स्नेह का बंधन – रचना गुलाटी : Moral Stories in Hindi

आज मीरा का मन बहुत बेचैन था। उसे अपनी माँ की बहुत याद आ रही थी। माँ की फ़ोटो हाथ में लेकर वह सुबक रही थी। कमरे के एक कोने में बैठी हुई अपनी माँ को याद कर रही थी। उसकी माँ उसके बचपन में ही उसे छोड़कर भगवान के पास चली गई थी। उस समय वह सिर्फ़ दस वर्ष की थी। तभी उसकी दादी के कहने पर उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। दूसरी माँ से मीरा को अपनी माँ जैसा प्यार मिलने की उम्मीद थी पर ऐसा नहीं हुआ।

उसकी सौतली माँ हर समय अंगारे उगलती रहती थी। उसे बुरा-भला कहती। मीरा का बचपन कहीं खो गया था। साल बाद जब उसके घर में उसका छोटा भाई आया तो मानो उसे अपना बचपन दोबारा मिल गया। वह अपने भाई से खेलती, उसे प्यार करती। माँ ने उस छोटे से बच्चे की जिम्मेदारी मीरा पर डाल दी।

मीरा भी खुशी-खुशी अपने स्कूल का काम, घर का काम और भाई की देखभाल हँसकर करती परंतु छोटी सी चूक हो जाने पर उसकी माँ अंगारे उगलने से बाज नहीं आती थी। आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। मीरा छोटे भाई के पास बिस्तर पर बैठी थी । वह खिलौनों से खेल।

रहा था कि खेल ही खेल में उसने एक खिलौना अपने माथे पर मार लिया। उसे चोट तो ज़्यादा नहीं आई पर उसके रोने की आवाज़ सुनकर माँ ने मीरा को थप्पड़ मारा और जली कटी सुनाते हुए कहा कि आज के बाद वह अपने भाई के पास कभी नहीं आएगी। मीरा सब कुछ सहन कर रही थी पर भाई के पास न आना सुनकर वह रोने लगी। इसलिए आज उसे अपनी माँ की बहुत याद आ रही थी।

सौतेली माँ ने मीरा को उसके भाई के पास जाने नहीं दिया। जब एक-दो दिन मीरा अपने भाई के पास नहीं गई तो उसका भाई बीमार हो गया। दवा से उसका बुखार उतर नहीं  रहा था। मीरा बहुत व्याकुल थी और ईश्वर से भाई की सलामती की दुआ माँग रही थी। जब उसकी माँ कुछ काम करने किचन में गई तो मीरा चोरी- चोरी अपने भाई के पास चली गई । मीरा को देखकर वह छोटा बच्चा खुश हो गया

और हाथ-पैर मारने लगा। जब उसकी माँ ने आकर यह दृश्य देखा तो उसका मन भर गया। उसने मीरा को कुछ नहीं कहा और उसे अपने भाई के पास बैठने दिया। शाम तक बच्चे की तबीयत में सुधार होना शुरू हो गया। तब उसकी माँ को एहसास हुआ कि खून के रिश्ते से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण प्यार का रिश्ता होता है।

भाई- बहन के प्यार ने उसके मन के मैल को धो दिया। उस्ने सच्चे दिल से मीरा को गले लगा लिया और अपनी भूल को सुधारकर उस पर अपनी ममता लुटाने लगी। अब वह सच में दो बच्चों की माँ बन गई थी। मीरा के जीवन में खुशियों ने दस्तक दे दी थी।

स्वरचित

रचना गुलाटी

लुधियाना

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