एक बड़े से घर में निर्मला देवी रहती थीं। उनका स्वभाव कड़क और अनुशासन भरा था। पूरे घर में उनका ही नियम चलता था। बच्चों को समय पर उठाना, समय पर खाना खिलाना, समय पर पढ़ाना और थोड़ी बहुत कसरत भी करवाना, यह सब उनके रोज़ के नियम थे। घर का हर काम घड़ी की सुई पर चलता था।
फिर उनके बेटे राहुल की शादी हुई। बहू का नाम प्रिया था। प्रिया आजकल की पढ़ी-लिखी लड़की थी। वह थोड़ी लापरवाह भी थी – कभी भी सो जाना, कभी भी जागना, जो मन किया वो खा लिया। उसे लगता था कि शादी के बाद आराम करना और घर संभालना ही काफी है। जब वह ससुराल आई, तो उसे लगा कि उसकी सास निर्मला देवी घर में सब कुछ संभालती हैं, तो उसे शायद आराम मिलेगा। पर ऐसा नहीं था।
निर्मला देवी ने प्रिया को भी अपने अनुशासन में ढालना शुरू कर दिया। प्रिया को सुबह जल्दी उठना पड़ता, घर के काम करने पड़ते। वह कहतीं, “प्रिया, अपना समय पर उठो, समय पर खाओ। अपना काम खुद करो, बाहर के काम भी सीखो, बैंक का काम, बिल भरना, सब तुम्हें खुद करना आना चाहिए।” वह हमेशा जोर देती थीं
कि पढ़ी-लिखी हो तो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी होनी चाहिए। अपना कुछ काम करो। प्रिया को यह सब अजीब लगता। उसे लगता, जब घर में सब कुछ है, नौकर हैं, तो मुझे ये सब क्यों करना पड़ रहा है? उसे निर्मला देवी की बातें बोझ लगती थीं।
महीने और साल बीतते गए। दो साल बाद प्रिया और राहुल का एक छोटा बच्चा भी हुआ। निर्मला देवी ने प्रिया को माँ बनने के बाद भी ढील नहीं दी। वह कहतीं, “अपना ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। रोज़ कसरत करो, चाहे जिम जाओ, योगा करो या कुछ भी। समय पर खाओ, समय पर सोओ।” प्रिया कभी-कभी इन सब से चिढ़ जाती थी।
जब प्रिया अपनी सहेलियों से मिलती या फोन पर बात करती, तो वे उसका मज़ाक उड़ातीं। “यार, तेरी सास तो बहुत कड़क है ,कहीं सनकी तो नहीं” वे कहतीं। प्रिया को भी कभी-कभी अपनी सास का यह सख्त व्यवहार बुरा लगता था। उसे लगता था कि उसकी सास को उसकी तकलीफ दिखती ही नहीं।
प्रिया पढ़ी-लिखी थी, उसने कंटेंट डिजाइनिंग का काम सीखा हुआ था। निर्मला देवी के बार-बार दबाव डालने पर ही उसने मजबूरी में वर्क फ्रॉम होम का काम शुरू किया। उसे लगा कि शायद अब सास को तसल्ली मिलेगी और उसे थोड़ी आज़ादी मिलेगी।
पर वर्क फ्रॉम होम होने के बाद भी निर्मला देवी ने उसका रूटीन नहीं टूटने दिया। वह कहतीं, “काम अपनी जगह है, पर घर के काम, जैसे सब्ज़ी लाना, बिल भरना, बैंक जाना, ये भी तुम्हें खुद ही करने हैं।” योगा, कसरत और खाने-पीने का रूटीन भी नहीं तोड़ने देती थीं।
प्रिया कभी-कभी बहुत परेशान हो जाती थी। सास से कभी-कभी हल्की बहस भी हो जाती, पर घर में तो निर्मला देवी का ही राज चलता था। उन्हीं का नियम चलता था। इसलिए अपने पति से कहने का भी उसकी कोई फायदा लगता नहीं था क्योंकि वह भी यही कहता था कि घर में वही होगा जो मां चाहेगी ।
राहुल, प्रिया का पति, आजकल अक्सर देर से घर आता था। कभी-कभी तो वीकेंड पर भी बाहर चला जाता। वह घर से बाहर ज़्यादा समय बिताने लगा था। प्रिया को लगता कि उसकी सास की इसी सख्ती की वजह से राहुल बाहर समय बिताता है। “इतना इरिटेट करती हैं माँ, तभी तो इंसान को जहाँ शांति मिलती है, वो वहीं चला जाता है,” वह मन ही मन सोचती।
एक दिन निर्मला देवी ने प्रिया को इशारों में कहा, “अपने पति पर ध्यान रखा करो। कहाँ आ रहा है, कहाँ जा रहा है।” पर प्रिया ने गुस्से में जवाब दिया, “आप इतना इरिटेट करती हो, तभी तो वो बाहर चला जाता है। इंसान को जहाँ शांति मिलती है, वो वहीं जाता है।” निर्मला देवी चुप हो गईं।
शादी को पाँच साल हो चुके थे। उनका छोटा बच्चा भी था। एक दिन राहुल घर आया, और उसके साथ एक लड़की थी। वह बहुत जवान थी और आधुनिक कपड़े पहने थी। राहुल ने सीधे निर्मला देवी और प्रिया के सामने कहा, “माँ, मुझे यह लड़की पसंद है। मैं इससे प्यार करता हूँ और आज से यह यहीं रहेगी मेरे साथ।”
प्रिया के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वह रोने लगी। उसे लगा कि अब सब खत्म हो गया। उसका पति उसके साथ नहीं है तो अब उसके ससुराल वाले भी उसका साथ नहीं देगा। उसे लगा, अब तो उसे यह घर छोड़कर जाना ही पड़ेगा।
राहुल ने प्रिया से कहा, “अगर तुम्हें इस घर में रहना है, तो तुम मेरी पत्नी बनकर रह सकती हो। वैसे भी यह मेरे साथ रहना चाहती है, हम लिव-इन में भी रह सकते हैं। तुम जैसे रहती हो, वैसे रहो। मैं तुम्हें और बच्चे को थोड़ा खर्चा पानी देता रहूँगा।”
प्रिया रोती हुई बोली, “ठीक है, मैं चली जाती हूँ। मैं ऐसे एडजस्ट नहीं कर सकती। मैं अपने बच्चे को लेकर चली जाऊँगी।”
तभी निर्मला देवी ने एक ज़ोरदार थप्पड़ राहुल के गाल पर मारा। निर्मला देवी ने प्रिया की तरफ देखते हुए कहा कि इसी दिन के लिए मैंने तुझे इतना मज़बूत बनाया था? तू निर्मला देवी की बहू है , समझी । इतने सालों में यही सीखा है तूने मुझसे ।
उन्होंने प्रिया की तरफ देखा और कहा, ” बालों से पकड़ और इस लड़की को घर से बाहर धक्का दे अपने हाथों से! और साथ में अपने पति को भी । पत्नी है तू इसकी और इस घर की बहू भी लेकिन इसका मतलब यह थोड़ी है कि यह बदतमीज़ी करेगा तो तू सहती रहेगी?”
निर्मला देवी की आँखों में गुस्सा और दर्द दोनों थे। उन्होंने प्रिया को देखा और कहा, “सब कहते हैं सास को बहू की तकलीफ नहीं दिखती, पर तुझे याद है, तुझे कभी भी समय से सोने-जागने, खाने-पीने की आदत नहीं थी। मैं ही थी जिसने तुझे अनुशासन में रखा, कसरत करवाई, ताकि तू मज़बूत रहे।
तुझे याद है मैंने बार-बार कहा था कि पढ़ी-लिखी है तो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन। अपना काम कर! मैंने ही तुझे मजबूरी में काम शुरू करवाया, है ना? तुझे याद है मैंने कहा था अपने पति पर ध्यान दे? तूने तब मेरी बात नहीं मानी। तूने कहा था मेरी वजह से तेरा पति बाहर डोलता रहता है।”
निर्मला देवी ने राहुल की तरफ देखा और कहा, “ऐसा है, इस घर की मालकिन अभी भी मैं और तेरे पिताजी हैं। अगर तुझे इस घर में रहना है, तो तुझे मेरी बहू के साथ ही रहना पड़ेगा, और वह भी प्यार से। नहीं तो इस लड़की कोलेकर निकल जा अभी के अभी।”
राहुल, माँ के इस रूप को देखकर हैरान था। उसे लगा माँ उसका साथ देंगी। पर निर्मला देवी अटल थीं। राहुल उस लड़की को लेकर घर से चला गया।
प्रिया अपनी सास को देखती रही। उसकी आँखों में अब कोई शिकायत नहीं थी, सिर्फ कृतज्ञता थी। उसे समझ आया कि उसकी सास की कठोरता के पीछे छिपी असली चिंता और अथाह प्यार था।
निर्मला देवी ने प्रिया को गले लगाया और कहा, “सब कहते हैं सास को बहू की तकलीफ नहीं दिखती, लेकिन मैं एक औरत हूँ, और मुझे सब समझ में आता है कि एक औरत की तकलीफ क्या होती है। मैंने तुम्हें सिर्फ मज़बूत बनाया है।”
उस दिन के बाद से प्रिया और निर्मला देवी का रिश्ता बदल गया। प्रिया अब अपनी सास को पूरी तरह समझती थी। वह जानती थी कि निर्मला देवी ने उसे हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार किया था।
राहुल कभी वापस नहीं आया घर से दूर जाने पर उसे परिवार का महत्व समझ में आया । कुछ दिनों तक राहुल के साथ रहने के बाद उस लड़की को कोई और दूसरा अमीर लड़का पसंद आ गया और वह लड़की राहुल को छोड़कर उसके साथ चली गई। राहुल अब अकेला हो गया था और पूरी तरह टूट भी गया था ।
प्रिया और उसका बच्चा निर्मला देवी के साथ खुशी से रहते थे। प्रिया अब एक मज़बूत, आत्मनिर्भर औरत थी, जिसे उसकी सास ने अपने सख्त अनुशासन से तराशा था। राहुल अब वापस घर आना चाहता था लेकिन राहुल को अपनाना है या नहीं यह फैसला निर्मला देवी ने
पूरी तरह से प्रिया के ऊपर छोड़ दिया था।
मीनाक्षी गुप्ता