आज नीता में नई ऊर्जा का संचार हुआ… वो अब समाज के सामने सर उठा के चलने के लिए आत्मविश्वास से ओत प्रोत है।
ये सब यूं ही नही हुआ .. कहते है न की अगर ज़िंदगी में साथ देने वाले मां बाप और सच्चा हमसफर मिल जाए तो व्यक्ति बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना बिना भयभीत हुए कर लेता है।
परन्तु नीता के भाग्य में तो मां बाप का प्यार लिखा ही नहीं था।
नीता जब पैदा हुई तो देखभाल में आई कोताही के कारण उसकी मां की मृत्यु हो गई … उसके पिता ने उसे अपने सीने से लगा के पाला और उसे मां का भी प्यार देने की पूरी कोशिश करने लगे। नीता का रंग दबा हुआ था जिस कारण उसकी दादी उसे तिरस्कार भरी नजरों से देखती थी। पर पिता का प्रेम सारी विषमताओं के आगे ढाल बना रहता था ।
मगर नीता की किस्मत को ये मंजूर नही था 5 वर्ष की उमर में ही पिता की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई । जब तक पिता जीवित थे तब तक सबने उसे प्यार दिया लेकिन उनके जाने के बाद नीता की दादी – बुआ और बाकी के रिश्तेदार नीता को मनहूस कहने लगे ।
जब भी अनाथ नीता अपनी दादी से खाना मांगती तो उस मासूम सी बच्ची को हृदयविदारक ताने सुनने को मिलते … 5 वर्ष की उस बच्ची को अपशब्द कहे जाते । … जैसे जैसे नीता बड़ी हो रही थी उससे घर के सारे काम कराए जाते …12 वर्ष के छोटी सी आयु में ही उसने सारे घर का काम सीख लिया था ।
दादी का व्यवहार दिन ब दिन क्रूर होता जा रहा था …. समय बेसमय दादी का हाथ भी उठ जाता था उसपे… वे हमेशा उसको ताना देती की ” अरे पैदा होते ही अपनी मां को खा गई , फिर मेरे बेटे को भी नही बख्शा उसे भी निगल गई ये डायन… काली कलूटी न जाने कब तक मेरी छाती पर मूंग दलेगी। “
नीता के नाना नानी एक दिन उससे मिलने आए तो उनसे अपनी बेटी की इस मासूम बच्ची का दर्द बर्दाश्त नही हुआ .. वो नीता को अपने साथ लेकर अपने घर दूसरे शहर चले गए ।
परन्तु वहा जाकर भी बेचारी को सुकून नही मिला … नाना -नानी तो भरपूर प्यार और दुलार देते पर मामी को नीता भार और अपने बच्चों का हिस्सा खाने वाली लगती थी । पर उनका बस अपने सास ससुर के आगे नही चल पा रहा था इस कारण वो चुप रहती परंतु पीठ पीछे उससे बैर निकलती रहती।
पर एक बार फिर किस्मत ने अपना रंग दिखाया .. नाना -नानी भी एक एक करके स्वर्ग सिधार गए तब नीता 18 साल की थी ..अब नीता के बुरे दिन फिर शुरू हो गए … मामी अब उसको नौकरानी समझने लगी थी और घर के काम उससे करवाती … ।
समय समय पे उसे सुनने को मिलता रहता की वो पैदा होते ही अपने मां को खा गई और फिर बाप को भी निगल लिया , काली कलूटी मनहूस और अपशगुनी न जाने कैसे कैसे शब्द कानो में पड़ते मानो उसके कानो में किसी ने शीशा पिघला दिया हो ।
नाना नानी के जाने के बाद मामी ने मामा के कान भरकर उसकी पढ़ाई भी रुकवा दी … शादी के योग्य डिग्री दिलवा कर उसे घर में कैद कर दिया गया । नीता के प्रति अपनी पत्नी का व्यवहार देख कर भी नीता के मामा कुछ नही कर पाते इसलिए उन्होंने जल्द से जल्द उसकी शादी करने की सोची ।
नीता की मामी भी सहमत थी परंतु उन्हें मुफ्त की नौकरानी जाने का दुख भी था ।
खैर वो दिन भी आ गया जब नीता को देखने लड़के वाले आए थे … सब कुछ अच्छा था पर नीता का चेहरा देखते ही उसकी सास खड़ी हो गई ..
घमंड भरे स्वर में उन्होंने कहा – ” हम तो ये जानते हुए भी की ये लड़की अपने मां को पैदा होते ही खा गई फिर भी भगवान की इच्छा समझ कर रिश्ता करने आए थे पर इसका तो मेरे बेटे से कोई मेल ही नही है … ऐसी काली कलूटी दबे रंग की लड़की के साथ मैं अपने गोरे चिट्टे और पढ़े लिखे लड़के की शादी करके समाज में मजाक का पात्र बन जाऊंगी … कितनी बेइज्जती होगी हमारी ” … माफ कीजिएगा पर हमे ये रिश्ता मंजूर नही “।
ऐसा कहकर उन्होंने अपने बेटे रोहन और पति को चलने के लिए कहा । नीता की आंखों में एक बार फिर अपमान का दर्द उभर गया उसका हृदय एक बार पुनः छलनी हो गया … ।
वो वापस कमरे में जाने को मुड़ी ही थी की रोहन ने उसे रोकते हुए अपनी मां से कहा की ….” पर मां मुझे ये रिश्ता मंजूर है मैं सिर्फ और सिर्फ नीता से ही शादी करूंगा” ।
रोहन की बात सुन के अब उसकी तरफ देखने लगे उसकी मां ने उससे कहा” ये क्या कह रहा है तू… तेरा और इसका कैसा मेल है …”
रोहन ने उनकी बात अनसुना करके नीता के पास आकर पूछा ” क्या तुम मुझसे शादी करोगी ? “
नीता ने आसुओं भरी आंखों से उसकी तरफ देखते हुए कहा की ” आपकी मां ठीक कह रही है मेरा आपका कोई मेल नही है “… ” मैं काली हूं और दुनिया के लिए मनहूस भी आप को और लड़कियां मिल जायेंगी …।”
इसपर रोहन ने कहा ” पहली बात अपने माता पिता की मृत्यु के लिए तुम जिम्मेदार नही हो ” … वो भगवान के हाथ में था ।
” और दूसरी बात रंग काला होने से क्या होता है ?मेरे घर की तो आराध्या देवी माता काली हैं तुम्हारा रंग काला होने से समस्या कैसी ? ”
” कालेपन का असर तब बुरा होता है जब व्यक्ति का मन काला हो … और मन का कालापन तन पे पता नही चलता … तन के गोरे रंग के अंदर भी कुछ मन के काले बैठे होते है … ”
” मुझे तुम्हारी मासूमियत , संस्कार और गुण से मतलब है , मेरे लिए तुम जैसी भी मुझे स्वीकार हो ”
” अब तुम बताओ तुम मुझसे शादी करोगी या नहीं ? “
नीता के आंखों से झर झर आंसू बह निकले … आज पहली बार किसी ने उसकी रंग गर्व महसूस करवाया था और उसपे लगे मनहूसियत के लांछन को धो दिया था …
रोहन के मां ने एक बार फिर उसे समझाने की कोशिश की “रोहन अक्ल से काम लो बेटा ये क्या कर रहे हो तुम ”
परन्तु रोहन ने गुस्से में कहा – ” बस करो मां … बस अब तो शर्मसार करना बंद करो … हर उस लड़की को जिसका रंग दबा हुआ है … जिसके मां बाप नहीं है … हर उस लड़की को अब तो शर्मसार करना बंद करो … क्या उन्हे जीने का हक नहीं होता … वो लड़कियां क्या इंसान नहीं होती मां… क्या उनमें भावनाएं नही होती… हमे तो भगवान ने बना के भेजा है न तो अगर ये एक शर्म भरी चीज होती तो भगवान क्यू किसी को ऐसे बनाता …
” माता काली को सब पूजते हो मगर वही मां काली आप लोग को इन मासूम लड़कियों के भीतर नही दिखाई देती … नवरात्रि में कन्या पूजन किया जाता है .. तब इन्ही लड़कियों में देवी का रूप देखा जाता है और नवरात्रि बीतते ही लड़कियां बोझ लगने लगती हैं… क्यू मां??
अब तो सोच बदलो … लकड़ियां कदम मिला के चल रही है हम लड़कों यहां तक की हमसे बेहतर ही कर रही है… फिर भी हर कदम पे उनकी गलती निकल कर उन्हे शर्मसार कर दिया जाता है … बस करो अब … अपनी सोच बदलो और समाज की भी सोच बदलो… अब शर्मसार करना बंद करो …हर बात का दोष इनपर मढ़ना बंद करो …निर्दोष मासूम लड़कियों को अब तो शर्मसार करना बंद करो .।”
“अगर आपको ये रिश्ता मंजूर है तो अच्छी बात है वर्ना मैं अपने चुने हुए जीवनसाथी के साथ शादी कर आपका घर छोड़ कर चला जाऊंगा ” ।
रोहन की बात सुन सबका मन ग्लानि ने भर गया था … सबके आंखों में पश्चाताप के आंसू थे … रोहन की मां और नीता की मामी ने नीता से माफी मांगी तो नीता के उनके पैर छू लिए …
रोहन और नीता की शादी तय हो गई और तय तिथि पर दोनो की शादी हो गई।
अब नीता भी समाज से अपने हक की लड़ाई लड़ने को तैयार थी उसका डर खत्म हो चुका था … रोहन जैसा जीवनसाथी पाकर वो निहाल थी । रोहन समय समय पर उसमे आत्मविश्वास भरता रहता था। उसने नीता की पढ़ाई को दुबारा शुरू करवाया और उसे अपने पैरों पर खड़ा होने में भी पूरी सहायता की …. समय अपनी गति से चलता गया … नीता और रोहन दो बच्चों के साथ अपने परिवार में खुश है ।
नीता ने लड़कियों के आत्मविश्वास और साहस को जागने के लिए देवी प्रशिक्षण केंद्र भी खोला … जो लड़कियों को हर प्रकार प्रशिक्षित करता है ताकि वो समाज के आगे सर झुका कर जी सके और किसी अन्याय पर कह सके की शर्म नहीं गर्व हुं मैं अब तो शर्मसार करना बंद करो ।
#अब तो शर्मसार करना बंद करो
– गौरी शुक्ला।