साजिश – के आर अमित : Moral Stories in Hindi

अगली सुबह जब वो उसी जगह गया तो उसका भाई खून से लहूलुहान था, मगर जिंदा था और तड़प रहा था। उसने सोचा कि अगर इसे बचाने की कोशिश करूंगा या हॉस्पिटल लेकर जाऊंगा तो ये बात पुलिस तक पहुँच जाएगी और वो फँस जाएगा। इसलिए उसने उसे उसी हालत में मरता छोड़कर वहाँ से निकल लिया।

कहानी दो चचेरे भाइयों की है, जो एक छोटे से गाँव में रहते थे। दोनों ही दो-दो बहनों के इकलौते भाई थे। बड़े भाई ने घर के दरवाजे-खिड़कियों का काम अपने एक स्कूल के दोस्त कारपेंटर से करवाया। लगभग पच्चीस हजार रुपये लगे, जिसमें से पन्द्रह हजार उसने दे दिए और दस हजार बकाया था। कुछ दिन इंतज़ार के बाद उस मिस्त्री ने पैसे माँगे, तो वो कुछ दिन तक टालता रहा। एक दिन बाज़ार में ही उस मिस्त्री ने उसे सबके सामने पैसे माँगकर शर्मिंदा कर दिया। यह उसे इतना बुरा लगा कि उसने इज़्ज़त का बदला लेने की ठान ली।

शाम को वो एक बोतल शराब लेकर आया और अपने चचेरे भाई को बुलाकर लाया, जो गाँव से थोड़ा दूर अपने परिवार में रहता था। दोनों पीने बैठ गए। पीने के बाद उसने सारी बात अपने भाई को बताई कि किस तरह उस मिस्त्री ने उसकी बेइज्जती कर दी। शराब के नशे में दोनों का खून खौलने लगा और एक साज़िश ने जन्म लिया।

उसी समय उसने अपने चचेरे भाई से अपनी पहचान छुपाकर मिस्त्री को फ़ोन लगवाया और कहा कि वो रमेश बोल रहा है, उसका गाँव यहाँ से पन्द्रह किलोमीटर दूर है। किसी ने उसे बताया कि आप लकड़ी का काम बहुत अच्छा करते हो, इसलिए मैं चाहता हूँ कि आप हमारे दरवाजे-खिड़कियों का नाप ले लो और अच्छी सी लकड़ी लगाकर बढ़िया काम करो, पैसों की चिंता मत करें। उसने और लालच दिया कि हमारे यहाँ दस खिड़कियाँ और छः दरवाजे हैं, कितना खर्च आएगा?

मिस्त्री ने कहा कि आप फ़िक्र न करें, जो भी जायज़ होगा नाप कर बता दूँगा। अब वो कहने लगा कि मैं एक-दो दिन में वापस शहर चला जाऊँगा, तो आप आज ही नाप ले लें। इस पर मिस्त्री ने कहा कि इस वक्त तो रात होने वाली है, मैं कैसे आऊँगा? तो वो बोला, फ़िक्र न करें, मैं आपको अपनी मोटरसाइकिल पर ले जाऊँगा और छोड़ भी दूँगा। थोड़ी ना-नुकर के बाद मिस्त्री राज़ी हो गया। उसने अपने भाई से कहा कि आपको जंगल में छोड़ दूँगा, आप वहाँ इंतज़ार करना, मैं उसे लेकर आता हूँ।

प्लान के मुताबिक उसने अपने भाई को जंगल में एक पहाड़ी के पास छोड़ दिया और मिस्त्री को लेने चला गया। मिस्त्री को बैठाकर वो ला रहा था कि अचानक बाइक रोककर कहता है कि कोई अकेला वहाँ बैठा है, शाम के आठ बज रहे हैं। चलो पूछते हैं कि ये कौन है और क्यों बैठा है। जब दोनों जाते हैं तो मिस्त्री उसे देखकर पहचान लेता है, मगर वो कहता है कि मैं रिश्तेदार के पास गया था, वहाँ पीने बैठ गए तो देर हो गई। अब किसी गाड़ी का इंतज़ार कर रहा हूँ। उसका भाई बहाना बनाता है कि ठीक है, आप हमारे साथ चलो। हम नाप लेने के बाद वापस आएँगे तो आपको भी घर छोड़ देंगे। वैसे भी आगे जंगल का रास्ता है, हमें भी आपका साथ मिल जाएगा।

वो बैठकर थोड़ी दूर जाते हैं तो मिस्त्री का दिमाग ठनकता है कि आगे तो पूरा जंगल और पहाड़ी रास्ता है, गाँव तो यहाँ से बीस-पन्द्रह किलोमीटर तक कोई नहीं है। वो बहाना बनाता है कि उसे पेशाब आ रहा है, एक मिनट बाइक रोको। जैसे ही बाइक रुकती है, वो नीचे की तरफ भागता है। आगे खाई थी, उसने खाई में छलांग लगा दी और घिसटते हुए नीचे पहुँच गया।

उसके पीछे वो दोनों भी भागे। दारू पीने की वजह से अंधेरे में छोटे भाई का पैर फिसल गया और वो सीधा खाई में गिर पड़ा। नीचे बड़ा सा पत्थर था, उसमें उसका सिर टकराया और वो बेहोश हो गया। बड़ा भाई उसे आवाज़ लगाता रहा, मगर कोई जवाब नहीं आया। थोड़ी देर बाद वो बाइक लेकर घर वापस आ गया। घर में जब उससे पूछते हैं तो वो कहता है कि उसने अपनी बाइक उसे दे दी और वो अपने दोस्त के साथ चला गया।

सुबह होते ही वो वापस उसी जगह आया और खाई में नीचे उतरकर देखता है कि उसका भाई खून से लहूलुहान कराह रहा था, उसके सिर पर गहरी चोट लगी थी। उसे लगा कि शायद वो मिस्त्री भी खाई में गिरकर मर गया होगा। उसने उसे ढूँढा, मगर कहीं नहीं मिला। फिर उसने सोचा कि अगर मैं भाई को हॉस्पिटल लेकर जाऊँगा तो फँस जाऊँगा, पुलिस केस होगा और सारी पोल खुल जाएगी। इसी डर से वो भाई को वहीं तड़पता छोड़कर चला गया।

उधर वो मिस्त्री नदी से पैदल होते-होते सुबह अपने घर पहुँच गया। मगर उसे लगा कि शायद उसको ही कोई गलतफहमी हुई हो। क्या पता, सच में उस आदमी के मकान का काम हो, इसलिए वो चुपचाप रहा।

दो दिन बाद चील के पेड़ से बिरोज़ा निकालने वाला बिरोज़िया उधर गया तो उसे दुर्गंध आई। वो थोड़ा नीचे उतरकर देखता है तो वहाँ लाश पड़ी थी। वो भागता हुआ पास के गाँव में गया और लोगों को लेकर आया। पुलिस आई और खबर अख़बारों की सुर्खियाँ बनी।

जब ये खबर उस मिस्त्री तक पहुँची कि उस जगह एक लड़के की लाश मिली है, जो दो-तीन दिन पुरानी है, तो वो भागकर पुलिस स्टेशन गया और सारी कहानी बता दी। पुलिस को उसके भाई पर पहले ही शक हो चुका था, जो अब यकीन में बदल गया। जब पुलिस उसे पकड़ने गई तो वो फरार हो गया। दो-तीन दिन की मशक्कत के बाद पुलिस ने उसे पकड़ लिया।

कोर्ट ने हत्या की साजिश और गैर-इरादतन हत्या का गुनाह उस पर साबित किया, क्योंकि अगर वो चाहता तो अपने भाई को बचा सकता था।

सिर्फ दस हजार रुपये के लिए दो घर उजड़ गए थे। क्योंकि दोनों ही घरों के इकलौते लड़के थे — एक की मौत हो गई और दूसरा दस साल के लिए जेल चला गया। यह सदमा छोटे के बाप को भी ले डूबा, कुछ दिन बाद उसकी भी मौत हो गई। दोनों ही घर रास्ते पर आ गए थे। न कोई कमाने वाला बचा और न ही गाँव का कोई आदमी उनकी मदद के लिए आगे आया।

बहनों की शादी भी कहीं नहीं हो रही थी। कुछ सालों बाद किसी को कोई अंगहीन पति मिला तो किसी को दूसरी शादी वाला। उन बहनों ने कोई गुनाह तो नहीं किया था, मगर अपने भाइयों के गुनाह की सज़ा उन्हें भी भुगतनी पड़ी।

वो साज़िश, जो किसी और के लिए रची गई थी, उसका शिकार वो खुद ही नहीं बल्कि पूरा परिवार हो गया था।

के आर अमित

अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

साजिश

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