रोते रोते बस अपनी किस्मत को कोसती जा रही थी । – रेखा सक्सैना : Moral Stories in Hindi

सुरेश अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ शहर से दूर गांव में रहता 

था । उसकी। आर्थिक  हालात कुछ अच्छी नहीं थी। रोज मजदूरी करने शहर जाता और उसे जो कुछ धन प्राप्त होता है उससे उसकी जीविका चल रही थी। परंतु वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर इस गरीबी के दलदल से बाहर निकलना चाहता था। इसके लिए वह रात दिन मेहनत मजदूरी करता। उसकी पत्नी भी गांव के मुखिया के घर में झाड़ू पोछा बर्तन का काम करती थी।

      धीरे-धीरे समय व्यतीत होता गया। बच्चे भी बहुत ही मेहनत से और लगन से अपनी पढ़ाई कर रहे थे। दोनों बेटे जब उच्च शिक्षा के लिए कोलेज गए तो सुरेश ने उनकी पढ़ाई के लिए अपना घर गिरवी रख दिया और बदले में कर्ज लेकर बच्चों की पढ़ाई पूरी की ।

  दोनों बेटों का  कैंपस सलेक्शन हो गया ।और उन्होंने अपने ही कोलेज फ्रेंड  से शादी कर ली । बड़े बेटे की पत्नी शहर के एक जानने माने बिजनेस मैन की इकलौती संतान थी और छोटे बेटे की पत्नी एक जज की बेटी थी । बड़ा बेटा घर जमाई हो गया ।

  राम लाल छोटे बेटे के पास  रहने के लिए आ गए । छोटे बेटे के घर का सारा काम उसकी मां संभालती थी क्योंकि बेटा बहू दोनों ही जॉब में थे , और सुरेश बाजार आदि का काम करते थे ।कुछ दिन सब ठीक चलता रहा । एक दिन सुरेश अपनी साइकिल उठा कर काम की तलाश में निकल गए । तो उनकी बहू को यह बात पसंद नहीं आई और बोली कि पिताजी आप इस तरह  से मजदूरी करोगे तो समाज में हमारी बेइज्जती होगी ।

सुरेश ने कहा कि हमारे अपने दवाई या मेरी पत्नी की ज़रूरत के लिए हमे पैसे चाहिए होते । उसके लिए मैं किसके आगे हाथ फैलाऊंगा।  इसी बात पर बहुत बहस हुई।  बहु ने कहा खुद की तो कोई इज्जत है नहीं और हमारी इज्जत भी खराब कर रहे है । 

  अगले दिन वह जब साइकल लेकर घर से निकले तो उनकी टक्कर एक ऑटो से हो गई और सुरेश के सिर में चोट आई जिससे उनकी याददाश्त चली गई और पैर में गंभीर चोट लग गई ।  सुरेश उनके घर का सारा काम कर रहे थे तब तक उन्हें रोटी मिल रही थी ।अब उनके बेटे बहू को उनका यहां रहना अखरने लगा।

   एक दिन बहू  अपने पति से कह रही थी कि “पिताजी किसी  काम के तो है नहीं क्यों न इनको वृद्धाश्रम में छोड़ दे और हम लोग इसने मिलने जाते रहेंगे ” जब सुरेश की पत्नी ने सुना तो मानो उनके पैरों तले से जमीन ही निकल गई हो।

    अगले दिन जब वह अपने पिताजी को  वृद्धाश्रम ले जाने लगे तो सुरेश की पत्नी भी जाने के लिए तैयार हो गई ।यह देख बहु ने सोचा एक बिना वेतन की अच्छी नौकरानी हाथ से न निकल जाए ।

तो अपनी सास से बोली की आप यहीं रहिए ।केवल पिताजी को भेज रहे है उन्हें वहां पर उनके मित्र मिल जाएंगे तो उनका मन लग जाएगा ।यहां पर हम उनको समय नहीं दे पाते है ।

     सुरेश की पत्नी बोली , आज तक हम हर सुख दुख में एक दूसरे के साथ रहे  आज इनको हमारी जरूरत है तो हम भी इनके साथ वृद्धाश्रम में रहेंगे । अपना शेष जीवन एक दूसरे के साथ में रहते हुए स्वाभिमान से व्यतीत करेंगे । आज सुरेश की पत्नी रोते रोते बस अपनी किस्मत को कोसती जा रही थी। और सोच रही थी कि मैने 

अपनी कोख से कैसी संतान को जन्म दिया ।

     माता पिता अपना संपूर्ण जीवन बच्चों के उज्जवल भविष्य को बनाने में लगा देते है। अंत में जब उन्हें अपनो की जरूरत होती  है 

तब वह खुद को वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हो जाते है।

       

      रेखा सक्सैना

V M

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