“अरे विशेष तुम तो भई अब हमें पूछते भी नहीं…… अपने चाचा से इतनी नाराज़गी किस बात की?”पड़ोस में रहने वाले मुकुल चाचा ने विशेष से कहा जो ऑफिस से आकर अपने घर की तरफ़ जा रहा था
“नमस्ते चाचा जी,ऐसा कुछ भी नहीं है जो आप सोच रहे हैं…बस आजकल काम की अधिकता की वजह से घर पर ही ज़्यादा वक्त नहीं दे पाता तो आपके साथ भी समय बिताने का वक्त नहीं मिलता है ।” कहते हुए विशेष कंधे पर अपने बैग को दुरुस्त करते हुए बोल कर घर की ओर बढ़ गया
“माँ ये मुकुल चाचा को हमेशा हम लोगों की कितनी परवाह रही है ना… देखो आज मैं जो कुछ भी हूँ उनकी वजह से ही तो हूँ जो गाहे-बगाहे वो बोलते रहते हैं ।” मुस्कान के साथ विशेष ने माँ से कहा
“अब क्या ही कर सकते है बेटा उस वक्त वो ही मोहल्ले में पहले ऐसे व्यक्ति थे जो एक छोटी सी नौकरी में थे और उनको लगता था सबसे ज़्यादा पढ़े लिखे वही है… तभी तो नौकरी लग गई…आते जाते हर बच्चे को पकड़ कर सवाल पूछना शुरू कर देते थे…और जो भी ज्ञान उनके पास था वो सब उड़ेल दिया करते…
तब तुम पढ़ने में उतनी दिलचस्पी नहीं लेते थे… और उनका बेटा पढ़ने में तुम सब से थोड़ा होशियार था बस फिर क्या था बाप बेटा दोनों मिलकर सारे मुहल्ले वालों के बच्चों की जम कर बुराई करते रहते….. अब समय बदल गया है… उन्हें अभी भी यही लगता है
कि मेरे से ज़्यादा होशियार यहाँ कोई नहीं है…उनकी नज़र में उनका होशियार बेटा नौकरी नहीं किया तो क्या हुआ अपना छोटा मोटा बिज़नेस तो कर रहा है….तुम्हें तो हमेशा ही कहते रहते थे ये विशेष कोई विशेष काम ना करेगा… देख लेना ….अब तुम अच्छी नौकरी में हो तो उन्हें ये ही लगता है कि मैं जो सवाल जवाब करता था उससे ही ये होशियार हो गया है ।” माँ ने कहा
“ माँ बच्चों को कोई ऐसे पकड़ पकड़ कर सवाल करता है क्या जैसे मुकुल चाचा करते थे उन्हें देखते ही सब बच्चे इधर-उधर भागते थे…चार सवाल करके वो अपने आपको ज़्यादा होशियार समझते रहे हैं…पर ऐसा नहीं था हम जान बुझ कर चुप रहते थे…..
सही जवाब देने पर भी सौ ग़लतियाँ निकाल कर अपनी बात मनवाते तो हम सब कन्नी काटने लगे उनसे ….वो तो आज भी खुद को सबसे बड़ा ज्ञानी समझते हैं और उनका बेटा भी एकदम वैसा ही है…आता जाता कुछ नहीं बातें ऐसी करता जैसे ज्ञान का भंडार उसके पास ही है…अब हमें उनसे ज़्यादा ज्ञान है पर हम तो ऐसा नहीं करते हैं ।” विशेष ने कहा
“बेटा वो बोलते हैं ना थोथा चना बाजे घना मुकुल भाई साहब वैसे ही है…. बस जितना है नहीं उससे ज़्यादा अपना बखान करते रहते और इसी वजह से आज मोहल्ले का कोई भी बच्चा उनसे बात करना पसंद नहीं करता… पर अब उनकी उम्र हो गई है कभी कभी सुन लिया कर….उन्हें अच्छा लगेगा।” माँ समझाते हुए अपने काम में लग गई
दोस्तों अक्सर कुछ ऐसे लोग अपने आसपास मिल जाते हैं जो अपने ज्ञान का बखान इतना करते हैं कि जैसे उनसे होशियार कोई और नहीं होगा … जब लोगों को समझ आने लगता है तो वो उनसे दूरी बना लेते हैं मुकुल चाचा भी उनमें से ही एक है।
रश्मि प्रकाश
#मुहावरा
# थोथा चना बाजे घना