“रूप की रोए -कर्म की खाए” – हेमलता गुप्ता

 काफी तपस्या के फल के रूप में जब प्रशांत जी के यहां जुड़वा कन्याओं ने जन्म लिया तो पूरे घर में खुशी की लहर छा गई! उनका परिवार शुरू से ही लड़कियों को लक्ष्मी के रूप में मानता आ रहा था! दो बेटियां पैदा होने के उपरांत भी प्रशांत जी और सभी घरवाले बेहद खुश थे! कारण था, पूरे खानदान में 10 वर्ष पश्चात किसी कन्या का आगमन! 

घर में अगर बहन या बेटी ना होतो खुशियां अपूर्ण सी लगती है! हर तीज त्यौहार बेमानी से लगने लगते हैं !लेकिन इन दोनों कन्याओं के आगमन से अब घर में हर दिन दिवाली की रौनक लगती !दोनों का नाम रखा गया निधि और विधि !जहां निधि बेहद खूबसूरत थी ,वही विधि सामान्य रंग रूप की थी!

 धीरे-धीरे निधि को अपनी सुंदरता का घमंड बढ़ता चला जा रहा था! घर वालों को भी विधि की ज्यादा चिंता रहती थी! निधि और विधि के साथ ही उनके बचपन का साथी ईशान ,जो उनके साथ ही स्कूल कॉलेज तक पढ़ा था अब काफी हैंडसम लगने लग गया! तीनों एक साथ कॉलेज जाते थे! 

तीनों ही कॉलेज के अंतिम वर्ष में थे !विधि कॉलेज के हर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेती आ रही थी, और साथ ही अध्ययन में भी अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन देती आई थी! अतः कॉलेज के सभी प्रोफेसर उसकी प्रशंसा करते नहीं थकते थे! 

कॉलेज में किसी भी छात्र को उससे मदद मांगने में झिझक नहीं होती थी! धीरे-धीरे बच्चे उस मोड़ पर आ गए जहां उनके अंदर प्रेम के अंकुर भी फूटने लगे! निधि को कई बार उसके दोस्त मजाक में कहते कि” यार तू तो इतनी खूबसूरत है कि तू जिस की तरफ इशारा कर दे वह अपने को बहुत भाग्यवान समझेगा”.. 

इसी प्रकार घर में भी अक्सर उसकी दादी कहती…” निधि की शादी संबंधों में तो कोई दिक्कत नहीं आनी किंतु, चिंता विधि की होती है” काश कोई विधि के लायक भी अच्छा पर मिल जाए ,तो उसकी जिंदगी सवर जाए !निधि इन बातों को सुनती और उसे लगता रूप के आगे सारी चीजें व्यर्थ हैं! 

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वही विधि इसे विधि का विधान मान संतोष कर लेती !पढ़ाई का अंतिम वर्ष भी समाप्त हो गया, और समय के साथ साथ सभी अच्छी-अच्छी कंपनियों में नियुक्त हो गए! निधि और विधि दोनों ही ईशान को पसंद करती थी, किंतु ईशान और निधि की बढ़ती दोस्ती देखकर विधि ने अपने आपको उनसे दूर कर लिया! कुछ महीनों बाद ईशान अपने मम्मी पापा के साथ अपने रिश्ते की बात करने प्रशांत जी के यहां आया!

 ईशान के पापा मम्मी ने जो कुछ कहा उसे सुनकर उन्हें अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ! ईशान की मम्मी ने निधि की बजाए विधि को अपनी बहू के रूप में पसंद किया था! इसमें ईशान की हां और खुशी सम्मिलित थी !ईशान के कहने पर ही वह यह रिश्ता विधि के लिए लेकर आए थे !

विधि के गुणों का बखान करते हुए ईशान की मम्मी ने कहा —हमें तो विधि शुरू से ही पसंद थी, किंतु सही समय के इंतजार में हम अभी तक रुके हुए थे! सुंदरता तो आज है कल नहीं है;; किंतु गुण हमेशा काम आते हैं! यह सुनकर निधि का घमंड एक पल में ही टूट गया !

अब उसे लग रहा था कि अब तक वह अपनी सुंदरता के आगे किसी को कुछ नहीं समझती थी, आज ईशान ने भी उसकी जगह उसकी बहन को ही पसंद किया था! उसे लग रहा था कि घमंड किसी भी चीज का नहीं होना चाहिए !आज उसको अपने ऊपर गुस्से के साथ-साथ शर्म भी महसूस हो रही थी!

हेमलता गुप्ता!

स्वरचित!

 #घमंड

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