सुबह होते ही घर में भानु की आवाज गूंजने लगी।अरे धनिया कहां रह गई जरा चूल्हे पर गर्म तेल करके ले आ और मेरे घुटने में लगा दे। तुझे पता है ना। ठंडी के दिनों में मेरे कितना दर्द हो जाता है और हां जब तेल गर्म कर के लाएगी तो लगे हाथ एक चाय की प्याली में लेते आना। वह भी थोड़ा पी लूंगी तो कलेजे को थोड़ा आराम मिलेगा। धनिया एक कटोरी में गर्म कर के तेल लेकर आ गई और साथ में चाय भी।
वो फिर अपनी सास के तेल लगाने लगी । चाय पीते पीते भानु फिर बोल पड़ी। मेरे तेल लगाने के बाद चूल्हे पर दाल चढ़ा देना और हां तरकारी भी बना लेना। तुम्हारे ससुर जी भी खेत से आते ही होंगे । उन्हें तो आते ही गरम-गरम रोटियां चाहिए । जी अम्मा मैं बना देती हूं कहकर फिर रसोई की तरफ जल्दी जल्दी हाथ चलाने लगी।
धनिया की यही रूटिंग थी। कब सुबह होती कब शाम होती । उसे पता ही नहीं चलता। सुबह उठते ही उसके सास का हुक्म चालू हो जाता। जो रात तक उसके कान में गूंजते ही रहते । कभी-कभी धनिया को लगता। उसका
विवाह उसके पति के साथ नहीं बल्कि उस के ससुराल के चूल्हे और बाकी घर के कामों के साथ हुआ है। जो दिन रात उसी के साथ लगे रहना पड़ता है । धनिया को चौथा महीना भी चल रहा था। उसकी तबीयत आए दिन खराब रहने लगी थी । वह ठीक से खाना भी नहीं खा पाती थी । मगर भानु को
कभी उसके खाने की फिक्र नहीं रहती थी। ना उस के लाड लड़ाती । रिश्ता था तो बस एक सिर्फ काम का क्योंकि भानु को लगता था। बहू तो होती ही सेवा के लिए है। दोनों की उम्र में भी कोई ज्यादा फर्क नहीं था । धनिया पहली ही बहू थी मगर बहू के आते ही भानु ने सारा काम छोड़ दिया। धनिया नई नई और संस्कारी होने की वजह से बेचारी कुछ कह नहीं पाती थी मगर उसका मन हर वक्त हाहाकार मचाए रहता।
वह सोचती रहती थी कि मायके में थी तो कितनी लाड प्यार से रही मगर जैसे ही ससुराल आई । मेरी तो दुनिया ही बदल गई। धनिया की ऐसी हालत देखकर पति मनीराम को भी बुरा बहुत लगता था इसलिए उसने अपनी अम्मा को समझाने का तरीका निकाला और फोन पर ही अपनी बड़ी बहन जमुनी को सब कुछ समझा दिया।
दूसरे दिन भानु की बेटी जमुनी कुछ दिन के लिए मायके रहने आ गई और उसने अपनी अम्मा से कहा कि वह मां बनने वाली है। यह सुनते ही भानु खुश हो गई।अब तो भानु उसे एक गिलास पानी भी नहीं भरने देती। उसके खूब लाड लड़ाती ।हर समय धनिया को कुछ ना कुछ बनाने को कहती रहती और बोलती रहती।
अरे धनिया तुम्हारी ननद आई है । इसके लाड लड़ाओ क्योंकि तू मामी बनने वाली है। यह सुनते ही आज जमुनी बोल उठी। अम्मा भाभी भी तो अम्मा बनने वाली है और मैं बुआ बनने वाली हूं। तुम दादी बनने वाली हो ।
जब मेरा इतना लाड लड़ा सकती हो तो भाभी का क्यों नहीं ??दोनों की कोख में संताने पल रही है फिर यह भेदभाव क्यों?? अम्मा भाभी इस घर की बहू है और मैं इस घर की बेटी हूं इसीलिए तुम ऐसा कर रही हो?
अम्मा तुमने तो इस बात को सच कर दिया की सास को बहू की तकलीफ दिखती नहीं है। तुम ने कभी भाभी की तरफ देखा ही नहीं । जरा गौर से देखो अम्मा।भाभी कितनी दुबली हो गई है। मैं तो धन्य हो गई जो मुझे इतनी अच्छी सासू अम्मा मिली। पता है अम्मा मैं ससुराल में बहुत खुश हूं मगर एक बार तुम अपनी बहू धनिया से पूछ कर तो देखो, वह तुम्हारे साथ खुश है या नहीं??
सासु अम्मा बनने का मतलब यह नहीं है अम्मा की पराए घर की बेटी को लाकर इस तरह हम सताने लगे। इस वक्त जो भाभी की कोख में संतान पल रही है । वह कोई पराई नहीं तुम्हारा अपना पोता या पोती होगी। वह भी सोच रही होंगे कि मेरी दादी अम्मा कैसी है ।
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जो मेरी अम्मा को खाना तक नहीं देती । अम्मा अभी भी मौका है । तुम संभल जाओ और भाभी के साथ अच्छा व्यवहार करो। भाभी को खिलाओ पिलाओ और हां अम्मा मैं कोई अम्मा बनने वाली नहीं हूं । मुझे तो तुम्हें समझाने के लिए यह झूठा स्वांग रचना पड़ा।
मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं आगे कभी किसी बेटी को अपनी अम्मा को इस तरह समझाने की जरूरत ना पड़े।
जो इतने दिनों से भानु को कोई बात समझ नहीं आ रही थी आज बेटी के समझाने पर सारी बातें समझ आ गई । उसने अपनी बेटी जमुनी से कहा । माफ कर दे मुझे जमुनी मैं सच में अपनी बहू को बहुत तकलीफ दे रही थी । राम जाने ईश्वर मेरे खाते में क्या लिखेगा। मगर अब मैं आगे ऐसा नहीं करूंगी और दूर खड़ी धनिया को बुलाकर उसे कहने लगी । अरे बैठ धनिया तू जरा आराम कर ले ।बता मुझे आज क्या खायेगी।
तेरी ये अम्मा तेरे लिए वह सब कुछ बनाएगी। जो तुझे और मेरे पोता या पोती को भावे है कहकर भानु हंसने लगी और धनिया भी अपनी ननद जमुनी को मन ही मन धन्यवाद देते हुए खुश हो गई क्योंकि आज उसकी ननद की वजह जो उसकी तकलीफ उसकी सासू मां को दिखने लगी थी । जो अब तलक नहीं दिख रही थी।
#सास को बहू की तकलीफ नहीं दिखती है
स्वरचित
सीमा सिंघी
गोलाघाट असम