मै जा रही हूँ मुझे नहीं रहना है तुम्हारे घर मे। यह कहकर सोनम अपना सूटकेश उठाकर सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी। पीछे पीछे उसकी माँ भी उससे बोलते और मनाते हुए आ रही थी।बोल ना ऐसा क्या हुआ जो तु इतनी गुस्सा हो गईं? कुछ नहीं तुमसे कहना बेकार है तुम नहीं समझोगी। क्या नहीं समझूंगी? मै बच्ची हूँ? तेरी माँ हूँ।तु बोल तो सही,मैंने ऐसा क्या कर दिया जो कि तु इतनी नाराज हो गईं और अचानक से अपने ससुराल जाने लगी?दोनों माँ बेटी आपस मे बकझक करते हुए नीचे उतरी।उनकी आवाज सुनकर उसके बड़े पापा,बड़ी माँ और भैया-भाभी अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गए। सोनम को सूटकेश के साथ देखकर उसकी बड़ी माँ नें पूछा कहा जा रही हो सोनम? अपने घर सोनम नें रूखे स्वर मे जबाब दिया।क्यों?आज तो जाने की बात नहीं थी।कल नीलम आ रही है उससे मिलकर जाने की बात थी। ऐसी क्या जरूरत आ पड़ी जो तुम अचानक से निकल रही हो।सब ठीक है ना वहाँ पर, बड़ी माँ नें चिंतित स्वर मे पूछा। हाँ,सब ठीक है दीदी से मिलना होगा तो मै उनके घर चली जाउंगी,सोनम नें जबाब दिया।अच्छा चलती हूँ कहकर अपनी बेटी को गोद से उतार कर उसने बड़े पापा,बड़ी माँ और भैया भाभी को प्रणाम किया और बाहर निकलने लगी।तभी सामने से उसके पापा घर मे प्रवेश किये। सोनम को बाहर जाते हुए देखकर पूछा बेटा कहा जा रही हो? अपने घर उसने उनसे भी यही जबाब दिया। इतनी जल्दी परसो ही तो तुम आई हो। मै जब बाहर गया था तब तो तुम्हारा ऐसा कुछ प्रोग्राम नहीं था। इसतरह अचानक कुछ हुआ है क्या? वहाँ सभी ठीक है ना? इसतरह से सोनम के अचानक जाने के कारण उसके पिता नें भी चिंता व्यक्त किया।जब ससुराल मे सब ठीक है तो इतनी जल्दी जाने की क्या जरूरत है वह भी अचानक से यह किसी को समझ नहीं आ रहा था। सोनम जाओ जाकर अपना सामान मेरे कमरे मे रखो और चुपचाप आराम करो तुम कहीं नहीं जा रही हो बड़े पापा नें आदेशात्मक स्वर मे कहा। बड़े पापा की बात सुनकर सोनम चुपचाप बड़े पापा के कमरा मे चली गईं और उनके बिस्तर पर गिरकर जोर जोर से रोने लगी। उसके रोने की आवाज सुनकर बड़ी माँ कमरा मे जाने लगी तो बड़े पापा नें उन्हें रोक दिया और कहा जाओ जाकर सभी अपना काम करो। मै देखता हूँ कि बात क्या है पर अभी उसे रो लेने दो।रोते रोते ही सोनम की आँख लग गईं और उसकी नींद भाभी की आवाज से खुली जो कह रही थी ननद रानी कब तक सोओगी?शाम हो गईं अब उठिये गोधूलि बेला मे नहीं सोना चाहिए।उठते ही उसने कहा सॉरी भाभी मुझे माफ़ कर दो। किस बात की माफ़ी माँग रही है?भाभी एकदम से कुछ समझ ही नहीं पाई।भाभी पीहू कहा है?उसने आपको ज्यादा तंग तो नही किया?अच्छा इसलिए,अरे! इसके लिए आप माफ़ी क्यों मांगेंगी?मै आपको धन्यवाद करती हूँ कि आपके सोने की वजह से मुझे अपनी भांजी के साथ अच्छा समय बिताने को मिला।सोनम नें हाथ मुँह धोकर चाय पीया,और फिर अपने बड़े पापा के कमरा मे चली गईं।उसकी माँ नें जब उससे बात करने की कोशिश किया तो उसने जबाब नहीं दिया।सभी के साथ उसकी माँ भी यही सोच रही थी कि आखिर मैंने ऐसा क्या कर दिया जो यह मुझसे इतनी नाराज हो गईं है।सोनम उनकी इकलौती बेटी है उसकी नाराजगी उनसे बर्दास्त नहीं हो रही थी, पर सोनम कुछ कहने सुनने को तैयार ही नहीं थी। सोनम के पापा दो भाई है।बड़े भाई को दो बच्चे है अमन और नीलम। सोनम घर मे सबसे छोटी है इसलिए सभी उसे कुछ ज्यादा ही लाड़ करते है। तीनो बच्चो का आपस मे इतना प्यार है कि उन्हें कभी समझ ही नहीं आया कि सोनम चचेरी बहन है।अमन को लेकर सोनम कुछ ज्यादा ही पोजेसिव है वह हर समय इस बात पर झगड़ती रहती है कि भाई मेरा है। भाभी के आने पर भी उनके प्यार मे कोई फर्क नहीआया। भाभी नें भी उसे अपनी ननद सा प्यार दुलार दिया। भाई की शादी हो या भतीजा का जन्म दोनों मे ही उसने बढ़ चढ़कर उत्साह दिखाया और मुँह माँगा नेग लिया। भाभी के मायके से भी उसके लिए और नीलम के लिए एक जैसा ही उपहार आया था।कूल मिलाकर ना सोनम नें कभी भाई -भाभी या दीदी -जीजा को चचेरा समझा और ना ही उनलोगो नें ही उसके लिए ऐसा महसूस किया।घर पुराना था जिसमे नीचे तीन कमरा था और उपर दो कमरा भाई की शादी के बाद बना था जिसमे अब एक मे सोनम के माँ पापा और दूसरे मे सोनम और नीलम जब भी ससुराल से आते तो रहते है।खाना पीना सब साथ ही मे था।रात के खाने के बाद जब सोने की बारी आई तो सोनम अपने कमरा मे ना जाकर बैठक मे सोने चली गईं।बड़ी माँ नें कहा कि सोनम अपने कमरा मे जाकर सोओ। पर उसने इसपर ध्यान नहीं दिया। अभी तक सबको यह समझ तो आ ही गया था कि गलती जो भी हो पर है छोटी माँ की। इसलिए उनको छोड़कर सभी सोनम के पास गए और जाकर उसके पास बैठ गए। बड़े पापा नें बात की शुरुआत यह पूछकर किया कि सोनम छोटी माँ नें ऐसा क्या किया है जो तुम इतनी नाराज हो कि यह भी नहीं सोचा कि तुम्हारे इसतरह से जाने पर तुम्हारे ससुराल वाले क्या सोंचेगे। बड़े पापा मै उनसे कुछ छुपाऊँगी भी नहीं सोनम नें कहा।क्या नहीं छुपाओगी?वही जो इनदोनो जेठानी और देवरानी नें मेरे साथ किया है। क्या किया है हमने बड़ी माँ नें आश्चर्य से पूछा?बड़े पापा इन्होने मेरे खिलाफ साजिश की है और मेरा मायका खत्म कर दिया है,सोनम नें रोते हुए कहा। यह क्या कह रही है बेटी तु,हम ऐसा क्यों करेंगे बड़ी माँ नें फिर पूछा? पर सोनम नें उनकी बात पर ध्यान नहीं देते हुए अपनी बात जारी रखी।बड़े पापा इन्होने मुझे भैया भाभी के सामने मुँह दिखाने के लायक नहीं छोड़ा है।अरे! ऐसा इन्होने क्या कर दिया है जो तु इनसे इतनी गुस्सा हैऔर इसमें मै और तेरी भाभी कहा से आ गए? भाई भी आश्चर्य मे पड़ गया और अपनी पत्नी की तरफ देखते हुए इशारे से पूछा कि क्या तुम्हे कुछ पता है।अब कुछ कुछ बात बड़ी माँ और भाभी को समझ आने लगी थी।भाभी नें आगे बढ़कर सोनम के आँसू पोछते हुए कहा मेरी ननद रानी जो हुआ उसे भूल जाओ और अब चुप हो जाओ नहीं तो तबियत खराब हो जाएगी फिर मेरे नन्दोई जी मुझे सुनाएँगे कि अब मै अपनी पत्नी को आपके यहाँ नहीं भेजूंगा।आप उसका सही से ख्याल नहीं रखती है। इस तरह से भाभी ने माहौल को ठीक करने की कोशिश की पर सोनम चुप होने का नाम नहीं ले रही थी। अब बड़े पापा को समझ आया कि जो भी बात है उसे बहू भी जानती है तो उससे ही पूछना सही है। उन्होंने बहू से पूछा बात क्या है?तुम्हे पता है?मुझे सब सच सच बताओ। बहू चुप रही।बाहर दरवाजा के पास छुपकर छोटी माँ सब सुन रही थी।अब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। वह अंदर आई और आकर कहा भैया मुझे माफ़ कर दीजिये। मुझे समझ नहीं आया कि मै जो कर रही हूँ,इसका इतना गहरा अर्थ निकल जाएगा यह मुझे समझ नहीं था। सभी पुरुष इस बात को सुनकर आश्चयचकित थे और समझने की कोशिश कर रहे थे कि आखिर हुआ क्या है? विस्तार से बड़ी माँ नें समझाया तो पता चला कि सोनम की दादी के पास जो भी गहना था उसे उन्होंने आधा आधा अपनी दोनों बहूओ को शादी मे चढ़ा दिया था पर एक सोने का कंगन था जो उनका पुश्तेनी ज़ेवर था। उनके यहाँ कई पुश्तो से एक ही बेटा होता था जिसके कारण वह नई बहू को मिल जाता था। पर सोनम के पिता दो भाई हो गए तो उसकी दादी नें कंगन किसी को भी नहीं दिया। उसे अपने पास रखा।संयोगवश अगली पीढ़ी मे भी एक ही बेटा अमन हुआ तो उन्होंने मरने के वक़्त वह कंगन बड़ी बहू को देकर कहा कि इसे अपनी बहू को दे देना।शादी के वक़्त तो उन्होंने उसे नहीं दिया पर कुछ दिन पहले जब बहू अपने भाई की शादी मे जा रही थी तब उसे पहनने के लिए दिया। पता नहीं छोटी माँ के मन मे क्या हुआ उन्होंने जैसे ही कंगन बहू के हाथ मे देखा गुस्साते हुए अपनी जेठानी से कहा यह बात बात हुई दीदी आपने कंगन बहू को कैसे दे दिया?मुझे बेटा नहीं है तो क्या हुआ बेटी तो है ना।इसलिए इस कंगन पर मेरी बेटी का भी अधिकार है? एक कंगन बहू को दे दो पर एक कंगन मेरी बेटी के लिए मुझे दे दो।बड़ी माँ नें कुछ नहीं कहा बस चुपचाप एक कंगन छोटी माँ को पकड़ादिया। यह बात किसी को भी कानोकान खबर नहीं हुई,पर आज जब सोनम अपनी माँ की आलमीरा मे कुछ खोज रही थी तब उसे यह कंगन दिखा।उसने अपनी माँ से पूछा यह किसका है? पहले नहीं देखा, और एक ही क्यों है?माँ नें सारी बातें बताई। यह सुनते ही वह गुस्सा हो गईं और यह सब शुरू हुआ।सब जानकर बड़े पापा नें कहा इसमें गुस्सा क्यों हो रही है?बड़े पापा मै इन्हे कभी इस बात के लिए माफ़ नहीं करूंगी। इन्होने मुझे चचेरी बहन बना दिया। सोनम के इस बात का किसी के पास कोई जबाब नहीं था। सोनम को चुप कराने की हिम्मत किसी मे नहीं थी।
विषय —- सोने का कंगन
लतिका पल्लवी