माही की रात को बीच में आंँख खुली। उसने देखा मंयक कमरे में नहीं है। इतनी रात को कहां गए होंगे? माही ने पानी का जग उठाया। वह खाली था। वह पानी लेने के लिए रसोई में जाने लगी, उसने देखा सास के कमरे की लाइट जली है। उसे उधर से धीरे-धीरे आपस में बातें करने की आवाज आई
तो वह दरवाजे के पास पहुंँची। उसने देखा उसकी सास कांता जी, नंद रेखा और मयंक आपस में धीरे-धीरे कुछ बातें कर रहे थे। उसे कुछ शक सा हुआ। उसने ध्यान लगाकर सुनने की कोशिश की। उनकी बातें सुनकर उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई। ये तीनों उसको जान से मारने की साजिश रच रहे थे।
नंद कह रही थी गैस खुली छोड़ देते हैं। जब सुबह को चाय बनाने के लिए गैस खोलेगी तो स्वाहा हो जाएगी।और कहकर निर्लज्जता से हंँसने लगी। मंयक बोला नहीं उसमें तो हम ही फंस जाएंगे। केरोसिन डालकर सोई हुई को ही आग लगा देते हैं। कह देंगे कमरे में पता नहीं कैसे आग लग गई। हां यह ठीक रहेगा। उसकी सास कांता जी बोली। माही को उन लोगों से ऐसी उम्मीद नहीं थी।
मयंक उसे बीस दिन से रोज मायके से पच्चीस लाख रुपए लाने के लिए कह रहा था। यह कहकर कि उस पर बहुत कर्जा हो गया है। लेकिन माही को अपने मायके की आर्थिक स्थिति पता थी। उसने मयंक से मना कर दिया कि वह वहांँ से पैसे नहीं ला पाएगी। मयंक लेनदारों के तकाजे से परेशान हो
चुका था। उसने जब अपनी मां से बताया तो वह बोली माही से पीछा छुड़ा ले। दूसरी शादी में बढ़िया पैसा आ जाएगा। वे वर्मा जी जो पहले पचास लाख नगद देकर अपनी लड़की की शादी तुझसे करना चाहते थे। आज भी तैयार हैं। जब तो तू माना नहीं अब देख ले। विनाश काले विपरीत बुद्धि। मयंक की आंखों पर पट्टी बंध गई। उसी का परिणाम इस साजिश के रूप में सामने आया।
उन लोगों ने अपने इस कुकृत्य के बाद होने वाले परिणाम के बारे में नहीं सोचा। गुनहगार बच नहीं पाता। उसकी अपनी भी जिंदगी तबाह हो जाती है। कुछ नहीं बचता जीवन में। मयंक भी अपनी मां की लच्छेदार बातों में ऐसा उलझा की सही गलत भी नहीं सोच पाया।
अपनी सास के कमरे के अंदर की बातें सुनकर माही डर के मारे पसीने से नहा गई। पहले तो उसने सोचा कि वह कमरे में अंदर जाकर सबको बता दे कि उसने सब कुछ सुन लिया। लेकिन उसके दिमाग ने चेताया कि कहीं यह जो कुछ उसके साथ बाद में करने की सोच रहे हैं। अभी कर दिया
तो….उसने हिम्मत से काम लिया और चुपचाप अपने कमरे में आ गई। लेकिन जल्दबाजी और डर में वह कमरे का दरवाजा बंद करना भूल गई। उसने सोचा क्या करूं किसे बताऊँ। फिर उसने कुछ सोचकर पुलिस स्टेशन का नंबर मिलाया। उसने बताया कि सर मेरे ससुराल वाले मुझे जान से मार देंगे। प्लीज आप जल्दी आकर मुझे बचा लीजिए। घबराहट में उसका हाथ पानी के जग से टकराया।
उसकी गिरने की आवाज ने कमरे में बैठे दरिंदों को सचेत कर दिया। वह उठकर उसके कमरे की तरफ आए। उसकी सास बोली पकड़ो इसे, शायद इसने सब कुछ सुन लिया है। उसके पति ने उसको कसकर पकड़ लिया। नंद केरोसिन ले आई। सास हाथ में माचिस लेकर तैयार थी। सब पर हैवानियत
सवार थी। माही अपने आप को बचाने की पूरी कोशिश कर रही थी। इसी बीच पुलिस ने दरवाजे पर दस्तक दी। पुलिस को देखकर माही की जान में जान आई। पुलिस ने तीनों को रंगे हाथ पकड़ा और हत्या की कोशिश की रिपोर्ट दर्ज करके तीनों को जेल भेज दिया।
मीडिया में माही की हिम्मत के चर्चे थे। एक मीडिया कर्मी ने पूछा आप समाज की औरतों को कुछ संदेश देना चाहेंगी।माही बोली मेरी किस्मत अच्छी थी कि पुलिस समय पर मेरे पास पहुंच गई।
ज्यादातर मामलों में पुलिस बाद में ही पहुंँचती है। इसलिए औरत को अपने आपको हर परिस्थिति के लिए तैयार रखना चाहिए। लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सीखने चाहिए। सबसे बड़ी बात हर समय सचेत रहना चाहिए। माही की आवाज आत्मविश्वास से सरोबार थी। अब तो बस उसकोअपने भविष्य के बारे में सोचना था।
बेटियां विषय- साजिश नाम: नीलम शर्मा मुजफ्फरनगर उत्तरप्रदेश
नीलम शर्मा