तू अच्छी सास बनकर दिखा। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

अरे! क्या हुआ? बहू पर इतना गरम क्यों हो रही है?

जब देखो तेरा तो दिमाग ही चढ़ा रहता है, अपने स्वभाव में नरमाई ला, पर तू तो मेरी कभी सुनती ही नहीं है, सास बन गई पर बहू को ढ़ंग से रखने की तुझमें अभी तक भी अक्ल नहीं आई, प्यार और

दुलार से भी बात कर सकती है, अभी तो नई-नई शादी होकर आई है, सब सीख जायेंगी, वैसे चाय तो इसने बहुत अच्छी बनाई है, अपनी नानी सास का दिल जीत लिया, दो घुंट चाय के फिर से लेते हुए कमला देवी बोलती है।

“मां, आप भी ना बहू के सामने आपने मेरी पूरी इज्जत खराब कर दी, आप मेरी मां है मुझे डांट सकती है, पर बहू के सामने तो मेरी इज्जत बनाये रखती, अनिता जी ने अपनी मां से कहा।

“अनिता बेटी, किसी के सामने कुछ कहने से इज्जत 

बिगड़ती है, तो तूने कौनसी अपनी बहू का मान रखा?

सबके सामने गरम होकर उसे डांट कर उसके मान-सम्मान को खत्म कर दिया, अगर नीतू से कोई गलती हो गई हो तो उसे धीरे से कान में कह देती, इस तरह सबके सामने डांटकर तूने कौनसा अच्छा काम किया है? 

“याद रख वो बहू है, तेरी बेटी नहीं है, जो डांट खाकर भी बाद में सब भुल जायेगी, वो तो बहू है, एक बार मन में गांठ बांध लेगी तो जीवन भर तेरी इज्जत नहीं करेंगी।”

“मै जब से आई हूं, यही देख रही हूं, तेरा नीतू के साथ व्यवहार सही नहीं है, मां होने के नाते यही सलाह दूंगी कि तू बहू से बनाकर रख, क्योंकि बहू ही आगे तेरे साथ रहेगी, अभी से बहू पर इतना गरम होगी, गुस्सा करेगी तो बहू भी एक दिन जवाब देगी और तेरी इज्जत नहीं करेगी।”

“बेटी, तू पचपन साल की हो चली है और नीतू अभी सत्ताइस की है, वो तेरी तरह काम नहीं कर सकती है, तेरी उम्र के साथ तेरा बरसों का अनुभव जुड़ गया है, तू उससे तेरी उम्र जितने काम की अपेक्षा कर रही है, ये तो गलत है, आजकल की लड़कियां पढ़ाई-लिखाई में आगे रहती है, घर के काम इतने सीख नहीं पाती,

पर ये बात अलग है कि जब जिम्मेदारी सिर पर पड़ती है तो वो जैसे -तैसे बखूबी संभालना सीख ही जाती है, पर उसमें समय लगता है।”

“अब कल की ही बात लें, तू दस लोगों का खाना आसानी से बना लेती है क्योंकि तुझे ये काम करते हुए बरसों हो गये, वो समय पर और ढंग से बना नहीं पाई, तुझे उसकी मदद करनी चाहिए थी, पर तू उस पर गुस्सा करने लग गई, उसे तो घर में आये सिर्फ एक महीना ही हुआ है।”

“तू रिशते अच्छे से निभा लेती है, पर वो अभी घर में शादी होकर आई है, तुझे उसे समय देना होगा।”

तू अच्छी बेटी है, पर अब अच्छी सास बनकर भी दिखा।

अपनी मां कमला देवी की बात सुनकर अनिता को अपनी गलती का अहसास हुआ, उसने प्रण ले लिया कि अब वो बहू पर कभी गरम नहीं होगी।

धन्यवाद

लेखिका

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरक्षित

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