ताजा खाना – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मां आज लंच बहुत स्वादिष्ट बना था ।मेरे सहकर्मी पूरा खा गए मुझे थोड़ा सा चखने को ही मिल पाया बचा कर रखना मै शाम को खाऊंगी नीति ने ऑफिस से फोन कर मां को बताया।

ये क्या मां ये तो तुमने अभी बनाया है।सुबह वाला कहां है नीति ने ऑफिस से आते ही मां द्वारा लाई गई नाश्ते की प्लेट परे सरकाते हुए कहा और झपटती हुई किचेन में चली गई।

सुन तो बेटी अब सुबह का बना हुआ शाम को खाएगी क्या।ये ताजा नाश्ता कर।इतना काम करके आई है ऑफिस से ।खानपान सही रहेगा तभी तो इतना काम करने की सेहत भी अच्छी रहेगी मां हमेशा की तरह मुस्कुराकर मुझे प्लेट लगा कर दे रहीं थीं।

अच्छा ये कहो ना कि भैया ने पूरा खा लिया ।ये भैया भी ना…आने दो आज इन्हें…तुम्हें भी कम पड़ हो गया होगा क्यों मां नीति ने भी चुहल की।

मेरी क्या चुगली हो रही है मेरी पीठ पीछे ।कोई गहरी साजिश रची जा रही है मेरे विरुद्ध मेरे ही घर में मेरी शैतान छोटी बहन के द्वारा तभी भैया जो कॉलेज में सहायक प्राध्यापक थे ऑफिस फाइल्स लिए प्रविष्ट हुए।

आ जा परिमल बैठ ।साथ में चाय पी ले कहती मां झट से उठ कर किचेन में चली गई।

देखा भैया मां को।अरे सुबह ही इतनी सारी चीजें लंच में बनाया था तो अभी शाम को फिर ताजा नाश्ता बनाने की क्या आफत आ जाती है। रोज मां का यही सुविचार रहता है ताजा भोजन करना चाहिए सेहत अच्छी तो काम अच्छा नीति भड़क उठी।

हां नीति और खुद देखना वही सुबह वाला खायेगी।ये मां की बरसो पुरानी आदत है खुद के प्रति लापरवाह ..भैया ने कहा।

लेकिन भैया मुझे तो पता तक नहीं चलता मां खाना कब खा लेती हैं खाने में क्या खाती है नीति ने चिंता से कहा।

ठीक कह रही है छोटी।मां हमेशा यही जताती है कि तुम सब खा लो फिर मैं तसल्ली से खा लूंगी।इसके पीछे भी उसका राज है ।

भैया ऐसा कुछ करो कि मां की ये आदत छूट जाए नीति ने आशा से देखते हुए कहा।

हां नीति ठीक कहती है कुछ तो तरकीब करनी ही पड़ेगी अब। क्योंकि मां अपने सेहत और खान पान की तरफ से घोर लापरवाह होती जा रही हैं जबकि उम्र बढ़ने के साथ उन्हें ज्यादा ध्यान देना चाहिए भैया ने गंभीरता से सोचते हुए कहा।

भैया धीमे स्वर में बोले तब तक मां चाय लेकर आ गई थी।

क्या खुसुर फुसुर दोनों भाई बहनों में चल रही है।अब क्या मेरे विरुद्ध कोई #साजिश रची जा रही है मां ने हंसकर कहा तो नीति झट से बोल उठी कैसी बात कर रही हो मां।हम दोनों आपके इतने सीधे भोले बच्चे हैं।अपनेऑफिस तक में तो किसी को रोक टोक नहीं पाए और भला तुमसे अपनी मां के विरुद्ध कोई साजिश..!! राम राम मां ऐसा सोचा भी कैसे तुमने!! नीति ने भैया की तरफ चुपके से देखते हुए मां को टाला।

गुपचुप भाई बहन  ने मां के विरुद्ध एक मीठी सी साजिश कर ली।

रात का खाना मां ने बहुत बढ़िया बनाया था।पिता जी की फेवरेट मलाई मटर की सब्जी थी।

मां आओ ना तुम भी आज साथ में खायेंगे भैया ने जोर से आवाज देकर बुलाया तो खाना खाते पिता जी असहज हो गए।

पिता जी आप आवाज दीजिए तभी मानेगी मां।कम से कम रात का खाना तो सब इकट्ठे खा ही सकते हैं नीति ने पिता की असहजता को भांपते हुए दबाव डाला।

मैं आ जाऊंगी तुम लोग पहले अच्छे से खा लो।दिन भर सब घर से बाहर  अपने अपने  ऑफिस का काम करते थक कर बेहाल हो जाते हो पिता के कुछ कहने से पहले ही मां पिता जी का बचाव करने आ गई।

पिता जी ने फिर भी कुछ नहीं कहा।तब भैया उठ कर खड़े हो गए।

आज तो जब तक तुम साथ नहीं बैठोगी कोई खाना नहीं खाएगा मां हठी स्वर मे कह भैया मां को पकड़कर ले आए और नीति के बगल में बिठा दिया।

मैं तो खा  चुका भाई  कहते पिता जी तत्काल उठ गए।

देखा इसीलिए मैं नहीं आ रही थी।आप ठीक से खा तो लीजिए कहती मां भी झट से उठ गईं थीं।शायद उन्होंने पिता का संकोच भांप लिया था।

रोटी भी सेकनी है मैं सेंक लाऊं फिर आती हूँ कहती मां फुर्ती से किचेन की तरफ मुड़ी।

पिता जी आपका खाना तो ही चुका है तो आज आप ही रोटियां क्यों नहीं बना लेते भैया भी आज कुछ ठान कर बैठे थे।नीति चकित थी।

हां हां पिता जी बहुत मजा आएगा आप सेकेंगे और मां खाएंगी छोटी बच्ची की तरह नीति मचल उठी।

कैसी बातें कर रहे हो तुम लोग ।आज क्या हो गया है बच्चों को। अभी तो पिता जीऑफीस से थके हारे आएं हैं मां ने बुरी तरह डपट दिया।

हां हम सब तो दिन भर काम कर करके थक जाते हैं और मां तुम नहीं थकतीं क्या!! तुम तो सबसे पहले उठ जाती हो सबसे बाद में सोती हो।दिन भर घर के हजारों काम,आने जाने वालों का प्रबंधन,घर में क्या समान घट गया है….. ये सब अगर तुम ना करो तो ना ही पिता जी समय से ऑफिस जा पाएंगे।ना ही मैं और भैया।ये जो दिन भर हम सबकी रुचि का खाना नाश्ता बनाती रहती हो जिसके कारण हम सबका स्वास्थ्य सही रहता है कभी अपने स्वास्थ्य की भी चिंता किया करो।अगर तुम्हारी तबियत बिगड़ गई तो …..!! कहते भैया किचेन में पहुंच गए थे।

ये देखिए पिता जी मां ने अपनी थाली पहले ही लगा रखी है।सुबह की बची हुई सारी चीजें इनकी थाली में हैं अभी बनाई हुई एक भी नहीं कहते हुए भैया ने किचेन के प्लेटफॉर्म पर एक तरफ ढंकी रखी थाली खींच कर पिता जी को बाहर लाकर दिखाई।

पिता जी ने कभी इस तरफ ध्यान नहीं दिया था।मां के साथ कभी भोजन किया ही नहीं था उन्होंने।अचानक खुले इस रहस्य ने उनके मन को झकझोर दिया।मां के खान पान और स्वास्थ्य के प्रति अचानक एक चिंता सजगता एक खयाल उनके मन में कौंध गया।

ये उन दिनों की बात है जब मां और पिता जी के कार्यक्षेत्र दृढ़ता पूर्वक सीमांकित रहते थे।मां घर गृहस्थी चूल्हा चौका और पिता नौकरी आर्थोपाजन में ही कर्तव्य निष्ठा से जुटे रहते थे। पति पत्नी का पारस्परिक व्यवहार संकोच मर्यादा से आवृत्त होता था।

मां जब मैं शाम को  मांग रही थी तब तुमने क्यों कहा कि खत्म हो गया नीति नाराज होने लगी।

क्योंकि नीति मां हम सबको ताजा ही बना कर खिलाती हैं और बचा हुआ खाना फेंकना भी नहीं चाहती।इसलिए किसी को ना खिला कर वह खुद खाती रहती है भैया ने तमतमाए स्वर में कहा।

… और इसीलिए अक्सर इनके पेट में दर्द रहने लगा है पिता जी ने अचानक  भारी स्वर में कहा तो मां चकित होकर देखने लगी।

पेट दर्द मुझे कहां कब..!! वो तो कल रात गैस बन रह थी इसलिए…मां झट से सफाई देने लगी।

बस बहुत हुआ… अब आज से रात का खाना सब साथ में बैठ कर खायेंगे।ताजा गरम खाना मां भी खाएंगी।अभी मां तुम लोगो के साथ खाएंगी रह गई रोटी की बात तो वो आज मैं ही बनाऊंगा और खिलाऊंगा पिता जी ने निर्णयात्मक स्वर में कहा तो मां कुछ कह ही नहीं पाई।

पिता जी की हर बात मां के लिए पत्थर की लकीर ही होती थी।लेकिन अपना ख्याल करवाना उन्हें अपराध बोध से ग्रस्त कर गया था।

चलो चलो मां आज मै तुम्हे अपने हाथ से खिलाऊंगी नीति ने खिलखिलाते हुए भैया की तरफ राजदारी से देखते हुए कहा और अपराधी भाव लिए खड़ी मां का हाथ पकड़ जबरदस्ती टेबल पर ले आई।

मैं सब समझती हूं सब तुम दोनों की साजिश है मेरे विरुद्ध पिता को भड़काने की मां ने नाराज होते हुए कहा।

मां इसे साजिश नहीं कहते ।साजिश तो तुमने स्वयं अपने लिए रची है  जिसमें तुम फंसी हुई थी।सबको साथ बिठाकर ताजा भोजन कराना और खुद अकेले कुछ भी खाते रहना।हमने तो तुम्हे इस भयंकर साजिश से बाहर निकालने की तरकीब लड़ाई ।अब से तुम हम लोगों के साथ बराबरी से बैठकर खाना नाश्ता करोगी क्यों छोटी ठीक कहा ना मैंने भैया ने हंसकर नीति की तरफ़ देखते हुए कहा ।

ठीक कहा भैया आपने बिल्कुल ठीक कहा अब से रोज सभी लोग डिनर साथ में बैठकर करेंगे पिता जी ने फरमान जारी कर दिया है।क्यों पिताजी ठीक कहा ना मैने  नीति ने मां की थाली में पिता जी द्वारा लाई रोटी रखते हुए कहा।

एकदम ठीक कहा बच्चों …मां सबके स्वास्थ्य और खान पान का ध्यान रखती है तो मां के स्वास्थ्य और खान पान का ध्यान कौन रखेगा पिता जी ने कहा।

हम लोग …दोनों ने मां के मुंह में निवाला खिलाते हुए समवेत स्वर में घोषणा की।

साजिश#साप्ताहिक शब्द प्रतियोगिता

लतिका श्रीवास्तव

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