संयम – कमलेश राणा : Moral Stories in Hindi

राखी का विवाह जिस घर में हुआ वह मॉडर्न विचारों वाले लोग थे उसने तो कभी सोचा भी नहीं था कि उसे ऐसा परिवार मिलेगा।न घूमने- फिरने पर कोई पाबंदी थी और न ही सोने, खाने,पहनने पर कोई रोक थी।

उसकी सास कहने से पहले ही उसके लिए सब सामान ला देतीं और यश तो मानो पलकों पर बिठा कर रखता।वह जब भी मायके या किसी रिश्तेदारी में जाने की बात करती तो वह खुद उसे कार से ले कर जाता बस एक ही बात थी जो राखी को कचोटती थी कि वह उसे कभी अकेला नहीं छोड़ता। 

एकाध बार उसने कहा भी तो यश ने प्यार से उसे बाँहों में भरकर कहा- मैं तुम्हें इसलिए नहीं छोड़ता क्योंकि मैं अपनी प्यारी बीबी के बिना एक पल भी नहीं रह सकता। 

यह सुनकर वह धन्य हो जाती पर सच्चाई तो यही थी कि वह भी उसके बिना रहने की कल्पना भी नहीं कर सकती थी।

वह जब भी अपने मायके जाती तो भाभियों को पर्दे में काम करते देख बड़ी परेशान सी हो जाती और माँ से कहती – माँ अब तो बदल जाओ आप भी।अब कोई पर्दा नहीं करता जमाने के साथ चलने में ही समझदारी है।

पर कोई उसकी बात सुनने को तैयार ही नहीं होता।

ऐसे ही जब एक दिन वह घर वापस आ रही थी तो रास्ते में उसे पिंकी दिख गई।राखी और पिंकी बहुत पक्की सहेलियाँ थी वे बचपन से एक- दूसरे के साथ ही पली- बढ़ी और खेली- कूदी थी। सारी बातें जब तक साझा न कर लें उन्हें चैन नहीं आता था। 

अरे पिंकी किसी दिन मेरे घर आओ न हम फिर से ढेर सारी बातें करेंगे। 

हाँ हाँ क्यों नहीं…. मेरा भी बड़ा मन है अच्छा कल ही आती हूँ। 

जब पिंकी आई तो राखी बड़े प्यार से उसे अपने कमरे में ले गई। 

वाह राखी बड़े ठाठ हैं तेरे तो.. तभी तेरा मन मायके में नहीं लगता। 

अरे वो बात नहीं है पिंकी.. यश मुझे इतना प्यार करते हैं कि मेरे बिना उनको अच्छा नहीं लगता इसीलिए नहीं रुकती मैं। 

ओह तो यह बात है मेरी सखी बड़ी भोली है मर्दों की ये तो लच्छेदार बातें हैं सच तो यह है कि हमारे रहने से उनको जो हर चीज हाथ में मिलने की आदत हो जाती है वह पूरी नहीं होती इसलिए नहीं भेजते। सही कह रही हूँ न मैं क्या तुझे यह बंधन सा नहीं लगता कभी? 

लगता तो कई बार है क्योंकि इनके साथ होते हुए मैं किसी से खुलकर बात नहीं कर पाती। कभी- कभी मन करता है कि सहेलियों, बहनों, भाईयों, भतीजों के साथ खेलूँ। जी भर के ऊधम करूँ और सहेलियों के साथ पार्क में झूला झूलने जाऊँ और खूब शोर मचाऊँ। सच में कभी तो यह प्यार एक प्यारा पिंजरा सा लगने लगता है अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकती। 

तभी यश ने अंदर आते हुए कहा अच्छा तो अपनी सखी से हमारी शिकायतें हो रही हैं। 

यह सुनते ही राखी पर मानो घड़ों पानी पड़ गया उसे लगा यश ने उनकी सारी बातें सुन ली हैं आज वह इतना प्यार करने वाले हमसफर की बुराई कर अपनी ही आँखों में गिर गई थी वह यश से नज़रें नहीं मिला पा रही थी वह इस बात पर पछता रही थी कि क्यों वह अपनी वाणी पर संयम नहीं रख पाई लेकिन यश ने उसे कभी भी इस बात का उलाहना नहीं दिया यह था उसका सच्चा प्यार। 

#आँखों से गिरना

कमलेश राणा

ग्वालियर

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