हुं , मेरे पास दो घर हैं यहां वाला और गांव वाला !! योगेश तुम बड़े हो तो तुम बताओ तुम्हें कौन सा घर चाहिए ?? इतने में नरेश तपाक से बोला पापा मुझे शहर वाला घर चाहिए , वैसे भी इस कस्बे में रहकर मैं कभी आगे नहीं बढ़ पाऊंगा , मालती जी भी नरेश की बातों में हां में हां मिलाते हुए बोली हां सही कह रहा हैं बिल्कुल नरेश और यह गांव का घर तो वैसे भी आपके नाम पर हैं , इसे आपके नाम पर ही रहने दीजिए वैसे भी यहां हम सब साथ ही तो रहते हैं !!
शांतीलाल जी बोले – अगर शहर का घर नरेश को मिलेगा तो यह गांव का घर योगेश के नाम होगा बस बाकि मैं कुछ नहीं जानता !!
शांतीलाल जी के हार्ट का ऑपरेशन सफलतापूर्वक हुआ और थोड़े महिनों बाद उन्होंने अपने दोस्त की बेटी नीलम से योगेश की शादी करवा दी !!
नरेश की शहर में नौकरी लग गई तो वह शहर के घर जाकर रहने लगा , बेटे को अकेले खाने पीने की तकलीफ ना हो इसलिए मालती जी भी उसके साथ शहर जाकर रहने लगी फिर थोड़े दिनों बाद मालती जी ने अपनी सहेली की बेटी से नरेश की शादी करवा दी !!
अब मालती जी भी यहां शांतीलाल जी के साथ गांव के घर में ही रह रही थी !! एक रात शांतीलाल जी ऐसे सोए कि सुबह उठ ही नही पाए !!
उनके मरने के बाद मालती जी ने बड़ी बहू नीलम को कोसना शुरू कर दिया और छोटे बेटे के घर शहर रहने चली गई और योगेश से वे लोग कोई रिश्ता नहीं रखते थे !!
योगेश का ससुराल नरेश के घर के पास ही था इसलिए योगेश को नरेश की खबर मिलती रहती थी !!
मालती जी की आवाज से योगेश की तंद्रा टूटी योगेश क्या फैसला किया तुमने फिर ?? तुम यह घर छोटे के नाम कर रहे हो ना ??
मालती जी ने हमेशा बड़े भाई की खुशियां छिनकर छोटे भाई की झोली में डाली थी और आज इतने सालों बाद भी वे वापस यहीं करना चाहती थी !!
योगेश की आंखों में आंसू आ गए और वह भरे गले से बोला – मां मैं नरेश से साल भर ही बड़ा हूं फिर भी नरेश के जन्म के बाद तुम कहने लगी मैं बड़ा हो गया हु और नरेश पर ही पुरा प्यार दुलार लुटाती !! क्या मुझे तुम्हारे प्यार की जरूरत नहीं थी मां ?? पिताजी जब भी समोसे – कचोरियां या मिठाईयां लाते नरेश अपने हिस्से का खाने के बाद मेरे हिस्से का मांगने लगता तो तुम मेरे हाथ से छिनकर उसे दे देती थी और जब मैं रोता तो तुम कहती बड़े भाई को छोटे भाई के लिए त्याग देना चाहिए !! मेरी परिक्षा के दौरान भी तुम मुझे नरेश को पढ़ाने कहती !!
तुमने मुझे हमेशा त्याग करने का पाठ पढ़ाया मां !!
मैं नरेश से बड़ा था मगर तुमसे तो छोटा था ना मां फिर भी तुमने मेरा बालपन मुझ पे बोझिल बना दिया था !!बड़े होने का मतलब हमेशा अपनी खुशियों की कुर्बानी देना होता हैं क्या मां ??
मालती जी गुस्से में बोली तेरे बाबुजी के जाने के बाद तु लालची हो गया है , अब इस घर को हथियाने के लिए तु मुझे यह बता रहा हैं कि मैंने तुझे कभी प्यार ही नहीं किया !!
योगेश व्यंगात्मक मुस्कान देकर बोला – मां लालची कौन हैं यह तो साफ नजर आ रहा हैं !! जब बाबुजी ने घरो का बंटवारा किया तब तो नरेश को शहर वाला घर चाहिए था क्योंकि यहां कस्बे में कमाई के साधन कम हैं मेरी मर्जी तो किसी ने पूछी ही नहीं थी फिर भी मैं खुश था कि मुझे यह घर मिला जहां मेरे बाबुजी की यादें हैं , मेरा बचपन हैं और अब जब वहां नरेश पर कर्जा चढ़ चुका हैं तो आप मुझे यह घर भी नरेश के नाम करने को कह रही हैं !! यह घर पिताजी ने मेरे नाम पर किया था और मैं यह घर किसी को नहीं दूंगा !!
हां आप लोग मेरा परिवार हैं , आप लोग चाहे तो यहां आकर रह सकते हैं मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं !! इस स्थिति में लालची कौन हैं मां मैं या आप लोग ??
मालती जी गुस्से में चिल्लाकर बोली – तुझे इस घर का घमंड आ गया हैं ना , अब से कभी तेरे इस घर में पांव नही रखूंगी , समझ लेना कि तेरी मां कभी थी ही नहीं !!
योगेश दर्द भरे स्वर में बोला – मां वैसे भी तुम मेरे लिए थी ही कब ?? मालती जी एक पल उसे घूरने लगी और फिर वहां से उठकर चली गई !!
उनके जाने के बाद योगेश बिलख बिलखकर रो पड़ा और सोचने लगा अगर बाबुजी ने सही समय रहते यह घर मेरे नाम पर नहीं किया होता तो मुझे सर छिपाने की जगह भी नसीब नहीं होती !! उसने मन ही मन अपने र्स्वगवासी पिता को धन्यवाद दिया !!
दोस्तों , बहुत से घरों में माता पिता भी बच्चों में भेदभाव करते हैं जिसका खामियाजा कभी कभी बच्चों को भुगतना पड़ता हैं !! योगेश ने आज एक कठोर कदम उठाया था !!
आपको योगेश का फैसला कैसा लगा ?? कमेंट में जरूर बताईएगा !!
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आपकी सहेली
स्वाती जैंन
मुंबई
#कठोर कदम