Moral stories in hindi : बात थोड़ी सी पुरानी है, परंतु आज से भी उसका जुड़ाव है। दो-तीन दिन पूर्व ही मोनिका से मेरी मुलाकात अचानक बाजार में हुई हालचाल पूछने पर उसने जो बताया उसे सुनकर, कुछ साल पहले या यूं कहें कोरोना काल की बातें जहन में रील बनकर चलने लगी।
मैं जिस स्कूल से रिटायर हुई थी, उसी विद्यालय में किसी काम से जाना हुआ। मेरा काम तो हो गया, उसके बाद मैं स्टाफ से मिलते- मिलते एक अध्यापिका से भी मिली।बात बात में उसने बताया वह 2 साल के प्रोबेशन पीरियड पर यहां लगी है। वह अंग्रेजी पढ़ाती हैं। मैंने उसका नाम भी उत्सुकता वस पूछ लिया ,मोनिका नाम बताया उसने ।
कुछ समय बीत गया ,मुझे अपने पौत्र के लिए अंग्रेजी की कोचिंग लगाने थी।मोनिका का नाम दिमाग में कौंधा। स्कूल से किसी तरह उसका फोन नंबर लेकर उससे बात करके पहुंच गई उसके घर । संयोग से पास ही था उसका घर । वहां पहुंचकर उसके व्यक्तिगत जीवन के बारे में पता चला ।एक बिटिया है, जिसे ससुराल में उसके सास ससुर संभालते हैं। इसके कारण वह नौकरी कर पा रही है आदि आदि …
इसके बाद काफी अंतराल तक हमारा कोई संपर्क नहीं रहा। कोरोना के बाद मुझे कुछ काम था तो मैंने मोनिका को फोन करके मिलने की इच्छा प्रकट की ,उसने जो बताया उससे मैं सुन्न रह गई।हुआ यह कि वह प्रेग्नेंट हो गई और इसी बीच बेटी पैदा होने से कुछ पूर्व कोरोना मैं सासु मां का निधन हो गया। बेटियों को संभालने वाला कोई ना होने के कारण उसे नौकरी छोड़नी पड़ी ।अब वह घर में बच्चों को संभाल रही है।
मैंने कुछ अफसोस प्रकट करके और कुछ मदद चाहिए तो बताना कहकर फोन रख दिया ।एक दिन उसका फोन आया मैंने हालचाल पूछा दोनों बच्चों के बारे में भी पूछा तो उसने बताया वह अपने दादा दादी के पास खुश हैं ।वह दोनों उन्हें बड़े प्यार से रखते हैं। मैंने फिर से नौकरी शुरू कर दी है। यह घर भी बेच दिया और ससुराल के घर में भिवाड़ी शिफ्ट हो गई हूं।
यह सुनकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि सास का तो देहांत हो गया था फिर यह दादी कौन है? तब उसी ने बताया मैडम मेरे ससुर ने एक साल बाद ही एक अधेड़ महिला से विवाह कर लिया था ।उसके बाद वे अपने भिवाड़ी वाले घर में चले गए थे। उन्हीं के अनुरोध पर मैं भी वहीं पहुंच गई।
इस कहानी को भी पढ़ें:
मुझे खुशी हुई उसके सुधरे हालात देखकर परंतु यह अधिक देर नहीं चला । बाजार में मिलने पर मोनिका ने बताया वह दिल्ली किराए के मकान में शिफ्ट हो गई है। पूछने पर उसने बताया ससुराल में मैं अकेली ही बहू हूं यह मुझे फक्र था ।लेकिन मेरा भ्रम तब टूटा जब एक दिन घर में स्कूल से आते ही हलचल देखी ।दरअसल मेरी नई सास का एक बेटा बहू और पोता – पोती थे जो वहां आ धमके थे।
आने तक तो ठीक था ,धीरे-धीरे घर का माहौल बिगड़ता गया और मां बेटे ने घर पर पूरा अधिकार करके हमें घर से निकलने पर मजबूर कर दिया ।ससुर जी इस विषय में कुछ ना कर सके। पहले तो मैडम मेरी सास ही गई थी अब तो ससुर भी अपने नहीं रहे ।मेरी तो जैसे ससुराल ही खत्म हो गई।
यहां आकर दोबारा से अपने बच्चों के साथ जीवन की नैया को चलाना है ।मैंने मोनिका को सांत्वना दी और हिम्मत से काम लेने के लिए हौसला भी बढ़ाया। क्योंकि यही जीवन की सच्चाई है।
#ससुराल
स्वरचित कहानी
माया मंगला