माँ,माँ,जल्दी आओ भैया दीदी को लेकर आ गए।गाड़ी की आवाज सुनकर श्रेयांसी माँ को पुकारते हुए घर के बाहर भागी।अरे!लड़की सुन तो ज़रा। एकदम आंधी तूफान है यह लड़की,कुछ सुनेगी ही नहीं। जैसी यह है वैसी ही उसकी बहन भी है।वह भी तुरंत गाड़ी से उतर कर चल देगी।
बहू जल्द से एक कटोरी मे तेल लेकर आओ और ननद के पैर मे लगाकर फिर उसे उतार कर अंदर ले आओ।जी माँ जी अभी लेकर आई।आप उन्हें बाहर ही रोकिये कहकर बहू तेल लेने रसोई मे गई। तेल लेकर वह बाहर गई और फिर प्राची के पैर मे छुआकर कहा बबुनी अब गाड़ी से निकल कर घर मे चलिए।
प्राची बाहर निकली और धीरे धीरे अंदर जाने लगी। भाभी नें हँसते हुए कहा बबुनी चार दिन मे ही ससुराल के रंग मे रंग गई। ज़रा तेज चलिए यह ससुराल नहीं आपका मायका है। प्राची नें कोई जबाब नहीं दिया बस मुस्कुराकर घर के अंदर चली गई। घर मे घूसते ही श्रेयांसी और उसकी सहेलियों नें प्राची को घेर लिया
और पूछने लगी दीदी जीजाजी कैसे है?सुना है शहर मे रहने वाले लोग सुबह रोटी नहीं खाते पावरोटी खाते है। क्या आपके यहाँ भी सभी वही खाते है।सभी लड़कियां इसी तरह से अजीब अजीब से सवाल पूछ रही थी पर जबाब किसी को सुनना नहीं था बस एक के बाद एक सवाल किये जा रही थी।
उन्हें इसतरह से बोलते देखकर प्राची की माँ नें कहा लड़कियों अब अपने घर जाओ शाम को फिर आना अभी दीदी को कुछ खाकर आराम करने दो। सफर से थकी हारी आई है अभी और तुम सब लगी उसे परेशान करने। माँ नें यह कहकर बच्चियों को वहाँ से हटाना चाहा,
पर लड़कियां वहाँ से जाने को तैयार नहीं थी उन्हें दीदी के ससुराल के बारे सब कुछ अभी ही जानना था। इसलिए उन्होंने प्राची से कहा दीदी तुम माँ को बोलो ना की तुम थकी नहीं हो।अभी तो हमें तुमसे तुम्हारे ससुराल के बारे मे बहुत कुछ जानना पूछना है।जीजाजी और उनके भाई सब शहर मे नौकरी करते है तो तुम्हारे ससुराल का रहन सहन तो
हमारे यहाँ से एकदम ही अलग होगा? वहाँ तुम्हे कैसा लगता है? तुम्हे तो बहुत मज़ा आता होगा? श्रेयांशी और उसकी सहेलियों नें प्राची से अपनी बातो को पूछना जारी रखते हुए कहा। उनपर माँ की बातो का कोई असर नहीं हुआ था। सब बताएगी सुनाएगी आप सब सीख लेना।
बता दीजिए बबुनी पहली रात को जीजाजी नें क्या क्या किया।भाभी नें ननद सब से मज़ाक करते हुए कहा। भाभी आप भी ना, बस हमेशा मज़ाक करती रहती है जा रही है हम सब।जब भाभी शाम को खाना बना रही होंगी तब आएंगी कहकर सब भाग गई। देखा माँ जी कैसे मैंने सबको भगा दिया?
चलिए बबुनी खाना खा लीजिए।हाँ खा लो दीदी। आज भाभी नें सब कुछ तुम्हारी पसंद का बनाया है प्रियांशी नें कहा।भाभी नें हँस कर पूछा वैसे अब भी खाने मे वही सब पसंद है या जीजाजी के पसंद मे रंग गई है? दीदी आपकी छोटी जेठानी कैसी है? उनकी शादी भी तो आपकी शादी से दो दिन पहले हुई है। भले ही दो दिन पहले ही आई हो पर है तो जेठानी ही ना। तुम पर रोब जमाती थी क्या?
सभी प्राची से बात कर रहे थे और जबाब एक दूसरे को दे रहे थे।प्राची तो एकदम गुमसुम बैठी थी। लग ही नहीं रहा था कि यह वही प्राची है जो चार दिन पहले तक चुप होने का नाम ही नहीं लेती थी। मामी, चाची सभी रिश्तेदार बोलते थे पता नहीं यह लड़की ससुराल मे कैसे चुप बैठेगी?
कल शादी है और आज यह लड़की आँगन मे बैठी बाप, चाचा से बहस लड़ा रही है। पर आज प्राची चुपचाप बैठी उस दिन को याद कर रही थी जब उसके पिता और रिश्तेदार आँगन में बैठे उसके ससुराल वालो के द्वारा किये गए स्वागत सत्कार की चर्चा कर रहे थे। चाचा नें कहा “भैया मानना पड़ेगा हमारी प्राची बेटी बहुत ही अच्छा भाग्य लेकर पैदा हुई है,
नहीं तो हमारी कहाँ हैसियत थी ऐसे घर मे बेटी देने की। बहुत ही संम्पन्न लोग है हमारे समधी।उनके यहाँ विवाह मे जो भी रिश्तेदार आए थे उन सब को भी देखते ही लग जा रहा था कि है कुछ। उनके कपड़े लत्ते देखते बन रहा था। वैसे कपड़े तो फिल्मो मे ही लोग पहनते है। कोर्ट पैंट टाई, बच्चे तक वही पहने थे।
जनानियो की साड़ियों को तो देख कर आँखे चौधिया जा रही थी।सभी मे सलमा सितारे जड़े हुए थे।कल रात प्राची के घर वाले उसका तिलक चढ़ाने उसके ससुराल गए थे। वहाँ उसके ससुराल वालो नें तिलक चढ़ाने गए लोगो का स्वागत सत्कार बहुत ही अच्छे से किया था।
आँगन मे बैठकर सुबह से ही सभी उसी का गुणगान कर रहे थे।घर की महिलाए भी अंदर से कान लगाकर उनकी बातो को सुन रही थी और प्राची के भाग्य की सराहना कर रही थी। प्राची का घर बिहार के एक सुदूर गाँव मे था। उसके परिवार वाले भी धनाढय ही थे पर उनकी सम्पति खेती बाड़ी थी।
उनके पास सैकड़ो बीघा खेत था पर संयुक्त खेत और संयुक्त परिवार था। उनका रहन सहन गाँव जैसा था। अभी धीरे धीरे नए बच्चे शहरों मे जाकर कपड़ो की खरीदारी करने लगे थे परन्तु उनका रहन सहन अभी भी शहर के लोगो के जैसा नहीं था,
क्योंकि उसके घर मे अभी भी कोई नौकरी नहीं करता था। ससुराल भी गाँव मे ही था पर उसके होनेवाले दोनों जेठ,पति और देवर सभी शहर मे काम करते थे। इसलिए उनका रहन सहन शहरी था। उन्होंने पटना से मिठाई और खाना बनाने वाले कारीगर को बुलाया था
और शहरी तरीका से ही तिलक के पार्टी का इंतजाम किया था। प्राची की बड़ी जेठानी अपने पति के साथ दिल्ली मे रहती थी। दूसरे जेठ की शादी प्राची के शादी के दो दिन पहले होना था।तिलक दोनों का एक ही दिन था। उसकी होनेवाली जेठानी पटना शहर की थी। प्राची के पति और उसके दूसरे जेठ मुंबई मे काम करते थे।
प्राची भी मुंबई जाने के सपनो को सजाए ससुराल पहुंची पर वहाँ जाकर उसे पता चला कि माता पिता की आर्थिक स्थिति के अनुसार ससुराल मे बहू को सम्मान प्राप्त होता है। दहेज तो दोनों को ही बहू को बराबर ही मिला था पर सामान मे जमीन आसमान का फर्क था।
जेठानी के पिता नें जहाँ A C, फ्रिज, माइकोवेब जैसे नई तकनीको का सामन दिया था,वही प्राची के साथ पीतल का बर्तन गया था। साड़िया भी उसकी जेठानी के मायके से बहुत ही सुन्दर सुन्दर आया था।उसके मुकाबले मे प्राची के यहाँ की साड़ी कहीं भी नहीं ठहरती थी। जेठानी के यहाँ की साड़ियों को देखकर सास ननद का मुँह एकदम खिल गया था। इन सब का असर सास ननद के द्वारा दोनों बहूओ के साथ किये गए
व्यवहार मे भी साफ साफ दिखता था। जेठानी का आदर भाव कुछ अलग ही ढंग से होता था।हर बात पर यह जरूर ख्याल रखा जाता कि शहर की लड़की है पता नहीं गाँव का खाना खाती होंगी की नहीं? हर बार उससे पूछा जाता दुल्हन क्या खाओगी? कहो तो तुम्हारे लिए बाजार से कुछ मंगवा ले।
वही प्राची को जो भी घर मे बना होता वही खाने को दे दिया जाता। उससे यह जानने की कोशिश भी नहीं की जाती कि उसे पसंद है या नहीं। हद तो तब हो गई जब दोनों भाइयो के मुंबई जाने की बात हुई तो सास नें कहा मझली बहू को भी जाने की तैयारी करने को कह दो। शहर की बेटी है गाँव मे कैसे रहेगी भला?
छोटी बहू का तो घर गाँव मे ही है तो उसको अभी मुंबई जाने की जरूरत नहीं है। साल दो साल गाँव मे रहकर घर के रीत रिवाज़ सीख लेगी फिर उसके भी शहर जाने के बारे मे सोचा जाएगा। उसको अपने आप मे खोए देखकर उसकी माँ नें पूछा क्या बात है बिटिया तुम इतनी खोई खोई क्यों है?
ससुराल मे सब ठीक है ना? कोई तकलीफ तो नहीं है? इतने बड़े घर मे ब्याही है हमने बेटी, भला तकलीफ क्यों होंगी माँ जी? बबुनी नन्दोई जी के ख्याल मे खोई है भाभी नें प्राची को छेड़ा।
यह सुनते ही प्राची का दुख आँखो से बहने लगा और उसने कहा ससुराल कितना भी अच्छा हो भाभी पर यह बात सच है कि बहू को सम्मान उसके मायके की आर्थिक स्थिति के अनुसार ही मिलती है।
वाक्य — माता पिता की आर्थिक स्थिति तय करती है ससुराल मे सम्मान
लतिका पल्लवी