दोपहर के 2:00 बजे हैं , विभा एक कॉस्मेटिक शॉप मे आती है , उसको अपने लिए कुछ मेकअप का सामान खरीदना है | दुकान बहुत बड़ी है जहां पर लगभग हर तरह का मेकअप का सामान हर ब्रांड के मेकअप का सामान मिलता है | क्योंकि समय ऐसा है कि इस समय दुकान के कुछ एम्पलाई (वर्कर ) लंच कर रहे हैं इसलिए दुकान पर भीड़ भी कम है |
विभा अपने लिए मेकअप का सामान देख रही है , पसंद कर रही है तभी पीछे से किसी का हाथ विभा के हाथ से टकराता है जब विभा पीछे मुड़ती है तो वह देखती है कि उसकी स्कूल की दोस्त सिया सामने खड़ी है | विभा सिया को देखकर बहुत खुश होती है और सिया भी विभा से मिलकर बहुत खुश होती है | दोनों एक दूसरे के गले मिलती हैं |
विभा सिया से बोलती है कि पूरे 10 साल बाद आज हमारा मिलना हुआ | सिया भी कहती है कि हां बिल्कुल , स्कूल के बाद तो हम ऐसे अलग हुए कि आज जाकर मिले | विभा और सिया एक दूसरे का हाल – चाल पूछती है |
विभा सिया से पूछती है कि तू यहां क्या कर रही है ?सिया जवाब देती है कि मैं तो यहीं इसी दुकान पर काम करती हूं सेल्स गर्ल हूं यहा पर और तू बता तू यहा कैसे ? विभा कहती है कि मैं तो अपने लिए यहां कुछ मेकअप का सामान लेने आई हूं बस वही देख रही हूं लेकिन अच्छा हुआ की मुझे तू मिल गई अब तू मुझे दिखा मेकअप का सामान और
तू तो मेरी पसंद जानती ही है |
सिया कहती है कि हां क्यों नहीं ? मुझे पता है तुझे बचपन से ही सजने सवरने का कितना शौक है | विभा कहती है कि हां और तू अभी भी वेसी की वेसी ही है बिल्कुल सिंपल जैसे पहले रहती थी वैसे ही अभी रहती है |
सिया विभा की बात सुनकर मुस्कुराने लगती है और और बोलती है कि तू तो है ना मेकअप करने के लिए तुझे मेकअप बहुत पसंद है | तू शौक से मेकअप करती है तो बस हम दो सहेलियां हैं जिसमे से एक मेकअप ज्यादा करना पसंद करती और एक कम पसंद करती है |
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सिया फिर घूम कर काउंटर की तरफ आती है और उससे पूछती है कि बता तुझे क्या-क्या सामान चाहिए ? विभा सिया को बताती है कि उसको मेकअप में क्या-क्या चीज चाहिए | सिया सारा सामान लाकर काउंटर पर रख देती है विभा के लिए | विभा सामान पसंद कर लेती है फिर एकदम से विभा कहती है कि हां यार मैं एक चीज भूल गई मुझे सिंदूर भी खरीदना था |
सिया बोलती है कि मैं अभी 1 मिनट में लेकर आती हूं , सिंदूर की डिब्बी अलग रखी हुई है क्योंकि आजकल लेडिस कम ही सिंदूर खरीदती हैं | विभा कहती है कि ये तो गलत बात है लेडिस को तो सिंदूर लगाना ही चाहिए | मैं तो देख जब से मेरी शादी हुई है तब से मैं सिंदूर के बिना एक दिन भी नहीं रही , इसलिए मेरे मेकअप में और कोई चीज हो या ना हो लेकिन सिंदूर जरूर होता | सिया कहती है कि तू सही कह रही है विभा , लेकिन सबकी अपनी-अपनी मर्जी | क्या किया जा सकता है | अब सिया जाती है और सिंदूर की डब्बी ले आती है और विभा से कहती है कि चूज कर ले कौन सा तुझे चाहिए ?
विभा कहती है यार सबसे अच्छा सिंदूर जो है वो मुझे देना | वही खड़ा एक व्यक्ति ( जो कि शायद इस दुकान का ओनर है )बोलता है कि यह अच्छी बात है कि आज के मॉडरन समय में भी आज के इस दौर में भी आप इतनी पढ़ी-लिखी होकर भी सिंदूर लगाती है और अभी भी अापने सिंदूर लगाया हुआ है और आपको शौक भी है | नहीं तो आजकल सिर्फ मेकअप करने का तो लड़कियों को शौक होता है लेकिन सिंदूर कम ही लगाती हैं |
विभा कहती है कि हां मुझे तो सिंदूर लगाना सबसे अच्छा लगता है तभी तो मैं हमेशा सिंदूर लगा कर रहती हू | सिया बोलती है कि ये तो सबकी अपनी अपनी चॉइस है | अपनी-अपनी मर्जी है | जिसको जो करना है जिसको जो अच्छा लगता है, वह उसको करना चाहिए |
विभा बोलती है कि हां तुम्हारी बात सही है ,लेकिन मुझे लगता है कि एक शादीशुदा औरत का सिंदूर ही है जो दूर से दिखना चाहिए और वह अच्छा भी लगता है |
विभा सिया से कहती है कि तूने नहीं लगाया सिंदूर ऐसा क्यों? तेरी शादी तो हो गई है ना ? सिया कहती है कि हां – हां मेरी शादी हो गई है और मेरे दो बच्चे भी है दोनों स्कूल जाते हैं | लेकिन तुझे पता है कि मुझे ज्यादा मेकअप का शौक नहीं है |
विभा सिया से कहती है कि मेकअप चाहे ना करो लेकिन सिंदूर तो लगाना चाहिए | सिया मुस्कुराती है और कहती है कि ठीक है तू लगाती है अच्छी बात है | और तुझ पर अच्छा भी बहुत लगता है ,अब यह सब बातें छोड़ और देख तुझे कौन सा सामान खरीदना है |
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विभा बोलती है कि हां हां यार मैं तो सच में ही बातों में ही लग गई ये शायद मेरी पुरानी आदत है | विभा सारा समान देखती है जो जो उसको खरीदना है वह चूज़ कर लेती है और सिया से बोलती है कि सिया ये सामान मुझे पैक कर दे और बिल बना दे |
सिया सारा सामान एक बार फिर से चेक कर लेती है और एक-एक करके सब पैक कर देती है और उसका बिल बना देती है | अब बारी आती है पेमेंट की तो सिया विभा से पूछती है कि पेमेंट कैश करोगे या ऑनलाइन करोगे ?
विभा बोलती है की मैं कैश करूंगी पेमेंट | सिया कहती है कि ठीक है | सिया विभा को बिल बना कर देती है और विभा वह बिल अपने साथ आए व्यक्ति के हाथ में पकड़ा देती है अब जो व्यक्ति सिया के साथ आया था वह बिल की तरफ देखता है और अपने जेब में से पर्स निकालकर उसमें से पैसे लेकर विभा को दे देता है और विभा वही पैसे सिया को देती है और पेमेंट क्लियर हो जाती है |
सिया उस व्यक्ति की तरफ देखती है और उसको हेलो बोलती है और वह व्यक्ति भी सिया को मुस्कुरा कर हैेलो बोलता है उसके बाद वह दुकान से जाने लगते हैं फिर विभा सिया से कहती है कि यार हम इतने साल बाद मिले लेकिन हमारी ज्यादा बात हो नहीं पाई
तू बता कब फ्री होती है तू ? तब मिलते हैं , हम किसी दिन कॉफी शॉप में ?
सिया विभा से कहती है कि क्यों नहीं ! बिलकुल मिलते है! हम ! कितने दिन हो गए , हमें मिले हुए , बात करे हुए , तो फिर आज ही मिलते हैं शाम को , तब सिया विभा से कहती है कि नहीं यार आज तो पॉसिबल नहीं हो पाएगा | ऐसा करते हैं कि कल मिलते हैं| अब दोनों एक दूसरे के नंबर एक्सचेंज कर लेती है | और एक दूसरे को बाय बोलती हैं |
विभा सिया से कहते हैं कि मैं कल मॉर्निंग में मैसेज कर दूंगी कि कल शाम को हमें कितने बजे और कहां मिलना है | सिया कहती है कि ठीक है , पक्का हम कल शाम को मिलते हैं |
अब विभा दुकान से चली जाती है और सिया भी अपने काम में व्यस्त हो जाती है | अगले दिन विभा का मैसेज आता है सिया के मोबाइल पर और वह उसको बोलती है कि शाम को 5:00 बजे हम कॉफी शॉप में मिलेंगे , जो तुम्हारी दुकान के नजदीकी है | सिया रहती है कि हां यह अच्छा रहेगा| तो ठीक है , अब 5:00 बजे मिलते हैं कॉफी शॉप में |
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अब शाम के 5:00 बजे हैं | और सिया कॉफी शॉप में पहुंच जाती है और थोड़ी देर में विभा भी वहां आ जाती है | विवाह वहां गाड़ी से आती है लेकिन सिया तो पैदल ही आती हैं क्योंकि सिया के पास कोई गाड़ी नहीं है | विभा का ड्राइवर विभा को कॉफी शॉप में छोड़कर चला जाता है , विभा उसको बोल देती है कि 1 घंटे के बाद वापस लेने आ जाना |
अब दोनों सहेलियां कॉफी शॉप में बैठी है और गप्पे लड़ा रही है , बातचीत कर रही है , बचपन की यादें ताजा कर रही है , बातों ही बातों में सिया विभा से कहती है कि यार हम तो मिल लिए है पर मुझे लगता है कि हमारी फैमिली को भी एक दूसरे से मिलना चाहिए ?
तेरे हस्बैंड से तो मैं कल मिल ली लेकिन अब मैं तुझे अपने घर इनवाइट करूंगी ताकि तू भी मेरे हस्बैंड से मिल सके | ये बात सुनकर विभा जोर-जोर से हंसने लगती है तो सिया पूछती है कि क्या हुआ ? इसमें हंसने की क्या बात है ?
विभा सिया को कहती है कि यार वो मेरा हस्बैंड नहीं है वो तो मेरा बॉस है ,जहां मैं जॉब करती हूं ,वहां पर मेरा बॉस है | वो तो मुझे परचेसिंग करवाने आया था शॉपिंग करवाने आया था , साथ में |
अब यह सुनकर सिया थोड़ा सा हैरान हो जाती है उसके चेहरे पर कई प्रश्न चिन्ह नजर आने लग जाते हैं वो चाहती है कि विभा से पूछे लेकिन फिर उसको लगता है कि ये विभा की अपनी लाइफ है , किसी की लाइफ में इंटरफेयर नहीं करना चाहिए , इसलिए वह कुछ नहीं पूछती |
लेकिन विभा को लगता है कि सिया उससे कुछ पूछना चाहती है लेकिन बस पूछ नहीं रही इसलिए विभा खुद सिया को बोलती है कि यार हम दोनों दोस्त हैं ,बचपन के ,दोस्त हैं , तो तू मेरे से कुछ भी पूछ सकती है |इसलिए तुझे जो पूछना है पूछ
मैं बुरा नहीं मानूंगी ?
सिया कहती है कि देख वैसे तो यह तेरा निजी मामला है लेकिन फिर भी तूने कहा है कि मैं तुझसे कुछ भी पूछ सकती हूं तो मैं बस यही पूछना चाह रही थी कि तेरी शादी सच में हुई है या नहीं हुई और अगर हुई है तो कल तू अपने बॉस के साथ क्यों आई थी ,सामान खरीदने और तेरे हस्बैंड कहां है ?
विभा बोलती है कि अरे बाप रे ! इतने सारे सवाल !एक साथ ? लेकिन चल सुन एक – एक सवाल का जवाब | पहला सवाल कि मेरी शादी हुई है या नहीं हुई है ?
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यार कल तूने मुझे सिंदूर लगाए हुए देखा था और कल क्या ? मैने आज भी लगाया हुआ है सिंदूर !
तो सीधी सी बात है
अगर सिंदूर लगाया
तो शादी तो हुई ही है !
अब दूसरा सवाल कि मेरे हस्बैंड कहां है तो उसका जवाब ये है कि मेरे हस्बैंड दूसरी कंपनी में जॉब करते हैं और मैं दूसरी कंपनी में जॉब करती हूं |
और तेरा तीसरा सवाल कि कल मेरे साथ शॉपिंग के लिए मेरा बॉस क्यों था उसका यह जवाब है क्योंकि शॉपिंग मेरे बॉस ने मुझे करवानी थी इसलिए वह मेरे साथ था | अगर शॉपिंग मेरे हस्बैंड ने करवानी होती तो मेरा हस्बैंड मेरे साथ होता | लेकिन मेरा हस्बैंड तो मुझे शॉपिंग करवाता ही नहीं इसलिए जो शॉपिंग करवाता है वह कल मेरे साथ था
अब तुझे मिल गए तेरे सारे सवालों के जवाब ??
अब तू बता तेरा कैसा है ?तेरी लाइफ कैसी चल रही है? तेरी जिंदगी में क्या उतार-चढ़ाव है ? सिया बताती है कि मेरे हस्बैंड भी एक फर्म में जॉब करते हैं और मैं यहां कॉस्मेटिक शॉप पर वर्क करती हूं |मेरे दो बच्चे हैं |दोनों स्कूल गोइंग है स्कूल जाते हैं |
विभा बोलती है की अच्छी बात है यार तेरी फैमिली कंप्लीट है लेकिन यार मुझे तो बच्चे ज्यादा पसंद नहीं है इसलिए मैंने बच्चे किये भी नहीं |
अभी तो मुझे लगता है कि मैं खुद बच्ची हूं और अपनी लाइफ को इंजॉय करना चाहती हूं |
विभा बताती है कि मेरी शादी तो दूसरे शहर में हुई थी लेकिन काम के सिलसिले से फिर हम 1 साल पहले ही इस शहर में शिफ्ट हुए हैं
लेकिन कितनी अच्छी बात है
कि हम फिर से मिल गए |
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सिया विभा से कहती है कि सॉरी यार मुझे लगा कि वो ही तेरे हस्बैंड है क्योंकि तू शॉपिंग कर रही थी और शॉपिंग में तूने मेकअप का सामान खरीदा और साथ ही तूने सिंदूर खरीदा तो मुझे लगा शायद वो तेरे हस्बैंड है तुझे यह सब दिला रहे हैं | क्योंकि कोई भी औरत किसी और आदमी के साथ अगर होगी भी
तो वह सिंदूर क्यों खरीदेंगी ?
सिया की बात सुनकर विभा बोलती है कि एक बात बता तू सिंदूर क्यों नहीं लगाती ? सिया कहती है कि मैं जहां वर्क करती हूं वहां मुझे थोड़ी-थोड़ी देर में मेकअप करना रहता है , हमेशा अप टू डेट बने रहना पड़ता है | इसलिए मुझे बार-बार फेस धोना पड़ता है| तो अगर मैं बार-बार फेस धोती हू तो मेरा सिंदूर बार – बार पानी से निकल जाएगा और सिंदूर कोई मेकअप नहीं है सिंदूर कोई रंग नहीं है जो मुझे लगाना ही है | सिंदूर तो मेरी एक भावना है | जो मैं बार-बार उसको लगा कर मिटा नहीं सकती | इसी वजह से जब कभी त्यौहार होता है या ऐसा दिन होता है कि जहां मुझे पूरा दिन उसको लगाना रहता है तभी मैं सिंदूर को लगाती हूं | चाहे कोई पूजा पाठ हो या करवा चौथ हो या किसी ऐसे दिन जहां वह सिर्फ मुझे अपने पति अपने परिवार को दिखाना है बाकी औरों को दिखाने के लिए
मैं सिंदूर नहीं लगाती हूं |
विभा सिया से कहती है कि यही तो तेरे और मेरे में अलग-अलग बात है , तू सिंदूर को एक एहसास समझती और
मेरे लिए तो सिंदूर मेकअप की चीज है लेकिन मेकअप के साथ-साथ एक वो भी है कि मैं सिंदूर इसलिए भी बहुत ज्यादा लगाती हूं ताकि मैं किसी के साथ भी घूम सकू कहीं भी कैसे भी किसी के साथ मिलूं तो मुझे कोई गलत ना समझे | आज का समय ऐसा है कि लोग दूसरों के बारे में कुछ भी सोचते रहते हैं तो मुझे मेरे बारे में कोई गलत ना सोचे | इस वजह से यह पर्दा है दूसरों को दिखाने के लिए | अब मैं कल जब तेरी दुकान पर आई तो मेरे साथ कोई और आदमी था लेकिन मैंने सिंदूर लगाया हुआ था तो सबको यह लगा कि हम हस्बैंड वाइफ है तो मेरे लिए तो सिंदूर का मतलब बस यही है की लाइफ में जो मेरा मन करे किसी से बात करने का किसी से मिलने का तो मेरे को कोई रुकावट ना हो |
यह वह पर्दा है मेरे लिए , जिसमें कोई मुझे गलत नहीं समझता |
लेकिन यह सिर्फ मेरी सोच है मैं ऐसा नहीं कह रही कि यह सोच मेरी सही है , गलत भी हो सकती है किसी के लिए |लेकिन मेरे लिए यही सही है मेरी लाइफ जीने का यही तरीका है |और मैं ऐसे ही जीती हूं यह मेरी सोच है |
सिया विभा की बात सुनकर कहती है कि ठीक है तू मेरी सहेली है लेकिन तेरी मर्जी की लाइफ जीने का तेरा अपना फंडा है | जिसको मैं गलत नहीं बोलती | क्योंकि सबकी अपने-अपनी लाइफ होती है और उनको जीने का तरीका भी अपना-अपना होता है | मेरा लाइफ जीने का अपना तरीका है , मेरे लिए सिंदूर
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ना मेकअप है
ना रंग है
बस एक भावना है
एक एहसास है
और उस भावना को
उस एहसास को
जब मैं चाहती हूं लगाती हूं |
तेरे लिए सिंदूर के क्या मायने हैं वह तेरे ऊपर निर्भर करता है लेकिन हम दोस्त थे , हैं और रहेंगे | चाहे भले ही हमारे विचार अलग कयो ना हो ? बस ऐसे ही दोनों बात करते हैं और बात करते-करते अपनी पुरानी यादें ताजा करते हैं | एक घण्टे के बाद सिया विभा से कहती है कि मुझे जाना होगा कयोकी मैं बस एक घण्टे की छुट्टी लेकर आई थी अगर देर हुइ तो बिना बात के सुनना पड़ेगा | विभा बोलती है कि सिया तू निकल मेरी बॉस की भी गाड़ी आती होगी मुझे लेने | सिया अपने कॉस्मेटिक शॉप पर चली जाती है क्योंकि उसका वर्किंग टाइम रात 8:00 बजे तक का है और विभा को गाड़ी लेने आती है और वह गाड़ी में बैठकर चली जाती है |
सार – यही समाज है ,यही समाज के लोग हैं ,सबका जीने का तरीका और नजरिया अलग-अलग है |
कोई सिंदूर को रंग समझता है
कोई सिंदूर को भावना समझता है
सबका अपना तरीका है |
सबका अपना जीवन है |
लेखिका : रचना वत्स