आज सुबह से घर में चहल पहल शुरु हो गई, संयुक्त परिवार में लोग भी बहुत हैं….. जोर जोर से आवाजों की वजह से सिया भी अपने कमरे से बाहर आ गई….. देखा खूब फूल मालाएं आई हैं
ताई जी, चाची सब प्रसाद बनाने में लगे हैं, मन्दिर को ताऊजी पापा चाचा सजा रहे हैं
मम्मी देवी मां का श्रृंगार कर रही हैं!!
सिया ने हाथ मुंह धोया, दादी ने दूध दिया वो भी फटाफट पी लिया और मम्मी के पास पहुंच गई
” मम्मी… मैं आपकी हेल्प करूं “?
” नहीं बेटा ! आप कुछ छूना नहीं , देखो नवरात्रि है न… देवी मां की पूजा होगी, फिर हम सब आरती करेंगे .. फिर आपको बढ़िया वाला प्रसाद मिलेगा “!!
सिया को मुंह उतर गया… उसे भी शृंगार करना था पर मम्मी ने तो भगा दिया मन्दिर से!!
दादाजी बोले..” कार्टून चैनल लगा दूं” ?
” नहीं दादाजी मन नहीं “
उसने देखा बड़ी दादी अकेली हैं अपने कमरे में… उन्हें कोई काम नहीं देता…. वो सबसे बड़ी हैं न !!
बड़ी दादी ने सिया को देखकर कहा ” क्या हुआ बेटा? तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ है?
सिया मुंह फुलाकर बोली” मुझे भी शृंगार करना है दादी… पर किसका करूं?!!
दादी पोपले मुंह से हंसते हुए बोलीं ” कोई नहीं मिल रहा तुम्हें…. चलो मेरा श्रृंगार कर लो!!
सिया उत्साहित होकर दौड़ी और मम्मी की मेकअप किट उठा लाई, जी भर के दादी को सजाया!!
बाहर से आवाज़ आई….” सिया, बड़ी दादी को बाहर लेकर आओ.. पूजा का समय हो गया!!
सिया दादी का हाथ पकड़कर मन्दिर में लाई और
कुर्सी पर बैठा दिया,…. सब कभी दादी की ओर देखें कभी सिया की ओर !!
” ये क्या किया सिया” ?
” सिया खुश होकर खिलखिलाती हुई बोली… देखो मम्मी . आपने देवी मां का श्रृंगार किया मैंने
दादी मां का” !!
उसकी मासूम बातों से बड़ी दादी हंसते हुए बोली
बताओ कैसा है मेरा मेकअप.. सबने कहा.. वाह सिया वाह और सिया खुश होकर देवी मां की पूजा में शांति से बैठ गई!!
प्रीति सक्सेना
इंदौर