ससुराल वाले बड़ी बहु को इंसान क्यों नहीं समझते -सुदर्शन सचदेवा :

 Moral Stories in Hindi

परिवार में जब बड़ी बहु आती है तो सबकी निगाहें उसी पर टिक जाती हैं , उससे उम्मीद की जाती है कि वो ही सारे घर को संभाले और छोटे बड़े का ध्यान रखे | हर परिस्थितियों में मुस्कराती रहे, वो इंसान की तरह नहीं बल्कि जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे और कर्तव्यनिष्ट मशीन की तरह देखी जाने लगती है | 

बडी़ बहु को परिवार का आधार माना जाता है | घर की परम्पराओं को निभाने, रिश्तों को जोड़ने और सब के मन को खुश रखने कि भार उसी पर डाला जाता है, यदि वो थक जाए तो नखरे या कमजोरी का दर्जा दिया जाता है।  यही कारण है कि धीरे धीरे उसका व्यक्तित्व परिवार में दबने लगता है |

अंजलि की शादी को अभी दो साल ही हुए थे,  घर  में वो पहली बहु थी, इसलिए हर काम की जिम्मेदारी उसी पर थी | सुबह सबसे पहले उठना, सबका नाश्ता बनाना, पूरे घर का काम करनि, यह उसकी दिनचर्या थु | बिना शिकायत के सब काम कर लेती किसी को कुछ न कहती  , दिल ही दिल में थक जाती | क ई बार सोचती किसी को मेरी थकान दिखाई नहीं देती , क्या मैं सिर्फ बहु हूं इंसान नहीं |

एक दिन अंजु कालेज से आई और बोली ” भाभी आप कभी आराम नहीं करती हो , बस काम काम ! अंजली मुस्कराई और बोली क्योकि मैं चाहती हूं कि यह घर हमेशा खुशहाल रहे मेरे कारण किसी को कोई तकलीफ न हो |

अंजु ने मम्मी को कहा – भाभी सारा दिन काम करती है वो भी तो थकती होगी उसके भी कोई इमोशंस होगें, मुझे तो कभी कभी लगता है रोबोट है या मशीन | उनका चेहरा देखा है कभी , आंखों में थकान शरीर भी कभी कभी साथ नहीं देता फिर भी वो काम करती रहती हैं और चेहरे पर मजबूरी की मुस्कान होती है |

पहली बार मम्मी ने अंजली को ध्यान से देखा, सचमुच धक्का सा लगा | चेहरे की रौनक ही खतम हो गई  | मम्मी ने परिवार के सभी सदस्यों को बुलाया और कहा – जब हम शादी कर के लाए थे तो कितनी सुंदर थी और अब देखो | हम सब भूल गये थे कि वो इस घर की बेटी है , अगर उसे प्यार और अपनापन देगें तो सच में घर बनेगा |

उस दिन से अंजली के घर का माहौल बदल गया | सबको अपने अपने काम बांटे गये, उसकी राय सुनी गई | पहली बार महसूस हुआ कि मुझे बहु नहीं बल्कि इंसान समझा गया |

बड़ी बहु घर की नींव होती है, अगर उसे सम्मान और प्यार मिले, तो वो पूरे घर को खुशियों से भर देती है और स्वर्ग बना सकती है | घर की बहु खुश तो पूरा परिवार खुश |

सुदर्शन सचदेवा 

# वाक्य : ससुराल वाले बड़ी बहु को इंसान क्यों नहीं समझते ?

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