प्यार तो पहले हुआ करता था । आज के दौर में प्यार के मायने ही बदल गए है । प्यार प्यार ना रह बस एक खिंचाव , एक फ़ैशनेबल हौड की तरह हों गया है ।
जहां लड़के-लड़कियाँ बॉय फ़्रेंड गर्ल फ़्रेंड कहलवाना ज़्यादा पसंद करते है । मेट्रो जो एक सार्वजनिक परिवहन का साधन है ।
आज कल उसमें भी कुछ ना कुछ ऐसा दिख जाता है या सुनाई दे जाता हैं कि हमें अपने आप पे ही शर्म आने लगती है ।
ऐसा ही कुछ उस दिन मेरे साथ हुआ जब मैं मेट्रो से कहीं जा रही थी । थोड़ी देर में दो लड़कियाँ मेरे पास वाली ख़ाली सीट पर आ बैठी ।
मैं भी समय गुज़ारने के लिए फ़ोन पे कुछ खोजने लगी । तभी उनकी बातें मेरे कानो से होती हुई आत्मा को चीर गयी ।
उन दोनो लड़कियों में से एक बोली यार मुझे अजय अच्छा लगता हैं , पर राहुल इससे ज़्यादा अच्छा हैं । अजय मुझसे मिलना चाहता है ,पर क्या करूँ मिल नहीं पा रही हूँ ??
तभी दूसरी लड़की बोली कोई बात नहीं ! तू कल मेरे घर आ जाना आंटी को बोल देना तुम्हें कल कॉलेज में बहुत काम हैं ।
तेरे घर पे ! तू क्या कह रही है ??
हाँ ! मेरे मम्मी-पापा दो दिन के लिए कानपुर जा रहे हैं । तो तुम और अजय मिल लेना …..
लेकिन तेरा भाई ??
भाई ! जब ऑफ़िस चले जाए तो आ जाना बाक़ी मैं सम्भाल लूँगी ।
यें सुन मुझे शर्म आने लगी लेकिन उन्हें ये सब बातें पब्लिक प्लेस में बोलते हुए कोई डर नहीं था । माना की प्यार कोई ग़लत नहीं हैं ।
हमारे समय में भी लोग प्यार करते थे । लेकिन इस तरह की बेहूदी बातें यूँ सरे आम करना तो दूर सोचना भी गुनाह था ।
जब मैंने उनकी तरफ देखा तो वो हंस के अगले स्टेशन पर उतर गयी । और मैं यहीं सोचती रही कि आज कल के बच्चे कैसे अपनी माँ-बाप की इज्जत उनके संस्कारो पे धब्बा लगा रहे हैं ।
हर माँ बाप अपने बच्चों पे भरोसा कर उन्हें खुल के जीने की आज़ादी देते हैं । पर बच्चे आज़ादी का गलत मतलब समझते हैं ।
हम भारतीय हैं हमें अपनी और अपनो की मान मर्यादाओं का ध्यान रखना चाहिए । यूँ सब के सामने कलंकित नहीं करना चाहिए ।
#धब्बा लगाना
स्वरचित रचना
स्नेह ज्योति