तुम्हारा दिमाग तो सही है? पता भी है सोने की भाव का?एक लाख से ऊपर हो गया ।
मेरी औकात नहीं•• इसलिए तुम इसे भूल जाओ।
देव प्रसाद अपनी पत्नी मालती से बोलें ।
बहुत सोचा है तभी बोल रही हूं! अब तो मुझे #सोने की कंगन इस धनतेरस पर चाहिए ही चाहिए!
वह जिद पर अड़ी थीं ।
ना बाबा मुझमें इतनी औकात नहीं कि तुम्हें कंगन दिला सकूं!
देखिए जी! आपकी मां ने हमारी शादी में जेवर देने में कंजूसी की! सिर्फ दो सोने की चूड़ियां चढ़ाई और वो भी मुझे•• अब आती नहीं!
मैंने सोच लिया है कि इन्हें बदलकर दूसरी कंगन ले आऊंगी!
बदलने के लिए ऐसे बोल रही हो जैसे और भी पैसे लगाने नहीं पड़ेंगे ? अभी माला की पढ़ाई बाकी है और तुम कहां ये सब लेकर बैठ गई••! बाद में दिला दूंगा!
अच्छा! मैं कुछ बोलूं तो तुम्हें बेटी की पढ़ाई नजर आती है•• अपने लिए तो तुम्हारा हाथ खुला रहता है! मालती जी गुस्से में बोलीं।
मुझे तो दिन में ही तारे नजर आने लगे माफ करो ! मैं नहीं दिला सकता!
नहीं दिला सकोगे तो सुनो••
अभी से मैं ना खाना बनाऊंगी और न खाऊंगी!
कहते हुए उन्होंने धड़ाम से कमरा बंद कर लिया।
चलो आफत टली अब जिद नहीं करेगी!
सोचते- सोचते वह आराम कुर्सी पर बैठ पेपर में खो गये।
चंद मिनट में ही डोर बेल बजा । दरवाजा खोला तो सामने माला को देख घड़ी को देखा ।
बड़ी जल्दी आ गई क्लास से••?
हां पापा! आज धनतेरस तो है ही साथ में दीपावली की छुट्टियां भी हमें 7 दिनों की मिल गई !
ये तो अच्छी बात है!फिर तू कहे तो•• छठ पूजा में घर हो आते हैं? मैं भी ऑफिस से छुट्टी ले लेता हूं!
नहीं पापा! अब इस बार रहने दीजिए मेरी बोर्ड परीक्षा भी नजदीक है !
चल कोई बात नहीं हम अगले साल चलेंगे! तू हाथ-पैर धोकर कुछ खा ले! फिर एक कप गरमा-गरम चाय बना देना!
हां पापा अभी बनाती हूं !
आज घर में शांति है मां कहां है?
मत पूछ कहां है?
क्यों क्या हुआ?
मैडम जी अंदर से दरवाजा लगाकर बैठी हैं!
पर किस लिए?
माला घबराते हुए पूछी।
क्योंकि मैंने उसके लिए कंगन खरीदने से मना कर दिया !
सोने का कंगन?
हां फिर देव प्रसाद जी ने लता को सारी बात बताई ।
सब कुछ सुनाने के पश्चात
पापा कोई बात नहीं!
मां को कई सालों से इच्छा है!
पर बेटा मैं एक साधारण क्लर्क हूं! मेरी तनख्वाह भी तुम्हें पता है फिर कंगन मैं कैसे दिला सकता हूं ? चिंतित होते हुए वह बोले।
मां ने अपनी चूड़ियां बेचकर कंगन लेने की बात की है और उन्होंने कंगन के लिए बड़े दिन से पैसा भी जमा कर रखा है आपको देने की जरूरत नहीं!
लो••ये सीक्रेट तो मैं जानता ही नहीं! तू अब बता रही है !
हां मुझे मां ने पहले ही बता रखा था वह तो यह भी बोल रही थी कि आप उन्हें नहीं दिलाओगे!इसलिए उन्होंने घर के खर्चों में कटौती कर कुछ पैसे जमा किये !
माला बोली।
अच्छा यह बात तो श्रीमती जी ने मुझे बताया ही नहीं! खामखां मैंने भी उसे मनाने की झंझट मोल लिया।
देव प्रसाद हंसते हुए बोले।
आपको हमेशा मजाक दिखता है! इससे पहले की मां अंदर ही अंदर आपको कोसती रहें••चलिए! उन्हें मनाते हैं!
हां हां चल वरना आज खाना भी बंद कर देगी!
मां दरवाजा खोलो! मुझे भूख लगी है!
आंख मारते हुए लता बोली।
हां भाग्यवान! खोल दे दरवाजा मैं भी भूखा हूं पेट में आग लगी है•••!
तुम्हारे पेट में आग लगे तो लगे मेरी बला से आज मैं खाना नहीं बनाऊंगी।
चलो आग लगाने की बात कर ही रही हो तो•• एक कप चाय ही पिला दो! इसमें मेरी भी बात रह जाएगी और तुम्हारी भी इच्छा पूरी हो जाएगी!
पापा !आप उन्हें मना रहे हो या और भी चिढ़ा रहे हो !
लता एक छोटी सी डांट लगाते हुए देव प्रसाद को बोली।
चल अब नहीं बोलूंगा! तू बोल!
हां मैं ही बोलूंगी! आप चुप ही रहना वरना मानने की जगह और भी भारक उठेंगी••और पता है ना दो दिन आपका खाना-पानी सब बंद! तू है ना!
ना -ना इस भरोसे में ना रहे कि मैं खाना बनाऊंगी! वैसे भी मेरे एग्जाम्स सर पर है !
अच्छा! फिर तो अन्नपूर्णा देवी को ही मनाना होगा !
अरे भाग्यवान मैं हूं ना! दिला दूंगा तुम्हें सोने का कंगन!
अब तो मान जाओ मेरी लक्ष्मी•• आज धनतेरस है घर की लक्ष्मी ही नाराज हो जाये तो मेरा क्या होगा? कहीं तुम्हारी कोई चाल तो नहीं मुझे बाहर निकलवाने की ?
अंदर से मालती जी बोलीं ।
ना -ना हाय तौबा!
कान पकड़ते हुए देव प्रसाद बोले। माला उन्हें ऐसा करते देख जोर से हंस पड़ी।
पापा आप भी ना!
मां आज धनतेरस है और मैं आपसे प्रॉमिस करती हूं की कंगन खरीदवाने में मैं आपके साथ चलूंगी•• यह मेरी गारंटी रही!
तू कहती है तो मैं आती हूं•• एक तुझ पर ही तो भरोसा है!
कहते हुए मालती जी दरवाजा खोल एक नजर देव प्रसाद पर डाल मुंह टेढ़ा कर किचन में चली गईं।
वाह जी वाह सारे नखरे मेरे लिए ही है तुम सब के!
ऐसा सुन माला हंसते हुए अपने कमरे में चली आई ।
इधर देव प्रसाद जी किचन में मालती से बोले
अब उठ गई हो तो एक कप चाय बना देना बहुत थक गया हूं••!
हां -हां पहले लड़ाई करो फिर बोलो कि थक गया हूं••पहले ही मान जाते तो यह सब नहीं करना पड़ता ना! अरे माफ करो मेरी मां! अब तो चाय पिला दो!
मालती जी एक तिरछी नजर देव प्रसाद जी पर डालीं फिर मुंह पीछे कर मुस्कुराई ।
जाओ जाकर पेपर पढ़ो! मैं चाय बनाकर लाती हूं !
हां ये हुई ना बात !
चहकते हुए देव प्रसाद जी पेपर ले आराम कुर्सी पर बैठ गए ।
शाम में:-
मालती और माला कंगन खरीदने शॉप पे गईं और काफी तोलमोल करने के बाद इसे खरीदा।
मां कंगन कलाई में डालीये!
मालती जी कंगन अपनी कलाई में डालीं।
वाह कितनी खूबसूरत है ना !
हां आज मेरी वर्षों की इच्छा पूरी हो गई••मुझे चुट्टी काट,कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही!
नहीं मां यह हकीकत है !
आप इसे पहन के ही चलो अच्छा लग रहा है!
नहीं इसे पैक करवा लेती हूं••
बाहर रिस्क है!
मां अभी आपको धनतेरस और दिवाली की बहुत सारी खरीदारियां करनी हैं ना? बर्तन भी लेनी होगी! इसीलिए कहती हूं आप इसे अपनी कलाई में ही डाल लो !
ठीक है तू कहती है तो मैं पहन लेती हूं !
फिर दोनों ने एक डेढ़ घंटे शॉपिंग की। जब वह लौट रही थी तो 10:00 बज गये ।
मां 10:00 बज गये•• अब हमें चलना चाहिए !
अभी आधा रास्ता तय ही किया था कि अचानक एक मोटरसाइकिल पर सवार आदमी जिसका मुंह ढका था वह मालती का चेन खींचने की कोशिश करता है पर चेन खींच नहीं पया तो गर्दन के पीछले हिस्से पे बंदूक रख
फटाफट चेन और कान की बाली निकाल और हां•• ये कंगन भी!
अब तो मालती की बोलती बंद हो गई और पसीने चलने लगे।
माला मां को घबराता देख हिम्मत करती है••
भैया! आप हमें कोई भी नुकसान मत पहुंचाना हमारे पास जो कुछ भी है हम आपको दे देते हैं••!
मां! आप इन्हें चेन और कान की बाली,कंगन सभी कुछ दे दीजिए!
मालती जी माला की तरफ आश्चर्य से देखती है कहीं ये लड़की पागल तो नहीं हो गई मन ही मन सोचती हैं।
चल जल्दी कर!
मालती को सुस्त होता देख ,वह बदमाश बोला।
हां मां! जल्दी दे दो ना आप कल नई खरीद लेना•• आर्टिफिशियल ज्वेलरी शॉप से! हमें घर जाने में देर हो जाएगी और भैया की टाइम खराब होगी सो अलग!
क्या रोल गोल्ड ? ऐसा सोच वह
एक नजर मालती के गले में पहने चेन पर डाला जिसकी सचमुच की पॉलिश उड़ी हुई थी।
दूसरी नजर दोनों मां बेटी के चेहरे के एक्सप्रेशन पर भी था जिसमें मालती जी की हवा निकली थी पर माला को निडर देख मोटरसाइकिल वाले को यह एहसास हो गया कि इन्होंने सारी चीज नकली ही पहन रखी है ।
मालती को धक्का देते हुए
बुड्ढी ने टाइम खोटा कर दिया कहते हुए उसने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और चलता बना ।
इस आर्टिफिशियल चेन की वजह से आपकी असली कंगन बच गये!
माला मालती को संभालते हुए बोली।
कंगन सिर्फ और सिर्फ तेरी बुद्धिमानी की वजह से बची!
बेटी की बहादुरी और चालाकी से मालती गदगद हो गई। घर जाकर उन्होंने सारी बातें देव प्रसाद जी को बताई ।देव प्रसाद की बेटी की बहादुरी से बहुत खुश हुए ।
दोस्तों कहानी पढ़िये!
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छठ पूजा की ढेर सारी शुभकामनाएं आप सबको!
धन्यवाद।
मनीषा सिंह