सही तो कहती है मां – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

टूना कब से कह रही हूं  पापा को बोल  जल्दी से मेडिकल स्टोर से दवा ले आएं बहुत तेज सिरदर्द हो रहा है मेरा किसी को मेरा ख्याल ही है कनक खीझ कर तीसरी बार बोल उठी।

मम्मा मै कितनी बार कह चुकी पर पापा सुन ही नहीं रहे हैं टूना की बात सुन कनक सशंकित हो उठी।

क्या कर रहे हैं पापा जो सुनाई नहीं पड़ रहा है।

दादी के कमरे में बैठे हैं बात कर रहे हैं टूना ने बताया।

हूँ तभी तो सुनाई नहीं पड़ रहा है।कानों में तो बस अपनी प्यारी मां की बातें जा रही होंगी।जाने कौन सी #पट्टी पढ़ा रही होंगी अपने बेटे को।

जब से यहां हम लोगों के पास रहने आईं हैं कोई न कोई पट्टी ही पढ़ाती रहती हैं। मेरे विरुद्ध भड़काती रहती होंगी और काम ही क्या हैं उनके पास जा तू पापा को बुला कर ला कहना मम्मी अभी बुला रही हैं जरूरी काम है कनक ने बेटी को पट्टी पढ़ा कर भेजा।

वो मै कह रही थी कि मेरे लिए दवा… पति सीमांत के आते ही कनक ने कहना शुरू ही किया था कि वह अभी आया कहते गायब हो गए और कुछ ही पलों में गरम दूध लेकर आ गए।

लो कनक दवा खा लो और ये दूध पी लो सीमांत ने दवा खोल कर कनक के हाथ में रखी तो कनक हक्का बक्का हो गई।

आप दवा ले भी आए और ये दूध आप क्यों गर्म करके लाए हैं।मै नहीं पियूंगी आपके लिए गरम कर रही थी मैं तो कहती उठकर बैठ गई।

तुम चुपचाप दवा खाओ और दूध पीकर आराम करो पति का इतना कोमल स्नेह स्वर कनक को चौंका गया।

नहीं जी आराम क्या करना है।पूरा काम पड़ा है अभी चौके का कनक उठने लगी।

मैं कर दूंगा सब काम तुम्हारी तबियत खराब है तुम्हे आराम की जरूरत है।जब मेरी तबियत खराब होती है तब तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो।लाओ मैं तुम्हारा सिर दबा देता हूं कहता सीमांत उसके सिर की तरफ बढ़ा तो कनक झटके से उठ बैठी ।

क्या कर रहे हैं आप।क्या हो गया है अचानक आपको मेरा सिर आप दबाएंगे कनक अचरज से बोल पड़ी।

मम्मा ये सब दादी के कारण है। दादी यही वाली पट्टी तो पढ़ा रहीं थीं पापा को कि बहू का भी ख्याल रखा कर सुबह से सबकी तीमारदारी में जमीन आसमान एक किए रहती है उसका ख्याल कौन रखेगा।तेरा फर्ज बनता है उसका ध्यान रखना…

उसीका असर है ये ।क्यों पापा ठीक कहा ना मैंने तो अपनी चोरी पकड़े जाने से पापा बेटी की तरफ देख कर जोर से हंस पड़े।

हां मां जब से यहां आईं हैं मुझसे हमेशा यही बात कहती रहती हैं।कनक मां के कहने से मुझे भी महसूस हुआ है

कि तुम्हारा ख्याल मुझे रखना चाहिए सही तो कहती है मां चलो अब चुपचाप मुझे ख्याल करने दो तुम आराम करो हंसकर दुलार से उसने कनक को बिस्तर पर लिटा दिया और हौले से उसके सिर को दबाने लगा।

हां जी आप ठीक कहते हैं सही तो कहती है मां कहती कनक के दिल में मां के लिए श्रद्धा और आँखों में हर्ष और पश्चाताप के आंसू भर आए।

लघुकथा

पट्टी पढ़ाना#मुहावरा लघुकथा

लतिका श्रीवास्तव

Leave a Comment

error: Content is protected !!