Moral Stories in Hindi
बड़ी बड़ी बहू सुमन की शादी को लगभग 10 साल हो गए थे घर का सारा काम ससुराल में आकर सिखा सुमन बहुत समझदार पढ़ी लिखी थी लेकिन उसे जॉब करने नहीं मिला था जब भी वह अपनी इच्छा जाहिर करती कि मुझे भी घर से बाहर निकलना है तब सांस मंजू मना कर देती कि तुम्हें पैसों
की क्या जरूरत है घर में दो वक्त की रोटी मिल रही है कपड़े सब कुछ मिल रहा है तब सुमन कहती थी की मम्मी मुझे भी बाहर निकाल कर सीखना है 12:00 अपना काम खत्म हो जाता है और 4:00 तक कोई काम नहीं होता तो मैं भी जॉब कर सकती हूं तब सास ने समझाया कि नहीं घर में कभी भी
मेहमान आ जाते हैं और तुम्हें अभी घर का काम सीखना बाकी है तुम घर में रहोगी तो बच्चे भी अच्छे से पढ़ लिख कर आगे बढ़ेंगे सुमन ने कहा कि मम्मी मैं तो कुछ घंटे के लिए फ्री रहती हूं तब मैं जॉब कर सकती हूं पर उसकी इच्छा पर लगाम लगा दिया गया कुछ सालों के बाद जब देवरानी घर पर
आई वह पहले से ही जॉब करती थी उसकी शर्तों बहुत सारी थी और उसने पहले ही यह शर्त रख दी थी कि मैं जॉब करूंगी यदि जॉब नहीं करूंगी तो मैं शादी नहीं करूंगी देवरानी बड़े घर से थी उसे दहेज में भी अच्छा खासा पैसा मिला था तो स झुक गई थी सुबह से उठकर वह अपने जाॅब के लिए
निकल जाती थी घर का काम तो उसे बिल्कुल बनता ही नहीं था और जब भी मम्मी कहती थी कि थोड़ा सा काम कर लिया करो तो वह कहती थी की मम्मी मैं एक बाई लगा देती हूं और उसका पेमेंट मैं करूंगी लेकिन सास को भाई का खाना बिल्कुल पसंद नहीं आता था तो उन्होंने कहा कि ठीक है मैं और सुमन मिलकर काम कर लिया करेंगे पर घर में सदस्य बढ़ते ही जा रहे थे सुमन के ऊपर
जिम्मेदारियां भी बहुत बढ़ती जा रही थी दिन भर काम में ही समय निकल जाता था अपने लिए तो समय ही नहीं रहता था बच्चों को पढ़ने तक का समय नहीं मिलता था जब वह रात में वापस आती थी
तो थक जाती थी उसका खाना भी सुमन को लगाना पड़ता था एक दिन वह सोच रही थी बैठे-बैठे की ससुराल वाली बड़ी बहू को इंसान क्यों नहीं समझते हैं छोटी बहू के पास अच्छा पैसा है पैसा लेकर आई मायके से तो उसके आगे झुक जाते हैं लेकिन बड़ी बहू पढ़ी-लिखी होने के साथ-साथ समझदार भी होती है तब भी उसे कुछ भी करने नहीं दिया जाता है यह कैसी इंसानियत है
लेखिका : विधि जैन